गंगा नदी का धार्मिक महत्व : आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति का प्राण-तत्व

प्रतिकात्मक तस्वीर
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गंगा नदी का महत्व वैश्विक स्तर और वैश्विक समुदाय में पवित्र नदी की तरह है। इस अवधारणा के कारण वैश्विक समुदाय में नदियों के महत्व, उपादेयता और संरक्षण की आवश्यकता, जागरूकता, नदियों के प्रति वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण का वर्णन करना है। वैश्विक स्तर पर गंगा नदी की उपादेयता, जल के स्रोत, ऊर्जा दायिनी, मनुष्य के जीवन रेखा, पारिस्थितिकी एवं सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग हैं। गंगा नदी का महत्व भारतीय संस्कृति, धर्म एवं जीवन में अत्यधिक है। गंगा जी की प्रासंगिकता धार्मिक, आर्थिक और पर्यावरण दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। गंगा नदी को आध्यात्मिक जागरण और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। गंगा जी में स्नान करने से पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि प्राप्त होती है। गंगा जी को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है, क्योंकि गंगा जी में स्नान करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
गंगा के किनारे तीर्थ स्थलों में स्नान के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों श्रद्धालु स्नान करके पवित्रता प्राप्त करके पुण्य प्राप्त करते हैं। नदियों की धारा को अविरल बनाए रखने के लिए 'गंगा समग्र संगठन ने पवित्र नदियों के प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण मात्रात्मक एवं गुणात्मक सफलता प्राप्त की है। इस कार्यक्रम के कारण जल की गुणवत्ता में अत्यधिक उन्नयन हुआ है। यह सफलता हमारे निर्मल गंगा के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेतक है।

गंगा के किनारे अनेक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन आयोजित किए जाते हैं। कुंभ मेला का आयोजन, गंगा घाटों पर गंगा आरती का आयोजन और अन्य सांस्कृतिक त्योहारों का आयोजन होता रहता है। गंगा नदी ने विभिन्न संस्कृतियों और त्योहारों को समाहित किया है। इसके किनारे बसे विभिन्न समुदायों की विविधता, संगीत, नृत्य, कला और साहित्य में गंगा की महिमा और पवित्रता का वर्णन मिलता है। नदियों को जोखिम और त्रासदी का सामना करने के लिए और नदियों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर जन जागरूकता को उन्नयन करना है। नदिया हमारे ग्रह की धमनियां हैं, नदियां वास्तविक आशय में मानवीय जीवन की जीवन रेखा है। गंगा नदी के तट पर अनेक प्राचीन सभ्यताएं और शहर बसे हैं। गंगा नदी भारतीय इतिहास और संस्कृति का अभिन्न अंग है। कन्नौज, जो महाराज हर्ष की राजधानी थी, पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना), वाराणसी और प्रयागराज जैसे शहर गंगा नदी के किनारे स्थित है और इनका ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। इतिहास में मौर्य एवं गुप्त वंश समेत कई साम्राज्यों की राजधानी के रूप में पाटलिपुत्र का महत्व अद्वितीय है।

गंगा नदी देश की कृषि, उद्योग, जल परिवहन और पर्यटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गंगा नदी के घाटों को सबसे उपजाऊ भूमि में से एक माना जाता है। इस क्षेत्र में गंगा और उसकी सहायक नदियों के जल से सिंचाई होती है जिससे यहां धान, गेहूं, गन्ना और अन्य प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की कृषि अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा गंगा नदी पर निर्भर है।

गंगा नदी का जल पेय उपयोग, घरेलू उपयोग और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है। यह नदी कई जल परियोजनाओं और बांधों के लिए पानी प्रदान करती है, जो कृषि, बिजली और उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन नदियों में मत्स्य पालन एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है। यह स्थानीय समुदायों को रोजगार और आजीविका प्रदान करता है। गंगा नदी में कई प्रकार की मछलियां पाई जाती है, जिनका औषधि, घरेलू और वाणिज्यिक महत्व है। नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पर्यटन को बढ़ावा देता है।

वाराणसी, हरिद्वार, ऋषिकेश और प्रयागराज जैसे शहरों में लाखों तीर्थ यात्री और पर्यटक प्रत्येक साल आते हैं। गंगा नदी लाखों लोगों की आजीविका का साधन है। मछुआरे, किसान, नाविक और कई अन्य समुदाय इस पर निर्भर हैं। नदियों के जल का उपयोग उद्योगों में भी होता है, जिससे आर्थिक विकास में योगदान मिलता है। गंगा नदी करोड़ों लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराती है। नदियों का महत्व स्थानीय समुदायों और शहरों के लिए है, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंगा नदी का जल भारत के बड़े भू-भाग को हरा-भरा बनाए रखता है।

गंगा नदी के जल को प्राचीन काल से ही औषधि गुण वाला माना गया है। लोग इसके जल को पवित्र जल के रूप में पूजते हैं और इसके जल को विभिन्न धार्मिक और घरेलू कार्यों में उपयोग करते हैं। गंगा नदी के जल और इसके तट पर पाए जाने वाले पौधों का आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा में विशेष योगदान है। गंगाजल को कई औषधीय गुण से युक्त माना जाता है। गंगा नदी के जल पर कई वैज्ञानिक शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं जिनमें इसके जल की गुणवत्ता, जैव विविधता और पर्यावरण प्रभाव शामिल हैं। इससे जल के संरक्षण में सहयोग मिलता है, बल्कि जल विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में सहयोग मिलता है।

नदियों के किनारे सभ्यताएं पनपती हैं और सभ्यताएं संस्कृति का पोषण करती हैं। मानवीय व्यक्तित्व समस्या ग्रस्त होने पर नदियों की शरण लेता है। महाभारत में भीष्म प्रत्येक कठिनाई में अपने माता गंगा जी के पास जाते थे और उनको उचित समाधान मिलता था। समसामयिक परिप्रेक्ष्य में गतात्मा के मोक्ष हेतु उसको गंगा जी में विसर्जित किया जाता था। सनातन धर्म में मनुष्य के जीवन की यात्रा नदियों के किनारे पूर्ण होती है। नदियों में गंगा जी की प्रासंगिकता बारहमासी है अर्थात इसमें वर्ष भर पानी का प्रवाह होता रहता है, जिसके चलते इसके आसपास के क्षेत्र में गेहूं, धान, दाल और गन्ना जैसी फसलों की पैदावार अधिक होती है। गंगा जी के किनारे प्राकृतिक सौंदर्य से युक्त पर्यटन स्थल है जो राष्ट्रीय आय में योगदान देते हैं।

गंगा जी का महत्व न केवल धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से है, बल्कि आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। गंगा नदी भारतीय जीवन के हर पहलू में गहराई से जुड़ी है और इसका सम्मान और संरक्षण सभी के लिए आवश्यक है। प्राचीन काल से नदियां मां की तरह हमारा भरण पोषण कर रही हैं। यदि हमने इनका समुचित संरक्षण किया तो मां रूपी नदियों का स्नेहिल छाया हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी बनी रहेगी।

- लेखक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प 'गंगा समग्र' के राष्ट्रीय संगठन मंत्री है।
स्रोत - लोक सम्मान, जून-जुलाई, 2024


 

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Post By: Kesar Singh
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