बिहार

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पंछी की लाश
Posted on 11 Nov, 2014 01:03 PM वर्ष 1966 का भयानक सूखा-जब अकाल की काली छाया ने पूरे दक्षिण बिहार को अपने लपेट में ले लिया था और शुष्कप्राण धरती पर कंकाल ही कंकाल नजर आने लगे थे...
ਐਸ ਆਰ ਆਈ ਕ੍ਰਾਂਤੀ- ਝੋਨਾ ਕ੍ਰਾਂਤੀ
Posted on 09 Nov, 2014 04:50 PM ਕਿਸੇ ਨਵੀਂ ਖੋਜ ਨੂੰ ਜੀਵਿਤ ਰਹਿਣ ਲਈ ਸਹਿਯੋਗ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਉਹੀ ਖੋਜ ਇੱਕ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਲਿਆ ਸਕਦੀ ਹੈ, ਬਸ਼ਰਤੇ ਉਸਨੂੰ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਮਾਨਤਾ ਅਤੇ ਸਮਰਥਨ ਮਿਲੇ। ਬਿਹਾਰ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਦਿਖਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰਾ ਇੱਕ ਖੋਜ, ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਕ੍ਰਾਂਤੀ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਗਈ ਹੋਵੇ, ਭੋਜਨ ਉਤਪਾਦਕਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ।
महिलाओं को कृषि प्रबंधन सिखा रही हैं राजकुमारी देवी
Posted on 01 Oct, 2014 10:43 PM बिहार की राजकुमारी देवी ने खेती ही नहीं महिलाओं की दशा भी बदल दी है
बिहार में ई-प्रशासन का विकास एवं संभावनाएं
Posted on 10 Sep, 2014 04:02 PM बिहार के कई पंचायत एवं गांव सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर ई-प्रशा
जैव तकनीक ने दिखाई विकास की राह
Posted on 16 Aug, 2014 10:17 PM पराजनीन (ट्रांसजैनिक) फसलें- प्रकृति में अनेक ऐसे पादप है, जिन पर संक्रमण व रसायनों आदि का असर न के बराबर होता है, परंतु वे आर्थिक दृष्टि से अनुपयोगी होते हैं। वहीं दूसरी तरफ वे फसलें जिनसे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले तमाम उत्पाद प्राप्त होते हैं, पर संक्रमण इतनी तेज से होता है कि उत्पादकता शून्य तक हो जाती है। जैव प्रौद्योगिकी के द्वारा वे जींस अनुपयोगी पौधों को संक्रमणरोधी बनाते हैं को
गांव की संसद में आपकी भी हिस्सेदारी है जरूरी
Posted on 10 Aug, 2014 11:48 PM ग्रामसभा पंचायती राज की मूल संवैधानिक संस्था है। ग्रामसभा में स्वय
गांधी के ग्राम गणराज्य को हम समझ नहीं पाए
Posted on 10 Aug, 2014 10:25 PM शिक्षा के उद्देश्य में गांव की समृद्धि और उन्नति के उपाय नहीं है।
प्राकृतिक घटनाएं जब बनती हैं आपदा
Posted on 10 Aug, 2014 07:40 PM राज्य की नदियां लगभग पौने चार हजार किलोमीटर लंबे तटबंधों से घिरी ह
योजनाएं तो यहां बहुत हैं बस लाभ लेने की जरूरत
Posted on 10 Aug, 2014 05:35 PM आपदा से बिहार का रिश्ता युगों पुराना है। राज्य में नदियों का जाल है। बाढ़ और उससे आने वाली तबाही यहां की पहचान है। अब भी राज्य के बहुत बड़े शहरी इलाकों में लोग बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए बच्चे मकानों में रहते हैं। गंगा की सहायक नदियां शोक का प्रतीक बन गई है। प्राकृतिक आपदाओं का दायरा बहुत बड़ा है। हर मौसम के साथ इसके खतरों की प्रकृति भी बदलती है, मगर किसी का पीछा नहीं छोड़ती। ब
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