भारत

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कृषि उपज को भी मिले उचित मूल्य
Posted on 09 Apr, 2015 08:18 AM सरकार अब सिर्फ गेहूँ और धान की ही खरीद करती है। इस मामले में अन्य
जंगल-जंगल बात चली है
Posted on 08 Apr, 2015 12:04 PM रहस्यों से भरे हैं भारत के जंगल। जंगल में रहना बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा है। भारत कई प्रकार के जंगली जीवों का, अनेक पेड़-पौधों और पशु-पक्षियों का घर है। घने जंगल और ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के कारण यह देश धरती का सबसे सुन्दर स्थान है। तप और ध्यान करने के लिए प्राचीनकाल में भारत सबसे उपयुक्त स्थान हुआ करता था। भारत के मध्य में स्थित ‘दण्डकारण्य’ में हजारों ऋषियों के आश्रम थे और यहाँ दुनिया की सबसे
कथा बाँस की पवन चक्की की : असम के नवाचार का उपयोग गुजरात में
Posted on 07 Apr, 2015 10:10 AM असम के दो भाइयों की अनोखी कहानी दी जा रही है। इन दोनों ने अपनी प्र
वन अधिकार कानून, 2006 एक सिंहावलोकन
Posted on 04 Apr, 2015 10:38 AM खामियों के बावजूद इस कानून का असर भारत के व्यापक वन क्षेत्रों में
प्रकृति और मनुष्य
Posted on 03 Apr, 2015 08:07 AM मनुष्य सदियों से प्रकृति की गोद में फलता-फूलता रहा है। इसी से ऋषि-मुनियों ने आध्यात्मिक चेतना ग्रहण की और इसी के सौन्दर्य से मुग्ध होकर न जाने कितने कवियों की आत्मा से कविताएँ फूट पड़ीं। वस्तुतः मानव और प्रकृति के बीच बहुत गहरा सम्बन्ध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। मानव अपनी भावाभिव्यक्ति के लिए प्रकृति की ओर देखता है और उसकी सौन्दर्यमयी बलवती जिज्ञासा प्रकृति सौन्दर्य से विमुग्ध होकर प्रकृति में
भारत के वन क्षेत्रों की स्थिति
Posted on 03 Apr, 2015 08:03 AM भारत में वन एवं वृक्ष की क्षेत्रवार सूची को प्रणालीगत स्वरूप तथा नियमितता प्रदान करने की शुरुआत दो दशक पूर्व 1987 में हुई थी। नियमित समय पर वैज्ञानिक आधार पर प्रत्येक दो वर्ष में सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी के द्वारा वन की स्थिति रिपोर्ट बनाना, देश के नवीनतम वन क्षेत्र का मूल्यांकन उपलब्ध कराना तथा इसमे आए बदलाव को ध्यान में रखना और राष्ट्रीय वन क्षेत्रों का सूचीकरण एवं वन क्षेत्रों के बाहरी वृक्षों
पर्यावरण को लगा पलीता
Posted on 02 Apr, 2015 06:57 AM यह सही है कि हम सब लोग इस दुनिया में मिलकर काम कर रहे हैं, पर साथ ही साथ हम पर्यावरण के लिए खतरे भी पैदा कर रहे हैं। हमें खुद को आगे विकसित करते हुए इन खतरों को पैदा होने से रोकना है और समाज को एक मानव संवेदी परिवार बनाकर चलना है। यह जरूरी है कि हम समाज तथा आने वाली पीढि़यों के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को समझें। यह जीवन प्रकृति की वजह से है। प्रकृति ही मनुष्य जाति के लिए जीने के साधन जुटाती रही ह
बाघ और आदिवासी
Posted on 02 Apr, 2015 05:48 AM एक अनुमान के अनुसार, ‘छोटानागपुर संथाल परगना आदिवासी विकास एजेंसी’
बेमौसम बारिश और किसानों की उम्मीदों पर पानी
Posted on 02 Apr, 2015 05:42 AM किसानों को सभी प्रकार की राहत दे दी जाए तो भी उनके अस्तित्व पर खतर
वन अधिकार कानून कुछ मिथक और सच्चाइयाँ
Posted on 01 Apr, 2015 11:31 AM प्रस्तावना किसी कानून का आधार होता है। इसकी प्रस्तावना में उन लोगो
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