Posted on 20 Mar, 2010 09:23 AM चित्रा स्वाति विसाखड़ी, जो बरसै आसाढ़। भागो लोग विदेस को, पड़े अकाल प्रगाढ़।।
भावार्थ- यदि आषाढ़ के महीने के चित्रा, स्वाती और विशाखा नक्षत्रों में वर्षा न हुई तो अकाल पड़ना निश्चित है। ऐसे में लोगों को छोड़ कर विदेश में शरण लेनी पड़ेगी।
Posted on 20 Mar, 2010 08:56 AM काहे पंडित पढ़ि पढ़ि मरो, पूस अमावस की सुधि करो। मूल विसाखा पूरबाषाढ़, झूरा जान लो बहिरें ठाढ़।।
भावार्थ- हे पंडितों! बहुत पढ़-पढ़कर क्यों जान देते हो? पौष की अमावस्या को देखो, यदि उस दिन मूल, विशाखा या पूर्वाषाढ़ नक्षत्र हों तो समझ लो सूखा पड़ेगा और अकाल घर के बाहर ही खड़ा है।
Posted on 20 Mar, 2010 08:52 AM कातिक मावस देखो जोसी। रवि सनि भौमवार जो होखी। स्वाति नखत अरु आयुष जोगा। काल पड़ै अरु नासैं लोगा।।
भावार्थ- भड्डरी का कहना है कि ज्योतिषी को कार्तिक की अमावस्या को यह देख लेना चाहिए कि उस दिन रविवार, शनिवार और मंगलवार, स्वाती नक्षत्र तथा आयुष्य योग तो नहीं है। यदि ऐसा है तो अकाल पड़ेगा और मनुष्यों का नाश होगा।