Term Path Alias
/regions/bihar-0
/regions/bihar-0
भूगर्भ से जरूरत से अधिक पानी निकलने की सम्भावना अत्यल्प होती है। अभी इन 18 गाँवों के 123 किसान 64 एकड़ ज़मीन में सब्जी की खेती कर रहे हैं। 18 गाँवों के बीच यह कोई बड़ा आँकड़ा नहीं है। पर समेकित जल प्रबन्धन कार्यक्रम सब्जी की खेती तक सीमित नहीं है। उसने इलाके के लिये उपयुक्त फसलों और उपयुक्त विधियों के चयन किया। धान व गेहूँ की खेती के लिये श्रीविधि, एसवीआई और एसडब्ल्यूआई विधि में प्रशिक्षण की व्यवस्था की।
कोसी तटबन्धों के बीच फँसे बिहार के सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त और भयंकर सुखाड़ से पीड़ित गाँवों में गोभी, प्याज और मिर्च की लहलहाती फसल देखना जितना सुखद था, उतना ही आश्चर्यजनक भी। सुपौल जिले के मैनही गाँव में यह नजारा परम्परागत जलस्रोतों के समन्वित प्रबन्धन के साथ विभिन्न नवाचारों को अपनाने की वजह से दिख रहा है। यशस्वी इंजीनियर दिनेश कुमार मिश्र की पुस्तक ‘दुई पाटन के बीच’ के माध्यम से कोसी तटबन्धों के बीच फँसे 380 गाँवों और उनमें रहने वाली करीब 10 लाख लोगों की व्यथा-कथा उजागर होने पर मातमपूर्सी तो काफी हुई, पर संकटग्रस्त लोगों के कष्टों का टिकाऊ समाधान खोजने के प्रयास कम ही हुए।मखाना उत्पादन पूरी तरह से मछुआरा समुदाय की महिलाओं के हाथों में है। पुरुष इस पूरी प्रक्रिया में