Kesar Singh

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मददगार सौर ऊर्जा
भारत, जो विश्व के सबसे जनसंख्या वाले देशों में से एक है, के लिए सौर ऊर्जा एक आदर्श ऊर्जा स्रोत है क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल है और कार्बन डाइऑक्साइड नहीं छोड़ती। यह गैर-नवीकरणीय ऊर्जा का एक श्रेष्ठ विकल्प है क्योंकि यह अक्षय है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग खाना पकाने, सुखाने और बिजली जैसे विभिन्न कार्यों के लिए कर सकते हैं। भारत में बिजली का उत्पादन महंगा होने के कारण, सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है। Kesar Singh posted 6 months 1 week ago
सौर उर्जा
समृद्ध जैव संकेतक और जलीय जैविक-संपदा से परिपूर्ण अंडमान द्वीप समूह
प्रदूषण और पर्यावर्णीय जैव निगरानी के लिए जैव संकेतक के रूप में प्रोटोजोआ सहित कई प्रजातियों के महत्व को लम्बे समय से मान्यता प्राप्त है, विशेष रूप से जल शोधन संयंत्रों और सक्रिय स्लज (कोच) प्रक्रियाओं में। इनके प्रति समझ हमें विकसित करनी पड़ेगी। Kesar Singh posted 6 months 1 week ago
जलीय जैविक-संपदा से परिपूर्ण अंडमान द्वीप समूह
ग्रीन करियर : पवन ऊर्जा में है भविष्य का मजबूत करियर
पवन ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार का मजबूत भविष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2035 तक पवन ऊर्जा जनरेट करने की लागत आज के मुकाबले 17 से 35 फीसदी तक कम हो जायेगी और पवन ऊर्जा का उत्पादन आज से कई सौ फीसदी बढ़ जायेगा। इसलिए इस ऊर्जा का भविष्य अक्षय है, क्योंकि यह प्राकृतिक संसाधन कभी कम नहीं होगा। पवन ऊर्जा प्रदूषण रहित है, जिस कारण जलवायु परिवर्तन से निपटने में इसके जरिये मदद मिलती है। Kesar Singh posted 6 months 1 week ago
पवन उर्जा भारत का भविष्य
पर्यावरण प्रदूषण और विकट समस्या जलवायु परिवर्तन से महासागर को सहेजना आवश्यक
पर्यावरण प्रदूषण और मौजूदा समय की विकट होती समस्या जलवायु परिवर्तन का महासागर पर क्या असर होता है? और इसके विपरीत महासागर पर्यावरण और मानव जीवन पर किस तरह से प्रतिक्रिया करता है, इन तमाम बातों को समझने के लिए भारतीय वैज्ञानिक लगातार अनुसंधान कर रहे हैं। What is the impact of environmental pollution and climate change on the ocean? And on the contrary, Indian scientists are continuously doing research to understand how the ocean reacts to the environment and human life. Kesar Singh posted 6 months 1 week ago
पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का महासागर पर असर
भारत के जलनायक
प्राचीन वैदिक काल में ही नहीं बल्कि मध्यकाल और उसके बाद के समय में भी जल विकास और संचयन के क्षेत्रों में उत्कृष्ट निर्माण कार्य किए गए। जल विकास और संचयन के अनेक प्रमुख कार्य तो स्वाधीनता संग्राम के साथ-साथ ही चलाए गए जिनके निर्माण में भारतीय इंजीनियरों, स्वतंत्रता सेनानियों, रजवाड़ों और राजघरानों के शासकों और अनेक अज्ञात नायकों ने उल्लेखनीय सफलताएँ प्राप्त करके देश में अपनी अमिट छाप लगा दी। Not only in the ancient Vedic period but also in the medieval period and thereafter, excellent construction works were done in the fields of water development and harvesting. Many major works of water development and harvesting were carried out simultaneously with the freedom struggle, in the construction of which Indian engineers, freedom fighters, rulers of princely states and royal families and many unknown heroes achieved remarkable successes and left their indelible mark in the country. Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
जल समृद्ध परंपरा
जल प्रशासन में गुजरात और भारत की जलयात्रा
गुजरात और भारत की जल यात्रा बहुत दिलचस्प है, जिसने दुनिया को दिखाया है कि जल को संधारणीय बनाने और पर्यावरण संरक्षण को बहाल करने के लिए जल प्रबंधन में कैसे नयापन लाया जा सकता है। संधारणीयता के उद्देश्य से, लोगों की भागीदारी प्रौद्योगिकी पर केंद्रित ये पहल, पूरी दुनिया के लिए किफायती, प्रेरक और विश्वसनीय मॉडल का मार्ग प्रशस्त करती है। The water journey of Gujarat and India is very interesting, which has shown the world how to innovate in water management to make water sustainability and restore environmental protection. These initiatives, focused on people-participatory technology with the aim of sustainability, pave the way for affordable, inspiring and reliable models for the entire world. Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
जल प्रशासन में गुजरात की भूमिका प्रभावी
पर्यावरण-अनुकूलन के लिए विविधीकृत खेती अपनाएं
एक विविधिकृत फार्म क्या है? क्या पानी-पर्यावरण और पर्यावरण अनुकूलन में उपयोगी है? Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
विविधिकृत खेती
कम दबाव (लो हेड) ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है
ड्रिप सिंचाई प्रणाली एक प्रकार की सिंचाई प्रणाली है जहां पानी को छोटे ट्यूबों और उत्सर्जकों के माध्यम से सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी का सटीक और कुशल उपयोग सुनिश्चित होता है, बर्बादी कम होती है और पौधों के इष्टतम विकास को बढ़ावा मिलता है। Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
ड्रिप सिंचाई प्रणाली
बूंद-बूंद उपयोग: धान के खेत में मछली पालन
जानिए धान संग मछली पालन के तहत किसान क्या कर सकता है? धान की खेती और मछली पालन क्या एक साथ संभव है। Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
धान संग मछली पालन
मध्यप्रदेश: लोगों की पहुंच से दूर क्यों हो रहा जल,  कैसे होगा जल संकट हल
देश का हदय प्रदेश कहा जाने वाला मध्यप्रदेश जल संकट से जूझ रहा है। प्रदेश में बुन्देलखंड क्षेत्र की पहचान अब सूखे के रूप में हो रही है। बुन्देलखंड का अहम हिस्सा सागर जिला पहाड़ी इलाके के रूप में विद्यमान है। सागर जिले में पानी का संकट बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सागर के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों की नदियां, कुएं और तालाब सूखते जा रहे हैं। जिससे जिले के कई गाँव में पानी की समस्या गंभीर रूप से मंडरा रही है।  Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
चांदबर गांव में पानी का इंतजार करती महिलाएं और बच्चे
धरती धधक रही है
चर्चा है कि मानवीय गतिविधियों द्वारा फिलहाल तो पर्यावरण के लिए भयानक संकट पैदा हो गया है। प्रकृति बार-बार विभिन्न तरीके से चेतावनी दे रही है, फिर भी लोग अनसुना कर रहे हैं। करीब करीब दो दशक पहले तक देश के ज्यादातर राज्यों में अप्रैल माह में अधिकतम तापमान औसतन 32-33 डिग्री रहता था अब वह 40 के पार प्राय: रहता है।  Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
धरती गरम हो रही है
पहाड़ों में वनाग्नि और बढ़ती चुनौतियां
जंगलों में लगने वाली आग से उस क्षेत्र की जैव विविधता जिसमें असंख्य पेड़-पौधों और छोटे -बड़े वन्य जीवों की दुनिया बसी हुई रहती है उस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तमाम वनस्पति व जीव-जन्तु, पक्षी, कीड़े-मकोड़े आग की विभीषिका में जलकर नष्ट हो जाते हैं। कई छोटी वनस्पतियां जो पानी को जमीन के अन्दर ले जाने में मददगार साबित होती हैं वह आग से जल जाती हैं। फलतः जमीन के पूरी तरह शुष्क हो जाने पर जहां भू-कटाव का खतरा बढ़ जाता है वहीं जमीन की जलधारण क्षमता घट जाने से आसपास के जलस्रोतों में पानी की मात्रा भी कम होने लगती है अथवा वे सूखने के कगार पर पहुंच जाते हैं। Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
पहाड़ों में वनाग्नि
भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के घोषणा पत्रों में बस इतना सा है पर्यावरण

पर्यावरण का मुद्दा पिछले दशकों में काफी चर्चा में रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की बात हो या पीने के पानी की समस्या या फिर गिरता भू-जल स्तर, सभी चिंता के विषय हैं। ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती गर्मी ने प्रथम चरण के औसतन मतदान को भी प्रभावित किया है। भाजपा का 'पर्यावरण अनुकूल' बनाम कांग्रेस का 'पर्यावरण न्याय' है, पर दोनों केवल नारों जैसे ही लगते हैं। फिलहाल धरती के खतरे के प्रति लापरवाही ही दिखती है। The issue of environment has been much discussed in the last decades. Be it global warming or the problem of drinking water or falling ground water level, all are matters of concern. The increasing heat due to global warming has also affected the average voting in the first phase. There is BJP's 'Environment Friendly' versus Congress's 'Environment Justice', but both seem just like slogans. At present, there seems to be indifference towards the danger to the earth.
Kesar Singh posted 6 months 2 weeks ago
घोषणा पत्रों में पर्यावरण नाममात्र
चंपावत की श्यामला ताल झील सूखने लगी है
जानिए क्या कारण है कि चंपावत जिले की एकमात्र झील श्यामलाताल आज अपने अस्तित्व को तलाश रही है और तकरीबन 7 मीटर गहरी झील में अब सिर्फ एक से डेढ़ मीटर पानी रह गया है।
Kesar Singh posted 6 months 3 weeks ago
चंपावत की श्यामलाताल झील, प्रतीकात्मक
भारत के 100 शहर भयानक जल संकट की चपेट में हैं
देश में जलसंकट का प्रचार ज्यादा है, काम कम हो रहा है, जलसंकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। लेख में इस संकट की चर्चा और समाधान | Kesar Singh posted 6 months 3 weeks ago
जलसंकट
आज बेंगलुरु सूखा, कल दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई . .
जानिए क्या कारण है, बेंगलुरु जलसंकट का। क्यों आज यह बेंगलुरु की जलसंकट कहानी है, कल आपके शहर की होने वाली है।   Kesar Singh posted 6 months 3 weeks ago
बेंगलुरु जलसंकट
पानी संकट का वर्तमान-भूत-भविष्य
जल संकट वर्तमान में विश्वव्यापी और विश्व की बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है। धरती का धरातल का दो-तिहाई पानी होने के बावजूद हम गंभीर रूप से जल-संकट का सामना कर रहे हैं।

Kesar Singh posted 6 months 3 weeks ago
विश्वव्यापी जल संकट
मुफ्त फोन कॉल तथा इंटरनेट डाटा का समाज, स्वास्थ्य और संसाधनों पर विपरीत प्रभाव
वर्तमान में फोन और इंटरनेट का प्रयोग इतना अधिक हो गया है जो न सिर्फ हमारी जीवन शैली, स्वास्थ्य, पारिवारिक रिश्ते, सामुदायिक सामंजस्यता और संस्कारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। बल्कि हमारे प्राकृतिक संसाधनों जैसे, जल, जमीन व पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। Kesar Singh posted 1 year 3 months ago
परेशानी का वेब
अल्मोड़ा के मोहन कांडपाल के 'पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान' से सूखती रिस्कन नदी के बचने की उम्मीद जागी
गंगा-यमुना जैसी नदियों के मायके के प्रदेश उत्तराखंड में नदियों के हालात पर चर्चा और कुछ अच्छे प्रयोगों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मीडिया मित्र मिलन का कार्यक्रम रखा गया। Kesar Singh posted 1 year 4 months ago
पानी बोओ, पानी उगाओ अभियान
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