बिहार

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कैसे चलेगी नाव, इस ठांव बंधु
Posted on 08 May, 2015 04:28 PM बीसवीं सदी से पहले जल परिवहन के लिए आवश्यक बल की प्राप्ति वायु के प्रवाह से प्राप्त की जाती थी। इसकी दिशा को मस्तूल और पाल से नियन्त्रित किया जाता था। अब इसके लिए इंजनों का उपयोग होता है। बिहार में 19वीं सदी में सोन नहर का निर्माण हुआ था। तब इस क्षेत्र के किसान अपने उत्पाद को बाजार तक लाने के लिए इनका उपयोग करते थे। वे रस्सी से खींचकर नौका का संचालन किया करत
खराब हालत के घरों के चलते हुई बिहार में त्रासदी
Posted on 03 May, 2015 10:23 AM हिमालय क्षेत्र नेपाल में हुए भूकम्प ने बिहार को इतना असहाय कैसे बना दिया, जिससे 50 से ज्यादा मौतें हो गई?
जल की धाराओं को बाँधना प्राकृतिक आपदाओं को न्यौता : राजेन्द्र सिंह
Posted on 28 Apr, 2015 12:44 PM नदी पुनर्जीवन हेतु जल-जन जोड़ो अभियान के तत्त्वावधान में शुक्रवार को कमला बलान एवं सोनी नदी के त्रिवेणी संगम तट पिपराघाट में नदी संसद का आयोजन जीपीएसभीएस के सौजन्य से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जलपुरूष राजेन्द्र सिंह ने किया। अपने सम्बोधन में श्री सिंह ने लोगों से हर नदीवार संसद बनाकर नदियों के संरक्षण करने की बात कही।
गंगा की अविरलता सुनिश्चित करना जरूरी
Posted on 07 Apr, 2015 01:13 PM गंगा नदी की अविरलता एवं निर्मलता पुनर्स्थापित करने के लिये समेकित एवं सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए कारगर योजना के निर्माण के साथ-साथ उसके ठोस क्रियान्वयन की व्यवस्था जरूरी है, ताकि लक्ष्य की प्राप्ति के साथ-साथ सभी राज्यों के हितों का संरक्षण हो सके।

भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा की निर्मलता और अविरलता को प्राथमिकता दी गई है, परन्तु अधिकांश योजनाएँ गंगा में निर्मलता को सुनिश्चित करने के लिये ही ली गई है। गंगा की अविरलता के बिन्दु पर यथोचित ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण की चौथी बैठक दिनांक 27 अक्टूबर 2014 में गंगा के पर्यावरणीय प्रवाह पर दो समितियों के गठित होने की सूचना दी गई थी, जिसका प्रतिवेदन दिसम्बर 2014 तक प्राप्त होना था।
आज भी सपना है बिहार में शुद्ध पेयजल
Posted on 27 Mar, 2015 10:14 AM

विश्व जल दिवस पर विशेष


तस्वीर में मौजूद इस हैण्डपम्प को देखें। यह हैण्डपम्प बिहार के पूर्णिया जिले के धमदाहा गाँव में हाल ही में राज्य सरकार की ओर से लगवाया गया है। अधिकारियों के कथनानुसार यह आयरन मुक्त जल देने वाला हैण्डपम्प है। मगर इस हैण्डपम्प के नीचे की सिमेंटेड पाट को देखें। वहाँ चन्द महीने में ही जो पीलेपन की परत जम गई है वह सरकारी दावों की पोल खोलती है।

राज्य के कोसी और मिथिलांचल इलाके का बच्चा-बच्चा जानता है कि यह पीलापन पानी में आयरन की अत्यधिक मात्रा की वजह से आता है। इसी वजह से इस इलाके के लोग सफेद और हल्के रंग का कपड़ा कम खरीदते हैं, क्योंकि अगर यहाँ के पानी में उसे साफ किया जाए तो बहुत जल्द कपड़े पर पीलापन छाने लगता है। यह तो रंग की बात है, जिसे एकबारगी लोग सह भी लेते हैं।
बिहार सरकार, जल संसाधन विभाग
Posted on 22 Mar, 2015 03:39 PM थीम पेपर, 02 अप्रैल 2003
नदियों को जोड़कर अतिरेक जल वाली नदी घाटी से जल की कमी वाली नदी घाटी में जल के अन्तरण की योजना तथा बिहार पर इसके प्रभाव
प्रस्तावना
प्रवासी पक्षियों के लिए तरसती बिहार की प्यासी झीलें
Posted on 19 Mar, 2015 11:24 AM

पर्यावरणविद अनुपम मिश्र कहते हैं कि जब हमारे देश में अंग्रेज आये थे, तब उन्हें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक करीब 20 लाख छोटे-बड़े तालाब व झीलें थीं। तब देश में इंजीनियरिंग सिखानेवाला कोई काॅलेज नहीं था। सरकारी स्तर पर सिंचाई की भी अच्छी व्यवस्था नहीं थी। फिर भी पूरे देश में सिंचाई पर अच्छा काम होता था। तब जनता अपनी जिम्मेदारियाँ खुद निभाती थीं। पर आज हम ऐसा नहीं कर रहे हैं।

धरती पर वनस्पति एवं जन्तुओं का निवास है। पृथ्वी पर इसके वास के लिए जल का स्थान अतिमहत्त्वपूर्ण है। इसलिए जल को मानव व अन्य जन्तुओं के लिए आधारभूत आवश्यकता माना गया है। यह एक जीवनदायी तत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी पर 14 अरब घन किमी जल है। जिसमें से 97 प्रतिशत खारा पानी है। 1.8 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ग्रीनलैण्ड जैसे ठण्डे प्रदेशों में स्थित है। सिर्फ 1.2 प्रतिशत भाग पानी हमारे उपयोग के लिए है। विभिन्न जलस्त्रोतों जैसे-नदी, झील, पोखर आदि में उपस्थित है। जिसे हम विभिन्न कार्यों में प्रयोग करते हैं।

हमारे यहाँ तालाबों का लम्बा इतिहास रहा है। यह हमारी सभ्यता का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रही है। पर जैसे-जैसे हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं, उसी तरह हम अपनी संस्कृति व सभ्यता को भी भूलते जा रहे हैं। इसका प्रमाण है बिहार के वैशाली जिले के हजरत जन्दाहा के पूरब में स्थित बरैला झील। इसका इतिहास बड़ा गौरवमय रहा है। यह झील करीब 12 हजार एकड़ में फैली है। यह तकरीबन 250 साल पुरानी झील है।
भागलपुर : गंगा आस्था के साथ आजीविका का सवाल
Posted on 13 Mar, 2015 02:59 PM भागलपुर में गंगा का पाट जितना ज्यादा चौड़ा है, उसके हिसाब से न यहा
Ganga
राष्ट्रीय संवेदना का सवाल
Posted on 12 Mar, 2015 12:51 PM

बिहार की इस विनाशकारी बाढ़ को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जिस प्रकार की संवेदनहीनता दिख रही है वह अत

सिल्टिंग हटाना केन्द्र का काम
Posted on 09 Mar, 2015 01:39 PM प्रस्ताव

माननीय सदस्य श्री यशोदानन्द सिंह का महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर
18 मार्च, 2002


अध्यासीन सदस्य (डॉ. नीलाम्बर चौधरी) : माननीय सदस्य, श्री यशोदानन्द सिंह

श्री यशोदानन्द सिंह : महोदय, परन्तु खेद है कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में …
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