प्रेस नोट-दिनांक 5 नवंबर 2023 को एम. सी. मेहता एन्वायरनमेट फाउंडेशन, द्वारा मीडावाला, थानों में स्थित ईकोआश्रम में "बायोडायवर्सिटी कैम्पेन " कार्यक्रम का आयोजन किया गया
Honeywell’s environmental sustainability index, a quarterly index reveals a growing number of organisations globally are boosting annual sustainability investments by at least 50%, and are optimistic about achieving short- and long-term objectives
भारतीय संस्कृति तो नदियों को पोषणकारी मां मानकर व्यवहार करती रही है। आज की शोषणकारी सभ्यता नदियों का इस्तेमाल उद्योगों के लिए मालगाड़ी की तरह करती है। नदियों को बाजार की बस्तु बनाने की साजिश दिखती है। इस साजिश को रोकना हमारे समय का सबसे जरूरी काम है। नदियों का अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण रोकने वाली नीतियां कभी नहीं बनीं। हमने नदी नीति तैयार की है। नदियों के लिए अगर कोई नीति हो, तो ऐसी होनी चाहिए
संयुक्त राष्ट्र ने गंगा नदी को साफ करने के लिए नमामि गंगे परियोजना को दुनिया की दस अग्रणी पहलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है, जो प्रकृति संरक्षण का काम कर रहे हैं। लेकिन जल विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र की इस मान्यता से प्रभावित नहीं हैं, उनका कहना है कि एजेंसी ने इस परियोजना को इस सूची में रखने के लिए आवश्यक मानदंडों के बारे में विवरण नहीं दिया है। इसके अलावा, पिछले कुछ वर्षों में किए गए कई अध्ययनों से पता चला है कि इस तरह की कई परियोजनाओं के बावजूद गंगा में पानी की गुणवत्ता खराब बनी हुई है।
विश्व युवक केंद्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर सिंह द्वारा सभी लोगों के स्वागत के साथ की गई। पहले सत्र में अतिथियों ने महाराष्ट्र के वर्धा जिले में बजाज फाउंडेशन द्वारा की गई पहल के चलते किसानों की आय में बढ़ोतरी और जल प्रबंधन के मॉडल की सराहना की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे वर्धा के विधायक पंकज भोयर ने कहा कि देश में अगर खेती के क्षेत्र में परिवर्तन देखना हो तो महाराष्ट्र के वर्धा जिले के किसानों के खेतों में आएं
मौसम में बदलाव हो रहा है। वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। इस के कारण ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं, जिन का पानी जा कर समुद्र में मिल रहा है। इस से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। अगर इसी रफ्तार से यह सब चलता रहा तो दुनिया के नक्शे से कई शहर मिट जाएंगे
प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (स्वामी सानंद) के गंगा आंदोलन का उद्देश्य गंगा नदी को बांधने से बचाना और उसकी अविरल प्रवाह सुनिश्चित करना था। इस आंदोलन को संतों, विभिन्न सामाजिक संगठनों और पर्यावरणविदों ने लंबे समय से नदी की रक्षा के लिए शुरू किया था। इसी तरह, पर्यावरणविद प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल ने हरिद्वार के मातृ सदन में भागीरथी नदी पर बन रही लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना के विरोध में अनशन किया था। इस आंदोलन को ऐतिहासिक सफलता मिली, जब केंद्र सरकार ने गोमुख से 50 किलोमीटर दूर लोहारीनाग पाला जलविद्युत परियोजना को रद्द करने का फैसला लिया था।
गौरा देवी चिपको आन्दोलन की सर्वाधिक सुपरिचित महिला रहीं। इस पर भी उनकी पारिवारिक या गाँव की दिक्कतें घटी नहीं। चिपको को महिलाओं का आन्दोलन बताया गया पर यह केवल महिलाओं का कितना था ? अपनी ही संपदा से वंचित लोगों ने अपना प्राकृतिक अधिकार पाने के लिए चिपको आन्दोलन शुरू किया था।
अगली सुबह रैणी के पुरुष ही नहीं, गोविन्द सिंह रावत, चंडी प्रसाद भट्ट और हयात सिंह भी आ गये। रैणी की महिलाओं का मायका बच गया और प्रतिरोध की सौम्यता और गरिमा भी बनी रही। 27 मार्च 1974 को रैणी में सभा हुई, फिर 31 मार्च को इस बीच बारी-बारी से जंगल की निगरानी की गई।
विकसित हो रहे मोबिलिटी क्षेत्र में कुशल लोगों की कमी को देखते हुए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन कार्यरत ईएसएससीआई विभिन्न ट्रेनिंग पार्टनर्स के जरिये युवाओं को प्रशिक्षित कर इंडस्ट्री के लिए तैयार कर रहा है। विभिन्न इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ मिलकर ई-मोबिलिटी सेक्टर के लिए करिकुलम डिजाइन किए गए हैं..
भूकंप वैज्ञानिकों का काम भूकंपीय घटनाओं की उत्पत्ति, प्रकार और माप को जानने का होता है ताकि उनका उपयोग विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा सके। भूकंप विज्ञान और भूकंप इंजीनियरिंग परस्पर सम्बद्ध क्षेत्र हैं, जिनमें भूकंप वैज्ञानिकों के अलावा कंप्यूटर, भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और सिविल और संरचना इंजीनियरिंग में पेशेवर तकनीकी कर्मी भी होते हैं। भूकंपों के प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने के मुद्दे पर काम करने वाले लोगों में से एक हैं भूकंप इंजीनियर, जिनका काम है कि वे नए इमारतों का निर्माण करते समय भूकंप प्रतिरोधी सुविधाओं का होना सुनिश्चित करें। उनका काम दो पहलुओं से सम्बन्धित है
विकासशील देशों को समुचित अनुकूलन प्रणाली विकसित कर जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी कृषि की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने की नीतियां एवं योजनाएं बनानी प्रांरभ कर देनी चाहिए। मुक्त वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं बाजार के विस्तार के कारण महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक कृषि संसाधनों; जल, भूमि, मृदा, वन एवं जैव विविधता का ह्रास तथा तीव्र अवनयन हुआ है। फलस्वरूप विगत तीन दशकों में कृषि उत्पादकता में भारी गिरावट आयी है।
आज उत्तराखण्ड और केन्द्र, दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। भाजपा आज भी खुद को हिंदू संस्कृति का पोषक बताते नहीं थकती है। आज कोई हिंदू संगठन नहीं कह रहा है कि जोशीमठ का धारी देवी मन्दिर हो या गंगा; आस्थावानों के लिए दोनों तीर्थ हैं। गंगा स्नान, संयम, शुद्धि और मुक्ति का पथ है। गंगा विलास काम, भोग और धनलिप्सा का यात्री बनाने आया है। गंगा हमारी पूज्या हैं। हम पहाड़ों के विध्वंस और गंगा पर भोग-विलास की इजाज़त नहीं दे सकते। यह हमारी आस्था के साथ कुठाराघात है।
मानव जीवन का अस्तित्व प्रकृति के संतुलन पर आधारित है. विकास की अंधी दौड़ में मानव समाज प्रकृति को व्यापक तौर पर क्षतिग्रस्त कर चुका है. वर्तमान वस्तुस्थिति यह है कि अपनी ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है. भौतिक विकास के जिस आयाम तक हम अपनी प्रकृति को खींच लाये हैं, वहां से मानव जाति का अस्तित्व अंधकारपूर्ण दिख रहा है.
ग्रामीणजनों को विश्वबैंक से न्याय की उम्मीद है। हाट गांव के ग्रामीणों का कहना है कि परियोजना के कारण हाट गांव में स्थित पुरातन लक्ष्मी नारायण मंदिर बर्बाद हो जाएगा, जो कि एक ‘फिजिकल कल्चरल रिसोर्स’ है, और जिसपर ग्रामीणों की आजीविका टिकी हुई है।
पहाड़ पर बहुत सारे शहर ऐसे स्थानों पर हैं जहां जमीन खिसक सकती है और बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। ये शहर नदियों के भी करीब हैं, जिससे भूस्खलन की समस्या और भी बदतर हो सकती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि अधिक लोग इन खतरनाक क्षेत्रों में रहने न आएं।
वर्षा जल संरक्षण के लिए राज्य में सभी नौले, धारे और नदियों का मानचित्र बनाकर मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। नदियों की शुरुआत से अंत तक के पानी को संग्रहित करने के उपायों में हजारों चेकडैम और जल संरक्षण के पौधे शामिल होंगे