खनि के काटै घन के मोराये।
तब बरदा के दाम सुलाये।।
शब्दार्थ- मोराये-ईख का रस निकालना, सुलाये-सफल होना। वसूल होना।
भावार्थ- यदि किसान ईख को जड़ से खोद कर निकाले और खूब दबा-दबा कर कोल्हू में पेरे तो उसे अधिक फायदा होता है और बैलों का परिश्रम भी सफल होता है। उनका दाम वसूल हो जाता है।
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