Posted on 31 Jan, 2015 01:03 PM बिहार की गिनती भारत के सर्वाधिक बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में होती है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (1980) के अनुसार देश के कुल बाढ़ प्रवण क्षेत्र का 16.5 प्रतिशत हिस्सा बिहार में है, जिस पर देश की कुल बाढ़ प्रभावित जनसंख्या की 22.1 प्रतिशत आबादी है। इसका मतलब यह होता है कि अपेक्षाकृत कम क्षेत्र पर बाढ़ से त्रस्त ज्यादा लोग बिहार में निवास करते हैं।
1986 की बाढ़ के बाद किए गए अनुमान के अनुसार यह पाया गया कि बाढ़ प्रवण क्षेत्र का प्रतिशत सारे देश के सन्दर्भ में बढ़कर 56.5 प्रतिशत हो गया है। इसका अधिकांश भाग उत्तर बिहार में पड़ता है जिसकी जनसंख्या 4.06 करोड़ (1991) है तथा क्षेत्रफल 54 लाख हेक्टेयर है। यहाँ की 76 प्रतिशत जमीन बाढ़ से प्रभावित है जबकि जनसंख्या घनत्व लगभग 754 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।
Posted on 20 Jan, 2015 03:47 PMकरीब साल भर पहले बिहार के शेखपुरा जिले के चोढ़ दरगाह गाँव की उषा देवी की मौत महज् 30 वर्ष की आयु में हो गई थी। फ्लोरोसिस नामक बीमारी की वजह से वह छह महीने तक बेड पर रही थी।
उनके पति हीरा रजक कहते हैं, “उसका पूरा शरीर इतना कड़ा हो गया था कि कहीं से वह मोड़ नहीं पाती थी।” खुद हीरा रजक की हालत बहुत बेहतर नहीं है, वे पिछले चार-पाँच साल से चल फिर नहीं पाते। कुछ ही दिन पहले इस बीमारी से गाँव के सुनील रूपस की 35 साल की उम्र में मौत हो गई थी। 2013 के नवम्बर महीने में गाँव की जया देवी की नवजात बच्ची की मौत का कारण भी गाँव वाले फ्लोरोसिस ही बताते हैं।
Posted on 20 Jan, 2015 11:52 AM“जल एवं स्वच्छता का अधिकार” पर पटना में 21-22 जनवरी 2015 को एक कार्यशाला आयोजित की गई है। इस कार्यशाला के आयोजक हैं- वाटर एड, फोरम फॉर पॉलिशी डॉयलॉग ऑन वाटर कन्फीलिक्ट इन इण्डिया, साकी वाटर एवं मेघ पाईन अभियान। कार्यशाला का मीडिया पार्टनर ‘हिन्दी इण्डिया वाटर पोर्टल’ है।
Posted on 19 Jan, 2015 12:25 PM बिहार राज्य के विभाजन के बाद से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की माँग उठ रही है, मगर पिछले 12 वर्षों में इस दिशा में केन्द्र के समक्ष जो माँगें रखी गईं, उनका कोई परिणाम सामने नहीं आया है। आमतौर पर विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए जो शर्तें हैं, उन पर केन्द्र सरकार के अनुसार बिहार खरा नहीं उतरता।
इसके लिए राज्य के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों की अधिकता, आबादी की छिटपुट रिहाइश, उस तक पहुँचने के लिए परिवहन और संचार की मंहगी व्यवस्था और इन्फ्रास्ट्रक्चर का नितान्त अभाव जैसी परिस्थितियाँ आवश्यक होती हैं। राज्य को विशेष दर्जा न दिए जाने के पीछे यही तर्क केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है।