जेठ में जरै माघ में ठरै


जेठ में जरै माघ में ठरै।
तब जीभी पर रोड़ा परै।।


भावार्थ- जेठ की धूप में जलने से और माघ की सर्दी में ठिठुरने से ईख की खेती होती है और तब किसान की जीभ पर गुड़ का रोड़ा पड़ता है अर्थात् गुड़ खाने को मिलता है।

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Post By: tridmin
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