खेती करै साँझ घर सोवै


खेती करै साँझ घर सोवै।
काटै चोर हाथ धरि रोवै।।


भावार्थ- जो किसान खेती करता है और सायंकाल ही घर में सो जाता है। तो उसकी फसल को रखवारी के अभाव में चोर काट ले जाते हैं, फिर उसे हाथ पर हाथ रख कर रोना ही पड़ता है।

Path Alias

/articles/khaetai-karaai-saanjha-ghara-saovaai

Post By: tridmin
×