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सुक्रवार की बादरी
Posted on 19 Mar, 2010 03:20 PM
सुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय।
ऐसा बोलैं भड्डरी, बिन बरसे नहीं जाय।।


भावार्थ- शुक्रवार के दिन आसमान में छाये बादल शनिवार तक रहें तो वर्षा निश्चित रूप से होगी, ऐसा भड्डरी का कहना है।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 19 Mar, 2010 03:03 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, बादर बिजुरी होय।
करि खेती पिय भवन में, निश्चित रहिए सोय।।


भावार्थ- यदि सावन शुक्ल सप्तमी को बादल में बिजली चमक रही हो तो पत्नी अपने पति से कहती है कि हे प्रियतम! खेती करके (बीज डाल करके) आराम से घर में सो जाओ क्योंकि इस वर्ष खेती बहुत अच्छी होगी।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 19 Mar, 2010 02:49 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, छिपके ऊगहि भान।
तौं लौं मेघा बरसिहें, जौ लौं देव उठान।


भावार्थ- यदि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्योदय बादलों के बीच में हो तो बादल कार्तिक माह की देवोत्थानी एकादशी तक पानी बरसाएँगे।

सुदि असाढ़ नौमी दिना
Posted on 19 Mar, 2010 02:40 PM
सुदि असाढ़ नौमी दिना, बाहर झीनो चंद।
जानै भड्डरी भूमि पर, मानो होय अनन्द।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमी को बादलों के बीच में झीना, धुंधला चन्द्रमा दिखायी दे तो समझ लेना चाहिए कि पृथ्वी पर प्रसन्नता ही प्रसन्नता होगी अर्थात् अच्छी वर्षा होगी और अनाज खूब पैदा होगा।

सावन पहिले पाख में
Posted on 19 Mar, 2010 02:35 PM
सावन पहिले पाख में, दसमी रोहिणि होइ।
महँग नाज अरु अल्प जल, बिरला विलसे कोई।।


भावार्थ- सावन के प्रथम पक्ष यानी कृष्ण पक्ष की दशमी को यदि रोहिणी नक्षत्र हो तो समझ लेना चाहिए कि अन्न महँगा होगा और वर्षा कम होगी जिसके कारण शायद ही कोई सुखी होगा।

सुदी असाढ़ की पंचमी
Posted on 19 Mar, 2010 02:23 PM
सुदी असाढ़ की पंचमी, गरज धमधमो होय।
तो यो जानो भड्डरी, मधुरी मेघा जोय।।


भावार्थ- आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पंचमी को यदि आसमान में बादल छाये हों और घोर गर्जना कर रहे हों, तो भड्डरी कहते हैं कि वर्षा अच्छी होने वाली है।

सांझै धनुष बिहानै पानी
Posted on 19 Mar, 2010 01:12 PM
सांझै धनुष बिहानै पानी।
कहै घाघ सुन पण्डित ज्ञानी।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि हे पंडित ज्ञानियों! सुनो, यदि संध्या समय में आकाश में इन्द्रधनुष दिखाई दे तो दूसरे दिन वर्षा अवश्य होगी।

सांझै धनुष बिहानै पानी
Posted on 19 Mar, 2010 01:08 PM
सांझै धनुष बिहानै पानी।
कहै घाघ सुन पण्डित ज्ञानी।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि हे पंडित ज्ञानियों! सुनो,यदि संध्या समय में आकाश में इन्द्रधनुष दिखाई दे तो दूसरे दिन वर्षा अवश्य होगी।

सावन पछुवा भादों भरे
Posted on 19 Mar, 2010 01:03 PM
सावन पछुवा भादों भरे।
भादों पूरबा पत्थर पड़े।।


भावार्थ- यदि सावन माह में पछुवा चले तो भादों में वर्षा खूब होगी लेकिन यदि भादों में पुरवा चले तो पत्थर (ओले) पड़ेंगे।

सावन पछुवाँ दिन दुइ चार
Posted on 19 Mar, 2010 12:55 PM
सावन पछुवाँ दिन दुइ चार।
चुल्ही के पाछा उपजै सार।।


भावार्थ- सावन में दो चार दिन भी पछुवा हवा बहेगी तो समझो पानी अच्छा बरसेगा और चूल्हे के पीछे की धरती भी अन्न उपजायेगी।

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