This article traces the evolution of the legislative framework for water pollution in India and its implications for wastewater treatment standards in the country.
Posted on 05 Feb, 2014 10:33 AM फ्लोराइड की समस्या दिन-प्रतिदिन अलग रूप लेती जा रही है। सामाजिक संस्थाओं द्वारा किए गए कार्यों के चलते जरुर कुछ राहत हुई थी किंतु
Posted on 02 Feb, 2014 06:42 PM फ्लोराइड के दो मुख्य प्रभाव हैं, डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस। डेंटल फ्लोरोसिस दांत के एनामेल के विकास में प्रतिरोध को कहा जाता है यह दांत के विकास के दौरान अधिक सांद्रता वाले फ्लोराइड के संपर्क में आने की वजह से होता है, इसकी वजह से ऐनामेल में खनिज तत्व की कमी हो जाती है और इसकी सारंध्रता बढ़ जाती है। एक साल से चार साल तक के बच्चों में डेंटल फ्लोरोसिस होने की संभावना अत्यधिक होती है। फ्लोराइड का अधिक मात्रा में शरीर में जाना इंसानों और पशुओं के लिए खतरनाक होता है, इस बात की खोज सबसे पहले भारत में ही 1937 में (तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी, वर्तमान में आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में) में शार्ट, पंडित और राघवाचारी ने की थी। तब से अब तक देश और दुनिया में फ्लोराइड के कुप्रभाव के कई मामले सामने आये हैं। हालांकि फ्लोरोसिस मुख्यतः पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने की वजह से होता है, मगर भोजन, धुआं और दूषित वातावरण में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से भी इसके प्रसार के कई उदाहरण मिले हैं।
फ्लोराइड अधिकांश भूगर्भीय वातावरण में पाया जाता है, इसलिए हम क्रिस्टलाइन और ग्रेनाइटिक बनावट वाले भूजल में फ्लोराइड की अधिक मात्रा पाते हैं। (उदा। आंध्र प्रदेश में नलगौंडा और कर्नाटक में कोलार), सिंधु-गंगा बेसिन और दूसरे जलोढ़ (उदा। उत्तर प्रदेश में उन्नाव और गुजरात में मेहसाना)। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों के भूजल में अलग-अलग गहराई में फ्लोराइड पाया जाता है।
Posted on 29 Jan, 2014 01:10 PMदेश के पचास फीसद से अधिक जिलों का भूजलस्तर तेजी से गिर रहा है। कई महानगरों समेत देश के सैकड़ों स्थानों पर भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो चुका है। जनजीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या से न निपटा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसके संकटों का जायजा ले रहे हैं पंकज चतुर्वेदी।
Posted on 09 Dec, 2013 01:12 PMसंघ के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक अप्रकाशित शोध के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए नमूनों में से संयुक्त राज्य के एक तिहाई से अधिक जल केंद्रों के पेयजल में 18 अनियमित रसायनों का पता लगाया गया है।
Posted on 01 Dec, 2013 03:16 PMशहर में सप्लाई होने वाला पानी लोगों के लिए स्लो प्वाइजन है यह हम नहीं कर रहे बल्कि पानी में घुली टीडीएस (टोटल डीजॉल्व सोलिड्स) की मात्रा स्वयं बयान कर रही है। जानकारों की माने तो टीडीएस की मात्रा वाले पानी अक्सर ही पात्रों में सफेदी छोड़ जाते हैं। घरों में पानी वाले बर्तनों में इस तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं। शहर स्थित 39 वार्डों में फिल्टर प्लांट से पानी दूषित ही हमारे घरों तक पहुंच रहा है। वजह