खुद ही विकलांग हुआ शेखपुरा का \"फ्लोरोसिस रोकथाम अभियान\"

करीब साल भर पहले बिहार के शेखपुरा जिले के चोढ़ दरगाह गाँव की उषा देवी की मौत महज् 30 वर्ष की आयु में हो गई थी। फ्लोरोसिस नामक बीमारी की वजह से वह छह महीने तक बेड पर रही थी।

उनके पति हीरा रजक कहते हैं, “उसका पूरा शरीर इतना कड़ा हो गया था कि कहीं से वह मोड़ नहीं पाती थी।” खुद हीरा रजक की हालत बहुत बेहतर नहीं है, वे पिछले चार-पाँच साल से चल फिर नहीं पाते। कुछ ही दिन पहले इस बीमारी से गाँव के सुनील रूपस की 35 साल की उम्र में मौत हो गई थी। 2013 के नवम्बर महीने में गाँव की जया देवी की नवजात बच्ची की मौत का कारण भी गाँव वाले फ्लोरोसिस ही बताते हैं।

जानबूझकर पीते हैं फ्लोराइड वाला पानी


हालांकि यह सिर्फ चोढ़ दरगाह की कहानी ही नहीं है। शेखपुरा जिले के तीन दर्जन से अधिक गाँवों के लोग जानते-बूझते आज भी फ्लोराइडयु्क्त जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।

उन्होंने देखा है कि इसी जहरीले पानी ने जिले के चोढ़ दरगाह गाँव के तीन लोगों की जान ले ली और तकरीबन सवा सौ लोग विकलांगता के शिकार हो गए। मगर क्या करें... शुद्ध पेयजल का कोई दूसरा विकल्प कहाँ है।

हालांकि कुछ साल पहले सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए थे। चापाकलों में मिनी फ्लोराइड ट्रीटमेंट यन्त्र लगे और चोढ़ दरगाह में तो वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ही बिठा दिया गया। मगर समुचित देखरेख की अभाव में ये संयन्त्र ठप पड़ गए। फिर लोगों के सामने जहर पीने की मजबूरी आ गई।

सवा चार सौ रोगी, सवा सौ विकलांग


आँकड़े बताते हैं कि शेखपुरा जिले में सवा चार सौ लोग फ्लोरोसिस रोग के शिकार हैं, इनमें से सवा सौ लोग तो विकलांग हो गए हैं। जलस्रोतों में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने की वजह से यह परेशानी सबसे अधिक जिले के अरियरी प्रखण्ड में है। प्रखण्ड के चोढ़ दरगाह गाँव में इस रसायन की मात्र 11 पीपीएम बताई जाती है।

यह मात्रा सामान्य से सात गुना अधिक है। खासतौर पर गाँव के उन पेयजल स्रोतों में फ्लोराइड की अधिक मात्रा है जिनकी गहराई डेढ़ सौ फीट से अधिक है। जबकि ऊपरी लेयर वाले जलस्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा महज् 2.5 पीपीएम है। सामान्य मात्रा 1.5 पीपीएम होनी चाहिए।

ट्रीटमेंट प्लांट बेकार


चोढ़ दरगाह गाँव में 35-35 लाख की लागत से फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन किया गया था। करीब चार साल पूर्व क्रियान्वित योजना में पश्चिमी चोढ़ दरगाह के पश्चिमी टोला का ट्रीटमेंट प्लांट तो उपयोगी है। परन्तु गाँव के रविदास टोला जहाँ फ्लोराइड से विकलांगों की संख्या पाँच दर्जन से अधिक है वहाँ आज भी प्रथम ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नहीं पहुँच सका। ऊँचाई से गहराई में ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराए जाने से यह स्थिति हुई। इस ट्रीटमेंट प्लांट के लिए पीड़ितों ने सांसद और विधायकों से कई बार गुजारिश की परन्तु इन पीड़ितों को फ्लोराइड मुक्त पेयजल नसीब नहीं हो पाया।

नाकाम हुई करोड़ों की योजनाएँ


जिले में फ्लोराइड से दूषित जलस्रोत वाले गाँवों की संख्या चालीस है। इन गाँवों में लगभग दो सौ चापाकलों में मिनी फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए थे। करीब 50 हजार की लागत से एक-एक चापाकल में लगाए गए ट्रीटमेंट प्लांट को लगाया तो जरूर गया परन्तु वे रख-रखाव के अभाव के कारण जल्द नाकाम हो गए।

इसके साथ ही लगभग दो दर्जन गाँव में लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिए 35-35 लाख की लागत से फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया। सरकार की यह बेशकीमती योजना भी रख-रखाव के अभाव में चरमरा गई। विभिन्न कारणों से आधे से अधिक जलापूर्ति प्लांट ठप हैं और लोग दूषित पानी पीने को ही विवश हैं।

ठप पड़ा स्वास्थ्य विभाग का अभियान


शेखपुरा गाँव में फ्लोराइडइधर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को फ्लोरोसिस से बचाने के लिए दो वर्ष पूर्व अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सर्वे कर दूषित जलस्रोत वाले गाँव और बीमारी से ग्रसित लोगों की पहचान करना, गाँवों के पानी का नमूना लेकर उसकी जाँच करना, फ्लोरोसिस के प्रति जागरुकता का प्रसार करना और उन्हें समुचित दवाएँ उपलब्ध करा कर उनकी बढ़ती बीमारी की रोकथाम कराना है। परन्तु यह अभियान में पिछले दो सालों में अपनी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सका है।

इस अभियान की मॉनिटरिंग करने वाले कंसलटेंट जैसे शीर्ष पद रिक्त हैं। इसके साथ ही सात लाख रुपए का आवण्टन होने के बाद भी प्रयोगशाला सह जल जाँच सामग्री का जुटान नहीं किया जा सका है। नतीजतन वहाँ तैनात लैब टेक्नीशियन से ब्लड टेस्ट का काम लिया जा रहा है। जबकि तीन क्षेत्र अन्वेषक सर्वेक्षण के बाद बेरोजगारी की स्थिति झेल रहे हैं।

खास बातें :


1. शेखपुरा जिले में फ्लोरोसिस पीड़ितों की संख्या- 425
2. फ्लोराइडग्रस्त जलस्रोत वाले गाँवों की संख्या- 40 3. सबसे प्रभावित गाँव- चोढ़ दरगाह, 125 बीमार, अब तक तीन की मौत
4. प्रभावित गाँवों में करोड़ों के ट्रीटमेंट प्लांट नाकाम पड़े हैं।

क्या कहते है अधिकारी :


जिले में फ्लोरोसिस पीड़ितों के बचाव के लिए शिविर आयोजित कर दवाएँ वितरित की जा रही है। जागरुकता के लिए सर्वे और प्रचार-प्रसार कराए जा रहे हैं। फ्लोरोसिस नियन्त्रण अभियान को सुचारु रूप से चलाने के लिए कंसलटेंट की नियुक्ति एवं प्रयोग सामग्री आपूर्ति की कार्रवाई की जा रही है।
विजय कुमार सिविल सर्जन, शेखपुरा

चोढ़ दरगाह में फ्लोराइड से दूषित चापाकलों को लाल रंग से रंग कर पानी पीने पर रोक लगाया गया है। बेकार पड़े ट्रीटमेंट प्लांट के चालू कराने के लिए विभाग को पत्रचार दिया गया है।
निर्मल कुमार- कार्यपालक अभियन्ता पीएचइडी, शेखपुरा

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Post By: Shivendra
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