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मग्घा लगावे घग्घा
Posted on 19 Mar, 2010 10:41 AM
मग्घा लगावे घग्घा, सिवाती लावसु टाटी।
कहत बाड़ी हाथी रानी, हमहूँ आवत बाटी।।


भावार्थ- यदि मघा नक्षत्र में मेघ घहरे और स्वाती में बरसे, तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा हस्त नक्षत्र में भी अच्छी होगी।

माघ सुदी आठैं दिवस
Posted on 19 Mar, 2010 10:33 AM
माघ सुदी आठैं दिवस, जो कृतिका रिस होय।
की फागुन पाथर पड़ै, की सावन महँगो होय।


शब्दार्थ- रिस –नक्षत्र।

भावार्थ- यदि माघ शुक्ल अष्टमी को कृतिका नक्षत्र पड़े तो या तो फागुन में ओले पड़ेंगे अथवा सावन में अनाज महँगा होगा।

माघ जो सातैं कज्जली
Posted on 19 Mar, 2010 10:27 AM
माघ जो सातैं कज्जली, आठैं बादर होय।
तो असाढ़ में पूरवा, बरसे जोसी जोइ।


शब्दार्थ- कज्जली-कृष्ण पक्ष।

भावार्थ- यदि माघ कृष्ण सप्तमी एवं अष्टमी को बादल हों तो आषाढ़ में वर्षा अवश्य होगी, ऐसा ज्योतिषी कहते हैं।

माघ सुदी जो सत्तमी
Posted on 19 Mar, 2010 10:19 AM
माघ सुदी जो सत्तमी, बिज्जु मेह हिम होय।
चार महीना बरसती, सोक करौ मति कोय।।


शब्दार्थ – हिम – जाड़ा।

भावार्थ – यदि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को बिजली चमके और वर्षा हो तथा सर्दी भी लगे तो समझ लेना चाहिए कि इस बार चौमासे (वर्षा के चार महीने) में पानी खूब बरसेगा और चिन्ता की कोई बात नहीं है, फसल भी अच्छी होगी।

माघ सत्तमी ऊजली
Posted on 19 Mar, 2010 10:13 AM
माघ सत्तमी ऊजली, बादर मेघ करंत।
तो असाढ़ में भड्डरी, घनो मेघ बरसंत।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल सप्तमी को बादल हों तो आषाढ़ में घनघोर वर्षा होगी, ऐसा भड्डरी का मानना है।

माघ उज्यारी दूज दिन
Posted on 19 Mar, 2010 10:05 AM
माघ उज्यारी दूज दिन, बादर बिज्जु समोय।
तो भाखैं यों भड्डरी, अन्न जु महँगों होय।


शब्दार्थ- समोय – मिलना।

भावार्थ- भड्डरी का कहना है कि यदि माघ शुक्ल द्वितीया को आकाश में बादल हों और बिजली चमकती हो तो निश्चय ही अनाज महँगा होगा अर्थात् अच्छी फसल नहीं होगी जिससे अनाज महँगा होगा।

माघ अमावस गर्भमय
Posted on 19 Mar, 2010 09:57 AM
माघ अमावस गर्भमय, जो केहु भाँति विचार।
भादौ की पून्यो दिवस, बरखा पहर जु चारि।।


भावार्थ- माघ की अमावस्या को बादलों के रहते हुए भी वर्षा न हो तो भादों की पूर्णिमा को चार पहर बरसेगा।

माघ अंधेरी सत्तमी
Posted on 19 Mar, 2010 09:53 AM
माघ अंधेरी सत्तमी, मेघ बिज्जु दमकंत।
मास चार बरसै सही, मत सोचै तू कंत।।


भावार्थ- यदि माघ कृष्ण सप्तमी को बादलों में बिजली चमक रही हो तो हे स्वामी! तुम चिन्ता मत करो, चौमासा अर्थात वर्षा के चारों महीने पानी बरसेगा।

मघा के बरसे माता के परसे
Posted on 19 Mar, 2010 09:47 AM
मघा के बरसे माता के परसे।
भूखा न माँगे फिर कुछ हर से।।


भावार्थ- वर्षा के सारे नक्षत्रों में मघा नक्षत्र की वर्षा फसलों के लिए सबसे अधिक लाभदायक होती है जैसे माता द्वारा परोसे गये भोजन से पुत्र को तृप्ति हो जाती है, उसी प्रकार मघा के बरसने से फसलों को तृप्ति मिलती है। इसके बाद भूखे व्यक्ति को ईश्वर से कुछ माँगने की आवश्यकता नहीं होती है।

माघ पूस जो दखिना चलै
Posted on 19 Mar, 2010 09:34 AM
माघ पूस जो दखिना चलै।
तौ सावन के लच्छन भले।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि माघ और पूस के महीने में दक्खिनी हवा चले तो सावन में बरसात अच्छी होगी।

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