बिहार

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होली अस्पताल की छत पर टीएसटी
Posted on 01 May, 2013 10:42 AM सात साल के अनुबंध के अंतर्गत टीएसटी अस्पताल को प्रतिदिन 20 हजार लीट
कोसी की बाढ़
Posted on 29 Apr, 2013 10:05 AM अगले दिन भी सुबह से अलग-अलग इलाकों में गए। दोपहर में सभा हुई। बेलदौ
बिहार में लोग आर्सेनिक, फ्लोराइड, लौह युक्त जल पीने को विवश
Posted on 15 Apr, 2013 03:53 PM स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 80 फीसद से अधिक बीमारियाँ, अशुद्ध पेयजल औ
गरखय नदी पुनर्जीवन अभियान
Posted on 15 Feb, 2013 12:03 PM सेवा में,
लोक सूचना अधिकारी
जिलाधिकारी कार्यालय
लक्खीसराय
बिहार
तिथि: 12-02-2013


विषय: सूचना का अधिकार कानून 2005 के तहत आवेदन


महोदय,
कृपया गरखय नदी से संबंधित सूचना उपलब्ध कराएं। नदी की विस्तृत जानकारी नीचे दी जा रही है।

माणिकपुर गाँव (सूर्यगढ़ा) गरखय नदी के किनारे स्थित है। पहले जहाँ यह पानी इंसानों के उपयोग के लिए उपयुक्त था वहीं अब इसका पानी जानवरों के इस्तेमाल लायक भी नहीं रह गया है। निस्ता गाँव (सूर्यगढ़ा) के नज़दीक गोन्दरी बाँध बनाने के बाद अब इस नदी का प्रवाह रूक गया है। अब यह नदी पूरी तरह से जलकुंभी (वाटर हायसिंथ) से भर गई है। जलकुंभी की वजह से यह नदी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का घर बन गई है। यह नदी कई बीमारी पैदा करने वाले किटाणुओं/जीवाणुओं/मच्छरों का घर बन गया है। नदी में गंभीर अवरोध उत्पन्न हो चुका है और इससे सिंचाई भी संभव नहीं है। जलकुंभी की समस्या बुरी तरह से गरखय नदी के किनारे बसे गाँव वालों को प्रभावित कर रही है।
गोखुर झील की मर्म कथा
Posted on 07 Feb, 2013 05:15 PM बिहार के बेगूसराय जिले में मंझौल अनुमंडल की गोखुर झील लगातार सिमटती जा रही है। गोखुर का मतलब ‘किसी नदी के रास्ता बदलने के बाद उसके पुराने प्रवाह मार्ग में छूटे पानी का विशाल भंडार’ होता है। हजारों एकड़ में फैली इस झील में सैकड़ों किस्म के लैंड बर्ड, दर्जनों किस्म के वॉटर बर्ड और हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी अपना घरौंदा हरदम बनाये रखते हैं। मशहूर पक्षी विज्ञानी ‘सलीम अली’ इस झील को पक्षियो
रूठीं गंगा मइया
Posted on 04 Dec, 2012 10:34 AM गंगा के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है। उसका सिर्फ जल ही नहीं बदल रहा बल्कि उससे जुड़ी तमाम चीजों में बदलाव आ रहा है।
तबाही के निशान
Posted on 08 Nov, 2012 03:20 PM बिहार हर साल बाढ़ का दंश झेलता है लेकिन स्थिति फिर भी जस की तस बनी हुई है। आबादी बेहाल है। बाढ़ की प्रलंयकारी लीला में हर साल एक लाख घर बह जाते हैं। बिहार में बाढ़ ने पिछले 31 सालों में 69 लाख घरों को क्षति पहुंचाया है। हाल में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने बाढ़ का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी लेकिन उसमें बिहार को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया जबकि देश के कुल बाढ़ग्रस्त इलाकों का 17 फीसदी हिस्सा बिहार में पड़ता है।बिहार ने बाढ़ की एक और विभीषिका झेल ली। बाढ़ का पानी लौट चुका है और तबाही के निशान शेष रह गए हैं। ठेकेदारों और अफसरों की कमाऊ जमात ने एक बार फिर बाढ़ राहत के नाम करोड़ों के वारे-न्यारे किए और अगली बाढ़ से सुरक्षा के नाम पर तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह हर साल का किस्सा है जो एक बार फिर दोहराया जा रहा है। बाढ़ की मार झेल चुके लोग ध्वस्त हो चुके मकानों को किसी तरह खड़ा करने में जुटे हैं और सरकार तबाही के लिए नेपाल को कोस रही है। इस राष्ट्रीय आपदा का स्थायी समाधान सिर्फ चर्चाओं तक सीमित रहा है। नदियों किनारे बसे लोगों के लिए तबाही उनकी नियति बन चुकी है। चार साल पहले कोसी ने कहर ढाया था तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था लेकिन राहत और पुनर्वास के प्रयास नहीं के बराबर हुए। कोसी क्षेत्र के हजारों एकड़ उपजाऊ खेतों में अभी तक बालू के ढेर पड़े हैं। इन खेतों में अब फसल नहीं होती। आपदा में क्षतिग्रस्त लाखों घर पुनर्निर्माण की राह देख रहे हैं।
अनसुनी गंगा की गुहार
Posted on 07 Nov, 2012 11:34 AM मुक्तिदायिनी गंगा अब खुद बंधक बन गई है। बंधक गंदगी, कचरे और विषाक्
कहीं गुम न हो जाए गंगा की गाय
Posted on 27 Oct, 2012 11:10 AM ‘गंगा की गाय’ कही जाने वाली गांगेय डॉल्फिन चौतरफा मार झेल रही हैं। संकट जितना प्राकृतिक है उससे कहीं ज्यादा मानव निर्मित है। केंद्र ने इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर रखा है मगर समुचित प्रयासों के अभाव में इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
बदस्तूर जारी बाढ़ से बर्बादी
Posted on 29 Sep, 2012 04:58 PM

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कोसी त्रासदी में 2,36,632 घर ध्वस्त हुए लेकिन सरकार पुनर्वास की उचित व्यवस्था नहीं कर

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