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हिमालय की समझ और सतर्कता की जरूरत
Posted on 28 Apr, 2015 12:49 PM नेपाल को केन्द्र बनाकर आया भूकम्प, हिमालयी क्षेत्र के लिए न पहला है और न आखिरी। भूकम्प पहले भी आते रहे हैं, आगे भी आते ही रहेंगे। हिमालय की उत्तरी ढाल यानी चीन के हिस्से में कोई न कोई आपदा, महीने में एक-दो बार हाजिरी लगाने जरूर आती है। कभी यह ऊपर से बरसती है और कभी नीचे सबकुछ हिला कर चली जाती है। अब इनके आने की आवृति, हिमालय की दक्षिणी ढाल यानी भारत, नेपाल और भूटान के हिस्से में भी बढ़ गई हैं। ये
Himalaya
हिमालयी त्रासदी और चीख की सीख
Posted on 28 Apr, 2015 12:39 PM धरती के गुस्से का अहसास पिछले शनिवार-रविवार को भारत और नेपाल के लोगों ने हिमालयी त्रासदी के रूप में किया। हमारे पुरखों ने पृथ्वी और नदियों को माँ बताया है। पानी, पेड़ और प्रकृति को भी किसी न किसी देवी-देवता का नाम देते हुए उसका पर्याय बताया है। इसका आज धार्मिक मतलब निकालते हुए भले ही प्रगतिशीलता का लबादा ओढ़ककर हम खारिज कर दें। पर इन सब पर धर्म का मुअलम्मा चढ़ाने के पीछे उनकी मंशा यह थी कि हम आराध्
भूकम्प के प्रति जागरुकता जरूरी
Posted on 27 Apr, 2015 01:04 PM प्राकृतिक आपदाएँ पहले भी आती रही हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो अपने पीछे तबाही का मंजर अवश्य छोड़कर जाती हैं। अब ये हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम इन आपदाओं से क्या सीख लेते हैं और भविष्य में इसके प्रति क्या योजना बनाते हैं। आदिकाल से ही जो प्राकृतिक आपदाएँ मानवता को समय-समय पर झकझोरती आई हैं उनमें से भूकम्प भी एक है। यदि हम भूकम्प की बात करें तो इसे प्राकृतिक आपदाओं
हो रहा है जलवायु परिवर्तन
Posted on 26 Apr, 2015 01:50 PM हमें गर्मी के मौसम में गर्मी व सर्दी के मौसम में ठण्ड लगती है। ये
लड़खड़ाता पर्यावरण
Posted on 26 Apr, 2015 01:42 PM पृथ्वी मानव का आवास है। भूमि, जल, वायु और प्राणी पर्यावरण के प्रमुख घटक है। पर्यावरण शब्द एक लम्बे समय से जीव, पादप और प्रकृति वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बना रहा है। मानव अपनी आदिम अवस्था से ही अपने पर्यावरण का प्रेक्षण करता रहा है। ग्रीस, रोम, चीन, फारस, मिस्र, बेबीलोन और भारतवर्ष में विभिन्न विद्वानों द्वारा व्यवस्थित अध्ययन, अनुसन्धान और ज्ञानार्जन के प्
Nature
खुदकुशी का साक्षी बनने का अक्षम्य अपराध
Posted on 25 Apr, 2015 11:43 AM दिल्ली में कुछ ही समय पूर्व प्रचण्ड बहुमत से सत्तारूढ़ हुई आम आदमी
किसान की तबाही से अलगर्ज सियासत
Posted on 25 Apr, 2015 11:30 AM जब आजादी के बाद पहली बार फसलों की तबाही हुई थी तो उसका जो राजनीतिक
एक खुदकुशी अनेक सवाल!
Posted on 24 Apr, 2015 12:11 PM चूँकि राजधानी राजधानी होती है और फिर दिल्ली में तो दो-दो सरकारें ब
गजेन्द्र की खुदकुशी की धमक
Posted on 24 Apr, 2015 12:02 PM दिल्ली में आम आदमी पार्टी की किसान रैली में गजेन्द्र सिंह नामक किसान द्वारा खुदकुशी करना व्यवस्था के खिलाफ शहीद भगत सिंह के असेम्बली बम काण्ड से कम नहीं है। गजेन्द्र ने दिल्ली में खुदकुशी करते हुए सुसाइड नोट में कम शब्दों में अपनी जिस बेचारगी और लाचारी का जिक्र किया है, वह सिहरन पैदा करने वाला है। किसानों के नाम पर की जा रही राजनीति से हमारे राजनेताओं को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। देखना यह होगा कि गजे
कब तक करते रहेंगे धरा का दोहन
Posted on 23 Apr, 2015 12:10 PM एक आँकड़े के मुताबिक पृथ्वी इस समय 75 करोड़ वाहनों का भार सह रही है,
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