Kesar Singh

चंपावत की श्यामला ताल झील सूखने लगी है
जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
Kesar Singh posted 2 months ago
चंपावत की श्यामलाताल झील, प्रतीकात्मक
भारत के 100 शहर भयानक जल संकट की चपेट में हैं
देश में जलसंकट का प्रचार ज्यादा है, काम कम हो रहा है, जलसंकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। लेख में इस संकट की चर्चा और समाधान | Kesar Singh posted 2 months ago
जलसंकट
आज बेंगलुरु सूखा, कल दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई . .
जानिए क्या कारण है, बेंगलुरु जलसंकट का। क्यों आज यह बेंगलुरु की जलसंकट कहानी है, कल आपके शहर की होने वाली है।   Kesar Singh posted 2 months 1 week ago
बेंगलुरु जलसंकट
पानी संकट का वर्तमान-भूत-भविष्य
जल संकट वर्तमान में विश्वव्यापी और विश्व की बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है। धरती का धरातल का दो-तिहाई पानी होने के बावजूद हम गंभीर रूप से जल-संकट का सामना कर रहे हैं।

Kesar Singh posted 2 months 1 week ago
विश्वव्यापी जल संकट
मुफ्त फोन कॉल तथा इंटरनेट डाटा का समाज, स्वास्थ्य और संसाधनों पर विपरीत प्रभाव
वर्तमान में फोन और इंटरनेट का प्रयोग इतना अधिक हो गया है जो न सिर्फ हमारी जीवन शैली, स्वास्थ्य, पारिवारिक रिश्ते, सामुदायिक सामंजस्यता और संस्कारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। बल्कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे, जल, जमीन व पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। Kesar Singh posted 10 months 3 weeks ago
परेशानी का वेब
अल्मोड़ा के मोहन कांडपाल के 'पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान' से सूखती रिस्कन नदी के बचने की उम्मीद जागी
गंगा-यमुना जैसी नदियों के मायके के प्रदेश उत्तराखंड में नदियों के हालात पर चर्चा और कुछ अच्छे प्रयोगों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मीडिया मित्र मिलन का कार्यक्रम रखा गया। Kesar Singh posted 1 year ago
पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान
जल मृदा-पौधे भोजन शृंखला के द्वारा मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन
महाद्वीपीय परत में आर्सेनिक की औसत सांद्रता 1-5 मिलीग्राम / किग्रा होती है जो यह दोनों एंथ्रोपोजेनिक और भूजनिक स्रोतों से आती है। यद्यपि, आर्सेनिक प्रदूषण के एंथ्रोपोजेनिक स्रोतों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो कि बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हाल ही के प्रकरण में यहाँ यह भी ध्यान दिया जाना चाहिये कि गंगा- मेघना ब्रह्मपुत्र (GMB) नदियों के मैदानी क्षेत्रों में भूजल का आर्सेनिक प्रदूषण भूजनिक प्रवृति का है











Kesar Singh posted 1 year 1 month ago
मनुष्यों में आर्सेनिक का एक्सपोजर एक मूल्यांकन,Pc-N18
मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण 
विभिन्न जल संसाधनों में से भूजल हमारे दिन-प्रतिदिन जीवन की क्रियाओं में अधिकतम योगदान देता है। विश्व के कुल 3% ताजा जल संसाधनों में से अधिकतर जल ध्रुवीय और पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फ के रूप में पाया जाता है, वैश्विक जल का केवल 1% भाग ही तरल अवस्था में मौजूद है। जबकि, कुल 98% ताजा भूजल तरल अवस्था में पाया जाता है, इसलिये, यह पृथ्वी का सबसे मूल्यवान ताजा जल संसाधन है। भूजल की गुणवत्ता मानव स्वास्थ्य और खाद्यान की मात्रा एवं गुणवत्ता के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह मृदा, फसलों और आसपास के वातावरण को प्रभावित करती है।



Kesar Singh posted 1 year 1 month ago
मानवीय हस्तक्षेप के कारण भूजल प्रदूषण,Pc-Indiatimes
भारतीय कृषि में आधुनिक - उन्नत सिंचाई विधियां
भारत के कृषि पर निर्भर होने के कारण सिंचाई इसकी रीढ़ की हड्डी है। कृषि के उपयोग में आने वाली सामग्रियों (इनपुट) में बीज, उर्वरक, पादप संरक्षण, मशीनरी और ऋण के अतिरिक्त सिंचाई की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। सिंचाई सूखी भूमि को वर्षा जल के पूरक के तौर पर जल की आपूर्ति की एक विधि है, इसका मुख्य लक्ष्य कृआप्लावन और बारहमासी
नहरों तथा बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के द्वारा की जाती है।
Kesar Singh posted 1 year 1 month ago
भारतीय कृषि में आधुनिक उन्नत सिंचाई विधियां, PC- Mid
वाटरकीपर डायने विल्सन गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार 2023 से सम्मानित
पर्यावरण के क्षेत्र में गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार नोबेल के समकक्ष का पुरस्कार है। भारत की कई महत्वपूर्ण शख्सियतों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। भारत से मेधा पाटेकर, पर्यावरण प्रख्यात अधिवक्ता वकील एमसी मेहता, चंपा देवी शुक्ला आदि कई लोग गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। इस पुरस्कार को ग्रीन नोबेल पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
वाटरकीपर डायने विल्सन
पानी के लिए अब जरधोबा में नहीं होती लड़ाइयां : पहले था पानी के लिए हाहाकार, अब हर घर में साफ पानी
मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर. तक करा दी थी। ऐसे में पानी को लेकर गांव में तनाव बना रहता था। लेकिन पिछले साल जब हर घर नल कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना पर काम शुरू किया गया, तब यह उम्मीद जगी कि भविष्य में पानी को लेकर गांव में लड़ाइयां नहीं होगी। आखिरकार यह योजना क्रियान्वित हो गई और अब हर घर में साफ पानी मिलने लगा है। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
जरधोबा
पर्यावरण रक्षक सिद्ध गिद्ध
पहले हमारे शहरों, खासकर हमारे गाँवों के गोचर व कचरे वाले स्थल, व जंगलों में इनकी संख्या बहुत हुआ करती थी, लेकिन अब यदाकदा ही हमें गिद्ध कहीं नजर आते हैं। गिद्ध पक्षी को रामायण में जटायु के रूप में रावण से लड़कर मरने के कारण हम उसे श्रद्धा से देखते हैं, जबकि आमतौर पर इसे घृणित और बदसूरत पक्षी के रूप में जानते हैं व मरे हुए जानवरों के माँस को खाने के कारण हम इन्हें कम पसन्द करते हैं। लेकिन इसके इस महत्वपूर्ण काम के लिए इसे हम पर्यावरण का रक्षक भी कहते हैं Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
गिद्ध, साभार - विकिपीडिया
ई-कचरा : पर्यावरण प्रदूषण का नया आयाम
सेलफोन, टेलीविजन कम्प्यूटर व लैपटॉप आदि ने संचार की दुनिया का परिदृश्य बदला, वहीं दूसरी ओर इससे उपजे कचरे ने पर्यावरण असंतुलन में भयानक योगदान दिया है। दरअसल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते प्रयोग के साथ-साथ ई-कचरे के परिमाण में भी अभिवृद्धि हुई है। खराब अथवा प्रयोग में न आने वाले मोबाइल फोन, टीवी, कम्प्यूटर, प्रिन्टर, छायाकन मशीन, रेडियो, ट्रांजिस्टर आदि उपकरणों का ढेर विश्वव्यापी समस्या बन चुके हैं। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
ई-कचरा
पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष : कार्बन उत्सर्जन में गांव भी पीछे नहीं
शिवचंद्र सिंह तीन भाई हैं और तीनों किसान हैं. ये तीनों चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड एवं मूसलाधार बारिश की मार झेलकर भी धरती का सीना चीर अनाज उपजाते हैं, तब बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता है. बिहार के वैशाली जिले का एक गांव है कालापहाड़. शिवचंद्र सिंह की तरह ही इस गांव में बिल्कुल अलग बसे एक टोले के करीब 30 परिवारों का पेशा भी किसानी ही है. शिवचंद्र कहते हैं कि भीषण गर्मी के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इस कारण सिंचाई करना मुश्किल हो रहा है. डीजल महंगा है और इधर बिजली चालित मोटर पंप पानी खींच नहीं पा रहा है. Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
Temple pond in Kerala (Image: Sreekanth V, Wikimedia Commons)
पारितंत्रीय बहाली एवं कार्बन फुटप्रिंट घटाने हेतु अभिनव प्रयत्न
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली (इकोसिस्टम रेस्टोरेशन) कई मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के इसी मौके पर आधिकारिक रूप से यूनाइटेड नेशंस डिकेड ऑन इकोसिस्टम रेस्टोरेशन 2021-2030 लॉन्च किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक महाद्वीप और समस्त महासागरों में हो रहे  पारिस्थितिक तंत्र के अपकर्ष को रोकना और अधोमुखी करना है। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
कार्बन फुटप्रिंट, साभार - जागरण जोश
शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण
आज से करीब 30 वर्ष पहले पहाड़ के दूरदराज के गांवों में, गांव के लोगों के अनुरोध पर हमने स्कूल खोले। उस समय औसतन 7-10 गांवों के बीच एक सरकारी स्कूल हुआ करता था, पहाड़ के गांव छोटे- छोटे और बिखरे हुए होते हैं, एक गांव से दूसरे गांव की दूरी तय करने में घंटों लग सकते हैं, अब तो खैर स्थिति बदल गई है, सड़कें भी बन गई हैं और सरकारी स्कूलों की तादाद भी बढ़ी है।
Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण,Pc- Fii
तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा
पिछले दो दशकों में हमारे देश में तकनीक आधारित डिजिटल सेवाओं का बड़ा विस्तार हुआ है। उसका सबसे बड़ा प्रभाव बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में देखने को मिलता है। सरकार द्वारा ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देने के कारण ऑनलाइन लेन-देन में आशातीत बढ़ोतरी हुई है। माना जाता है कि अब लगभग चालीस प्रतिशत लेन-देन ऑनलाइन माध्यमों से ही हो रहा है। देश में पंचायत स्तर तक नागरिक सुविधा केंद्र यानी कॉमन सर्विस सेंटर का जाल बिछाया गया है, जो कई तरह की सेवाएं प्रदान कर रहे है। किताबें हों, कपड़े हों या घरेलू उपयोग का कोई और सामान, घर बैठे मंगवाया जा सकता है। और अब तो राशन और सब्जियां आदि भी सीधे दुकान से घर पहुंचने की व्यवस्था की जा रही है। शिक्षा, आवागमन, यातायात, चिकित्सा, शोध और विकास जैसे सभी क्षेत्रों में सूचना तकनीक ने अपना हस्तक्षेप बढ़ा लिया है। यह प्रगति की दिशा में एक अच्छा सूचक है। भारत सूचना सेवाओं के लिए एक निर्यातक देश माना जाता है और हमें विश्व में सॉफ्ट पॉवर की तरह देखा जाता है।
Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा, Pc-stockholm
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी का अर्थ है जीवित प्राणियों के आपसी तथा पर्यावरण के साथ उनके संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन। पेड़-पौधे, जंतु और सूक्ष्म जीवाणु अपने चारों ओर के पर्यावरण के साथ अन्योन्यक्रिया करते हैं। पर्यावरण के साथ मिलकर वे एक स्वतंत्रा इकाई की सृष्टि करते हैं जिसे पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र (इकोसिस्टम) का नाम दिया जाता है। वन, पहाड़, मरुस्थल, सागर आदि पारितंत्रों के ही उदाहरण हैं। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना,PC-dreamstime
पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह 
हाल ही के वर्षों में वहां बर्फ इतनी तेजी से पिचलने लगी है कि जिसे देखकर डर लगता है डर की वजह यह है कि इन इलाकों की एक सेंटीमीटर बर्फ पिघलने का असर 60 लाख लोगों पर पड़ता है। इसका अभिप्राय यह है कि इस तरह 60 लाख नए लोग डूब क्षेत्र की जद में आ जाते हैं। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह,Pc-Flicker Hindi Water Portal
क्लाइमेट इमरजेंसी हंगामा है क्यों बरपा
पूरी दुनिया में मौसमों की चाल ने ऐसी कयामत बरपाई है कि हर कोई हैरान-परेशान है। धरती पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं से लेकर इंसान भी इस गफलत में पड़ गये हैं कि वह आखिर तेज गर्मी सर्दी से कैसे बचें। विज्ञान के तमाम आविष्कारों के बल पर हर परिस्थिति से लड़ने में सक्षम इंसान अब खुद को बचाए रखने की जद्दोजहद से जूझने लगा है। ऐसा लग रहा है मानो पृथ्वी पर कोई प्राकृतिक या मौसमी आपातकाल लग गया है और उससे बचने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। Kesar Singh posted 1 year 2 months ago
2020 was one of the warmest years in India despite La Nina which typically has a cooling effect on global temperatures.(Image: Tumisu, Pixabay)
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