बिहार

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नदी सूखी, जल स्तर नीचे
Posted on 10 Jun, 2013 11:16 AM वर्षों से बाढ़ की विभीषिका का शिकार रही बिहार की अधिकतर नदियां अब सूखने के कगार पर हैं। बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था और जल संसाधन विभाग की उपेक्षा के साथ-साथ लापरवाही के कारण इनका समन्वय नहीं हो पा रहा है। इससे न केवल किसानों की परेशानी बढ़ रही है, बल्कि इस क्षेत्र के लोग भी इसकी जद में आ रहे हैं। आलम यह है कि कहीं पेयजल की समस्या, तो कहीं नदियों में पानी रहने के कारण खेत बंजर होते जा रहे हैं। इससे खे
गंदे पोखर व कुओं का पानी गर्मी में सहारा
Posted on 09 Jun, 2013 03:45 PM गर्मी में पानी की उपलब्धता को लेकर न सिर्फ शहरवासी चिंतित रहते हैं, बल्कि सरकार व प्रशासन भी। प्रशासन पानी की आपूर्ति को लेकर मैराथन बैठक भी करता है, पर नतीजा हर साल सिफर ही रहता है। गया की भौगोलिक बनावट भी कुछ ऐसी है कि पानी के लिए हाय-तौबा मची ही रहती है। तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरे गया जिले में हर जगह चाहे गांव हो या शहर, पानी की किल्लत बनी ही रहती है। गर्मी की दस्तक के साथ ही जलापूर्ति को लेक
कहानी कुछ जैविक ग्रामों की
Posted on 09 Jun, 2013 11:44 AM अंधाधुंध पेस्टीसाइड्स व फर्टिलाइजर के उपयोग से मिट्टी, पानी व हवा ऊसर होते जा रही है। जहां किसान पहले खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा 3-5 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से देते थे, वहीं आज 10-20 किलो प्रति कट्ठा के हिसाब से दिया जा रहा है। इसकी वजह से धरती पर ग्रीन हाउस बन रहा है और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे बढ़ रहे हैं। यह परिस्थितिकीय चक्र को प्रभावित कर रहा है। परिणामस्वरूप खेत बंजर हो रहे हैं, जलस्त
बिगड़ते पर्यावरण से प्रभावित होता बिहार
Posted on 04 Jun, 2013 12:21 PM दरभंगा नगर निगम ने शहरवासियों को मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
श्री विधि से धान उत्पादन का लक्ष्य संभव
Posted on 31 May, 2013 03:06 PM
धान उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इस वर्ष बिहार में 25 लाख एकड़ क्षेत्र में श्री विधि से धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। बिहार में लगभग 32 से 35 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। श्री विधि और संकर किस्म के धान को बढ़ावा देकर उत्पादकता बढ़ाने का कोशिश हो रही है। धान उत्पादन के लिए केंद्र से ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ बिहार और झारखंड को मिले। श्री विधि स
बिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन
Posted on 31 May, 2013 10:39 AM भारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट।
पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड के लिए बड़ी समस्या है। ऐसे में इसका हल तो ढूढ़ना ही पड़ेगा। इन्हीं चुनौतियों से निबटने के लिए प्रकृति जल ऊर्जा पंप का विकास किया गया है। बिना सरकारी मदद के शुरूआत में यह महंगी लगती है। लेकिन, तीन साल के ईंधन खर्च की बचत से ही इसकी लागत वसूल हो जाती है। ऐसे में यह बहुत सस्ती है। हजारीबाग जिले के मासिपिरी गांव निवासी कर्नल विनय कुमार सेना की नौकरी से रिटायर्ड होकर वर्ष 2005 में अपने गांव लौटे। यहां पर उन्होंने ग्रामीणों को जल संकट से जूझते देखा। पानी के अभाव में फसलों को होने वाली क्षति एवं लोगों के जीवन में आने वाली दिक्कतों ने उन्हें बेचैन कर दिया। सेना की नौकरी ने उन्हें वह मानसिक दृढ़ता प्रदान की थी जिसके चलते वह यथास्थितिवादी बन कर नहीं रह सकते थे। इसलिए उन्होंने इस संकट का हल निकालने की ठानी। तीन-चार साल के अथक प्रयास से जो परिणाम सामने आया वह चौकाने वाला था। एक ऐसी खोज सामने थी जो बिना किसी ईंधन के पानी का प्रबंध कर सकता था। यह खोज था प्रकृति जल ऊर्जा पंप। फिर क्या था कर्नल विनय की बांछें खिल उठी। उन्होंने इसे अपने कृषि फार्म में प्रयोग किया।
चीन ने छोड़ा, भारत ने ओढ़ा
Posted on 20 May, 2013 02:07 PM चीन का तथाकथित अनुभव बटोरने से सत्रह वर्ष पूर्व बाढ़ नियंत्रण के उपायों पर बिहार में विचार-विमर्श की
पीली नदी का प्रपंच
Posted on 20 May, 2013 02:02 PM पीली नदी के इलाके में बाढ़ नियंत्रण की असली तस्वीर कुछ और थी। हमार
बाढ़ नियंत्रण की कोसी यात्रा
Posted on 17 May, 2013 04:12 PM

बड़े बांधों की अवधारणा पर आज देश के लगभग हर इलाके में सिर्फ उसके विनाशकारी परिणामों के संदर्भ में ही नहीं, बल्कि

आतंक बनाम आकर्षण
Posted on 06 May, 2013 04:10 PM

नदी बांधने की आकर्षक अनिवार्यता का परिणाम यह है कि आज यह सवाल भी गौण हो गया है कि युद्ध का वही

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