खेती करै ऊख कपास


खेती करै ऊख कपास।
घर करै व्यवहरिया पास।।


भावार्थ- ऊख और कपास की खेती करना साहूकार को अपने घर के पास बुलाना है अर्थात् कर्जदार बनना है।

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Post By: tridmin
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