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संदूषण, प्रदूषण और गुणवत्ता
जहरीले होते खाद्य पदार्थ
Posted on 15 Dec, 2014 12:21 PMजल्द मुनाफा कमाने के चक्कर में फलों को कार्बाइड से पकाया जाता है। आपंजाब : क्रान्ति से कैंसर तक
Posted on 12 Dec, 2014 03:42 PMग्रेटर नोएडा का मामला न तो पहला है और न ही अन्तिम। यह पूँजीवादी विकास मॉडल का नतीजा है। यह पहले ही पंजाब में हरित क्रान्ति के नाम पर कैंसर ला चुका है।उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के गाँवों में जिस प्रकार कैंसर जैसी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएँ सामने आ रही हैं, वैसी घटनाएँ पंजाब में पिछले करीब दो दशक से देखी जा रही हैं। विभिन्न संगठनों की पहल के बाद उम्मीद थी कि हालत में सुधार आएगा, लेकिन स्थिति सुधरने के बावजूद बिगड़ती ही जा रही है।
अब पंजाब के मालवा क्षेत्र में प्रतिदिन एक आदमी कैंसर और हेपटाइटिस सी की चपेट में आ रहा है, जबकि सरकार और कम्पनियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। समझा जा सकता है कि देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसा हो सकता है।
ग्रेटर नोएडा में कैंसर के कारखाने
Posted on 12 Dec, 2014 03:03 PMभगत सिंह अपनी जिन्दगी बचाने के लिए अपनी जमीन-जायदाद सब कुछ बेच चुके हैं, लेकिन उनकी सेहत सुधरने के बजाय दिनोंदिन और बिगड़ती जा रही है। कभी शरीर से हट्टे-कट्टे रहे भगत अब इतना कमजोर हो चुके हैं कि उनके लिये बिस्तर से उठ पाना तो दूर, किसी से बात तक कर पाना मुश्किल हो रहा है। हर नए शख्स के चेहरे को वह एकटक देखते ही रहते हैं। उनके परिजन किसी तरह इलाज तो करा रहे हैं, लेकिन उन्होंने भी अब भगत के बचने की उम्मीद छोड़ दी है।बिस्तर पर पड़े इस शख्स को मौत किसी भी वक्त अपने आगोश में ले सकती है। उन्हें मुँह का कैंसर है, जो अन्तिम चरण में पहुँच चुका है। यहाँ एक और शख्स हैं हरिचंद्र, जिनके गले के कैंसर का इलाज उनकी बहन करा रही हैं। भगत-हरिचंद्र उत्तर प्रदेश स्थित ग्रेटर नोएडा के सादेपुर गाँव के रहने वाले हैं। यह दिल्ली से महज तीस किमी दूरी पर स्थित है।
भोपाल गैस त्रासदी : हर मोर्चे पर असफल है सरकार
Posted on 03 Dec, 2014 01:37 PM दुनिया के भीषणतम् औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस त्रासदी को हुए 30 साल हो गए, पर उस घटना की चपेट में आए लाखों लोगों के जख्म आज तक नहीं भर पाए हैं। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड से 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को मिथाइल आइसो सायनेट गैस की रिसाव में 15274 लोगों की मौत हुई थी और 5 लाख 73 हजार लोग सीधे तौर पर घायल हुए थे।भोपाल गैस त्रासदी के तीन दशक
Posted on 03 Dec, 2014 11:47 AMस्वच्छता को मुंह चिढ़ाता यूनियन कार्बाइड का कचरा
भोपाल गैस त्रासदी के तीन दशक बाद भी इस सवाल का जवाब न तो केंद्र सरकार के पास है और न ही राज्य सरकार के पास कि यूनियन कार्बाइड के कचरे का निष्पादन अभी तक क्यों नहीं हो पाया? इसके लिए दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे स्थानीय रहवासियों एवं गैस पीड़ितों को अभी भी यहां के जहरीले कचरे का प्रभाव झेलना पड़ रहा है।
कई सरकारी एवं गैर सरकारी अध्ययनों में यह साफ कहा जा रहा है कि इस जहरीले कचरे के कारण आसपास की मिट्टी एवं जल प्रदूषित हो गई है, पर निष्पादन के नाम पर अभी तक आश्वासन ही मिलता आया है। स्थानीय बच्चे यूनियन कार्बाइड के कचरे को डंप करने के लिए बनाए गए सोलर इंपोरेशन तालाब के बारे में यह जानते हैं कि यहां यूनियन कार्बाइड का कचरा डाला जाता था, पर उन्हें यह नहीं मालूम कि यह जहरीला है।
भोपाल गैस त्रासदी : और हम देखते रहे
Posted on 29 Nov, 2014 09:58 AMजब अहल-ए-सफा-मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाये जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
हम देखेंगे
फैज
भोपाल गैस त्रासदी को इस 3 दिसंबर को 30 बरस हो जाएंगे। त्रासदी में अनुमानतः 15 हजार से 22 हजार लोग मारे गए थे और 5,70,000 भोपाल निवासी या तो घायल हुए या बीमार और अब तक घिसट-घिसटकर अपना जीवन जी रहे हैं। इन तीस वर्षों में कांग्रेस, भाजपा, कम्युनिस्ट, समाजवादी, तृणमूल से लेकर अन्नाद्रमुक व द्रमुक जैसे क्षेत्रीय दल केंद्र सरकार पर काबिज हुए और चले गए। यानि ताज उछाले भी गए और तख्त गिराए भी गए, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। लेकिन हम देखते ही रहे।
गागर में सिमटता सागर का सागर
Posted on 28 Nov, 2014 01:12 PM अपने नाम के अनुरूप एक विशाल झील है इस शहर में। कुछ सदी पहले जब यह झील गढ़ी गई होगी तब इसका उद्देश्य जीवन देना हुआ करता था। वही सरोवर आज शहर भर के लिए जानलेवा बीमारियों की देन होकर रह गया है। हर साल इसकी लंबाई, चौड़ाई और गहराई घटती जा रही है। कोई भी चुनाव हो हर पार्टी का नेता वोट कबाड़ने के लिए इस तालाब के कायाकल्प के बड़े-बड़े वादे करता है।सरकारें बदलने के साथ ही करोड़ों की योजनाएं बनती और बिगड़ती है। यदाकदा कुछ काम भी होता है, पर वह इस मरती हुई झील को जीवन देने के बनिस्पत सौंदर्यीकरण का होता है। फिर कहीं वित्तीय संकट आड़े आ जाता है तो कभी तकनीकी व्यवधान। हार कर लोगों ने इसकी दुर्गति पर सोचना ही बंद कर दिया है।
प्याली से थाली तक जहर
Posted on 20 Nov, 2014 10:15 AMखाद्य-वस्तुओं में जहरीले रसायनों के अलावा कई दूसरी किस्म की खतरनाक चीजें मिलाकर नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। कई नामी-गिरामी कंपनियों के उत्पाद भी विश्वसनीय नहीं रह गए हैं। कड़े कानून होने के बावजूद निगरानी तंत्र कोई कारगर कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसका जायजा ले रहे हैं अभिषेक।राष्ट्रीय नदी संरक्षण-योजना
Posted on 16 Nov, 2014 03:44 PMगंगा-कार्य योजना के प्रथम चरण से जो बात सामने आई वह है-ऊर्जा, जल तथसोन नदी में बेखौफ घुलता जहर
Posted on 07 Nov, 2014 04:28 PMयहां के बाशिंदे हताश हो चुके हैं, कोई भी राजनीतिक दल अब उनकी इस समस्या को समस्या ही नहीं मानता