पाही जोतै तब घर जाय।
तेहि गिरहस्त भवानी खायँ।।
शब्दार्थ- पाही-किसान का वह खेत जो निवास स्थान से कुछ अधिक दूर हो।
भावार्थ- जो किसान दूसरे गाँव में खेती करता है और उसे जोत-बोकर घर चला जाता है, उसे भवानी खा जाये तो अच्छा है अर्थात् पाही काश्तकार को पाही पर रहना आवश्यक होता है।
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