महेंद्र पाण्डेय

महेंद्र पाण्डेय
कला के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती गंगा नदी
Posted on 03 Mar, 2012 06:52 PM

संगीत में इसी नदी ने ‘भटियाली’ और ‘सरिगान’ नामक दो राग दिए। ‘भटियाली’ तो नाविकों द्वारा गाया जाने वाला सर्वाधिक

सभ्यता और संस्कृति की पोषक-गंगा
Posted on 03 Mar, 2012 06:35 PM

गंगाजल वर्षों तक किसी भी बर्तन में सुरक्षित रखा जा सकता है। इसलिए गंगा जल का विशेष महत्व है। क्योंकि वह अमृत तुल्य है अद्वितीय कोटि का है, जिसका वर्णन महाभारत एवं अन्य कई पौराणिक ग्रन्थों में किया गया है। पश्चिमी वैज्ञानिकों ने भी गंगा के जल की इस अद्भुत विशेषता को सिद्ध किया है। डॉ. एफ.सी. हैरिसन के अनुसार गंगा जल में एक अनोखा गुण है, जिसकी सन्तोषजनक व्याख्या मुश्किल है। इसमें हैजे के जीवाणु की तीन से पाँच घंटे में मृत्यु हो जाती है। जबकि कई नदियों में यही जीवाणु तेजी से फैलती हैं। फ्रांस के एक डॉक्टर हेरेल यील्डेड ने भी अपने अनुसंधान के दौरान ऐसा ही पाया।

प्राचीन काल से ही भारत भूमि को स्वर्ग बनाती और यहां की सभ्यता और संस्कृति का पोषण करती गंगा नदी इस धरती की अलौकिक शोभा है। पवित्र तीर्थों की जननी तथा ज्ञान-विज्ञान की रक्षक इस नदी के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है, “गगा तो विशेषकर भारत की नदी है, जनता की प्रिय है, जिससे लिपटी हैं भारत की जातीय स्मृतियां, उसकी आशाएँ और उसके भय उसके विजयगान, उसकी विजय और पराजय। गंगा तो भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक रही है, निशान रही है। सदा बदलती, सदा बहती, फिर भी वही गंगा की गंगा”। पूरे विश्व में ऐसी कोई नदी नहीं जिसे इतना आदर मिला हो। इसे यहां केवल जल का स्रोत नहीं वरन् देवी मानकर पूजा जाता है। कोई भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान गंगा-जल के बिना पूरा नहीं होता। दुर्भाग्य से आज गंगा पहले जैसी नहीं रही। आज इसका पावन जल प्रदूषण की चपेट में है।
भारतीय नदी जल सम्पदा
Posted on 03 Mar, 2012 06:12 PM

हिमखंडों से निकली नदियों में पानी के दिनों में भी काफी पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दस प्रायद्वीप

विश्व में प्रतिवर्ष जल की खपत
Posted on 01 Mar, 2012 05:35 PM

जल का एक प्रमुख उपयोग पीने का पानी है। विश्व में जितने भी गर्म देश हैं अथवा गर्म क्षेत्र हैं, वहां गर्मियों में

जल चक्र
Posted on 01 Mar, 2012 05:25 PM
बर्फ, जल और वाष्प, पानी के तीन स्वरूप हैं। व्यापक अर्थ में देखें तो ये लगातार एक दूसरे में परिवर्तित होते रहते हैं। वैसे तो यह एक सामान्य-सी प्रक्रिया है, पर सागर की सतह का निर्धारण, तापक्रम का सामंजस्य और धरती को जीवन धारण करने योग्य बनाए रखने में इनका बहुत महत्व है। पानी के एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में परिवर्तित होने की प्रक्रिया ही जल-चक्र कहलाती है। विश्व में पानी की कुल मात्रा 1.4 बिलियन घन
विश्व में मौजूदा जल-चक्र
हमारी नदियां : बिन पानी सब सून
Posted on 01 Mar, 2012 01:03 PM

वैज्ञानिकों का मत है कि जीवन की शुरुआत जल में हुई। यदि पृथ्वी पर जल नहीं होता तो, यह अन्य ग्रहों जैसे जीवन शून्य

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