As the demand for water from the Hindu Kush Himalaya region is expected to rise due to population growth, the impacts of temperature increases, and development requirements, researchers emphasise the urgent need to enhance scientific collaboration and rejuvenate existing treaties and governance structures.
This study predicts that sewage will become the dominant source of nitrogen pollution in rivers due to urbanisation and insufficient wastewater treatment technologies and infrastructure in worse case scenario projections in countries such as India.
अब वह दिन दूर नहीं कि गंगाजल की तरह सरयू जल को भी बोतल में सुरक्षित किया जा सकेगा और वह खराब नहीं होगा।सरयू नदी में पाए जाने वाले जीवाणु एवं विषाणुओं पर अध्ययन हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग की आर्थिक सहायता प्राप्त की है। इनके निर्देशन में शोध छात्रों द्वारा अस्पताल में संक्रमण करने वाले जीवाणुओं की पहचान और उनकी एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बनने पर अध्ययन किया जा रहा है।
While the current push for legal personhood for rivers is facing obstacles and is stalled, it holds potential as a viable long-term strategy for the preservation of India's rivers
पश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने।
सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी के किनारे के धनौला गांव में नदी पर अवैध निर्माण गतिविधियों के मुद्दे को सबसे पहले याचिकाकर्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने उठाया था, जिनका इस साल 6 मार्च 2023 को निधन हो गया। उनके पति केसर सिंह अब सहस्त्रधारा-बाल्दी नदी मामले की पैरवी कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विकासखण्ड में बहने वाली कमल नदी का अपना अलग ही महत्त्व है। स्थानीय लोग इस नदी को ‘कमोल्ड’ नाम से जानते हैं। कमल नदी यहाँ के लोगों की जीवनरेखा है।
नदी और समाज के बीच कई हजारों साल पुराना मजबूत और आत्मीय किस्म का रिश्ता रहा है। अब तक का इतिहास देखें तो दुनिया की तमाम सभ्यताएँ नदियों के किनारे ही पली–बढ़ी और अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नदियों के कारण ही सैकड़ों सालों तक उनका अपना अस्तित्व भी बना रहा।
Posted on 10 Sep, 2015 12:54 PMउज्जैन में क्षिप्रा नदी ने अपने किनारों को तोड़ कर सब मन्दिरों, घाटों, हाट-बाजारों और गली-मोहल्लों में चक्कर लगा कर एक बार फिर यह बताने, समझाने की कोशिश की है कि नदियों को जीवित करने के लिये उनमें कहीं और से पानी लाकर डालना ठीक नहीं है। ऐसी सूखी मानी गई नदी पूरे शहर-गाँवों को डुबो सकती है। नदी, वर्षा, तालाब और भूजल का यह विचित्र खेल समझा रहे हैं श्री विनायक परिहार।
देश भर में नदियों को जोड़ने की बात एक बार फिर तेजी से होने लगी है। इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा जा रहा है कि इससे देश की 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि को सिंचित किया जा सकता है। इस परियोजना को देश के सर्वोच्च न्यायालय से समयबद्ध क्रियान्वयन का निर्देश भी दिया जा चुका है।
लेकिन इस पर न तो कोई आम बहस होने दी गई और न सम्बन्धित लोगों, जन संगठनों या स्वतंत्र विशेषज्ञों से कोई राय ही ली गई है। वैसे तो नदी जोड़ो परियोजना कागज और भाषणों में सम्मोहक लगती है लेकिन इस परियोजना के दूसरे पहलुओं पर नजर डालें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि जब तक यह कागज और जुबान पर है, तभी तक अच्छी है।
Posted on 31 Aug, 2015 10:23 AMनई दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा)। कृत्रिम रूप से नदियों को जोड़ने के महाप्रयोग के तहत केन और बेतवा को जोड़ने की परियोजना को जल संसाधन व नदी विकास मंत्रालय दिसम्बर तक शुरू करना चाहता है। लेकिन मध्य प्रदेश में पर्यावरण व वन्य जीव मंजूरी अभी तक नहीं मिलने से इसमें देरी होने की आशंका है।