बिहार

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जमीन का कार्बन हवा में चला गया है
Posted on 14 Jul, 2011 06:53 PM पटना, जागरण ब्यूरो: 'जैविक बिहार' विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बुधवार को नई हरित क्रान्ति की प्रासंगिकता खाद्य सुरक्षा और समेकित विकास के व्यापक संदर्भो में रेखांकित की गयी। वैज्ञानिकों ने मिट्टी की सेहत और संतुलन में कमी, जीवांश खत्म होते जाने, जमीन का कार्बन हवा में चले जाने और अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से मानव जीवन पर बढ़ रहे खतरे को लेकर गहरी चिन्ता जताई।
बिहार में बहार
Posted on 20 Dec, 2010 10:06 AM
बिहार में नीतीश कुमार दोबारा सत्ता में वापसी करने में सफल रहे। इससे आम लोगों को अपनी बेहतरी के लिए उम्मीद की किरण दिख रही है।
अररिया में वक्त की जरूरत बन रहा जल संरक्षण
Posted on 07 Dec, 2010 04:24 PM

अररिया, जागरण प्रतिनिधि: खेतों में सिंचाई व पीने के पानी की कमी का सामना कर रहे अररिया जिले में जल संरक्षण वक्त की जरूरत बनता जा रहा है। जिले में बड़ी संख्या में बन रही सड़कों के लिये मिट्टी भराई के क्रम में निर्माण कंपनियों ने नदी की मृत धाराओं में छोटे छोटे तालाब बना कर एक नई राह दिखाई है।

कैंसर परोसते खेती में जहरीले रसायन
Posted on 10 Nov, 2010 11:00 AM
सूखे की मार से तबाह बिहार के कृषि क्षेत्र में फिर एक बड़ा हादसा हो गया है। मक्का यहां की प्रमुख फसल है। इस बार भी बड़े पैमाने पर मक्के की फसल लगाई गई थी। जिन किसानों ने पूसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बीज या अपने परम्परागत बीजों से खेती की थी उनके पौधों में दाने भरपूर हैं। लेकिन लगभग दो लाख एकड़ भूमि में टर्मिनेटर सीड (निर्वंश बीजों) का प्रयोग किया गया। इसके पौधे लहलहाये जरूर लेकिन उनम
..और नदियों के किनारे घर बसे हैं
Posted on 23 Sep, 2010 01:02 PM मानव सभ्यता और बाढ़ का रिश्ता आदिकाल से चला आ रहा है। अनेक सभ्यताएं नदियों के किनारे पनपी और बाढ़ से नेस्तनाबूद हो गई। आज भी बाढ़ एक ऐसी आपदा है जिसके नाम से ही देश के अनेक गांवों एवं नगरों के लोग थर्रा उठते हैं। एक शोध के अनुसार 1980 से 2008 के दौरान भारत में चार अरब से भी अधिक लोग बाढ़ प्रभावित हुए। प्रति वर्ष बाढ़ से करोड़ों रुपयों के घर-बार, खेती और मवेशी नष्ट हो जाते हैं।
मत कहो मुझे निर्मल ग्राम
Posted on 26 Aug, 2010 03:45 PM

मुजफ्फरपुर [राजीव रंजन]। जी हा, मैं ही हूं लदौरा पंचायत। सूबे के सबसे बड़े कुढ़नी प्रखंड का एक हिस्सा। बिल्कुल सही सुना है आपने। भारत के बहुचर्चित राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मुझे ही वर्ष 2008 में 'निर्मल ग्राम पुरस्कार' से नवाजा था। क्योंकि उस समय मैं स्वच्छता के मानक पर पूरी तरह खरी थी, लेकिन अब मुझे यह कहने में कोई गुरेज या शर्म नहीं है, कि अब मैं निर्मल नहीं रही हूं।

Nirmal gram
फल्गु नदीः नियति बन गया है प्रदूषित होना
Posted on 17 Aug, 2010 09:21 AM
प्रशासनिक और स्थानीय लोगों की उपेक्षा के चलते ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फल्गु नदी की अस्तित्व को खतरा

कहा जाता है, विनाश काले विपरीत बुद्धि बस, बढ़ते प्रदूषण को लेकर भी यही कहा जा सकता है कि इन्सान की महत्वाकाक्षांएं उसे विनाश की ओर बहुत तेजी से धकेल रही हैं। तभी तो एक के बाद एक देश की महत्वपूर्ण नदियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो रहा है। इस कड़ी में नया नाम फल्गु नदी का है। त्रेता युग में माता सीता के श्राप से श्रापित फल्गु
सूखे से तड़प रहा है पूरा बिहार
Posted on 16 Aug, 2010 08:57 AM
पटना. पूरा बिहार सूखे की मार झेल रहा है ये कहना है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का। यही नहीं नीतीश ने यह भी कहा है कि उनकी सरकार सूखे से निपटने व प्रभावित किसानों की मदद के लिए आवश्यक कदम उठा रही है। साथ ही बिहार को सूखाग्रस्त राज्य घोषित कर दिया गया है। बिहार पिछले चार सालों से प्राकृतिक आपदा को झेल रहा है।
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