पंकज चतुर्वेदी

पंकज चतुर्वेदी
सोन नदी में बेखौफ घुलता जहर
Posted on 07 Nov, 2014 04:28 PM

यहां के बाशिंदे हताश हो चुके हैं, कोई भी राजनीतिक दल अब उनकी इस समस्या को समस्या ही नहीं मानता

Son river
यूं बेनूर हो गई शाम-ए-अवध
Posted on 07 Nov, 2014 03:50 PM
गोमती नदी में प्रदूषण की शुरुआत लखनऊ से 50 किमी पहले ही सीतापुर जिल
Gomti river
कावेरी : लहर में जहर
Posted on 07 Nov, 2014 03:20 PM
प्रदूषण बोर्ड की रपट को आए 13 साल बीत गए, कावेरी में ना जाने कितना
Kaveri
बंगलूरू: कैसे कंक्रीट के जंगल लील गए तालाबों को
Posted on 06 Nov, 2014 01:53 PM

बीते दो दशकों के दौरान बंगलूरू शहर की कई बड़ी झीलों को पहले दूषित किया गया, फिर उन्हें पाटा गया और उसके बाद उनका इस्तेमाल शहरीकरण के लिए हो गया। इसी का परिणाम है कि थोड़ी-सी बारिश में अब शहर में बाढ़ आ जाती है। वहां का मौसम अब इतना खुशगवार रहता नहीं है। शहर की कुछ ऐसी झीले जो देखते-ही-देखते नए अवतार में आईं।
 

pond
धारवाड़, हुबली, मैसूर: हर जगह का एक ही दर्द
Posted on 06 Nov, 2014 11:51 AM

शहर से ढाई किलोमीटर दूर स्थित इस तालाब का क्षेत्रफल 250 एकड़ व कैचमेंट एरिया 4651 वर्ग किलोमीट

pankaj chaturvedi
‘केरे’ का शहर बन गया कंक्रीट का ‘काड़ू’
Posted on 06 Nov, 2014 10:59 AM
एक सदी पहले किसी दानवीर द्वारा गढ़े गए कामाक्षी पाल्या तालाब से तो
water management
तालाबों को बिसराने से रीता कर्नाटक
Posted on 01 Nov, 2014 01:00 PM
सदानीरा कहे जाने वाले दक्षिणी राज्य कर्नाटक में वर्ष 2013 के फागुन शुरू होने से पहले ही सूखे की आहट सुनाई देने लगी है। कई गांवों में अभी से ठेला गाड़ी या टैंकर से पानी की सप्लाई हो रही है। कोई 7500 गांवों के साथ-साथ बंगलूरू, मंगलौर, मैसूर जैसे शहरों में पानी की राशनिंग शुरू हो गई है।
<i>मिक्केरे झील</i>
तालाब मिटते गए सूखा बढ़ता गया
Posted on 29 Oct, 2014 12:53 PM
यहां पचास हजार से अधिक कुएं हैं कोई सात सौ पुराने ताल-तलैया। केन, उर्मिल, लोहर, बन्ने, धसान, काठन, बाचारी, तारपेट जैसी नदियां हैं। इसके अलावा सैंकड़ों बरसाती नाले और अनगिनत प्राकृतिक झिर व झरने भी इस जिले में मौजूद हैं। इतनी पानीदार तस्वीर की हकीकत यह है कि जिला मुख्यालय में भी बारिश के दिनों में एक समय ही पानी आता है।

होली के बाद गांव-के-गांव पानी की कमी के कारण खाली होने लग जाते हैं। चैत तक तो जिले के सभी शहर-कस्बे पानी की एक-एक बूंद के लिए बिलखने लगते हैं। लोग सरकार को कोसते हैं लेकिन इस त्रासदी का ठीकरा केवल प्रशासन के सिर फोड़ना बेमानी होगा, इसका असली कसूरवार तो यहां के बाशिंदे हैं, जिन्होंने नलों से घर पर पानी आता देख अपने पुश्तैनी तालाबों में गाद भर दी थी, कुओं को बिसरा कर नलकूपों की ओर लपके थे और जंगलों को उजाड़ कर नदियों को उथला बना दिया था।
<i>प्रताप सागर तालाब</i>
हैदराबाद: शहरीकरण के सुरसामुख में समाई झीलें
Posted on 21 Oct, 2014 04:20 PM
आंध्र प्रदेश राज्य के प्रस्तावित बंटवारे में सबसे बड़ा पेंच राजधानी हैदराबाद को ले कर है और हो भी क्यों ना, आखिर लगभग सभी सियासती दलों के बड़े नेताओं के व्यापारिक प्रतिष्ठान यहीं पर हैं। वैसे यह त्रासदी बड़ी चालाकी से छिपाई जाती रही है कि हैदराबाद की ऊपरी चकाचौंध के पीछे उसकी प्यास, पानी की कमी और प्रदूषण का विद्रूप चेहरा भी है यह हालात वहां के पारंपरिक तालाबों पर बलात कब्जों के कारण पैदा हुए हैं।

वैसे तो हैदराबाद भारत के सबसे तेजी से उभरते शहर, चारमीनार, बिरयानी और हुसैन सागर के लिए बेहद मशहूर है, लेकिन असलियत में इसकी सांसों में भीतर-ही-भीतर ऐसा जहर घुल रहा है कि आने वाले दिनों में यहां के दमकते चेहरे की चमक बनाए रखना मुश्किल होगा। असल में पंद्रहवीं सदी में बसाया गया यह शहर उस समय वेनिस की तरह ढेर सारी झीलों और तालाबों के किनारे संवारा गया था। जुड़वां शहर - हैदराबाद और सिंकंदराबाद का विभाजन दुनिया की सबसे बड़ी मानव-निर्मित झील ‘‘हुसैन सागर’’ से हुआ।
<i>हुसैन सागर झील</i>
गोबर को ‘गोबर’ ही ना समझो
Posted on 19 Oct, 2014 01:47 PM
कृत्रिम उर्वरक यानी रासायनिक खादें मिट्टी में मौजूद प्राकृतिक खनिज
dung flower pot
×