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नदियां
बिहार की सिंचाई परियोजनाओं पर केन्द्र का बयान
Posted on 22 Aug, 2015 03:13 PMबिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिये प्रस्ताव भेजे थे। कनागधम्मन नदी की आत्मकथा
Posted on 22 Aug, 2015 10:10 AMमैं आज बहुत उदास और दुखी हूँ। कभी अपनी किस्मत को कोसती हूँ तो कभी इस नए जमाने के लोगों को। पर क्या होता है इससे भी। कुछ भी तो नहीं बदलता कभी इससे। सौ साल पहले तक इस इलाके में मेरा बड़ा नाम हुआ करता था। दर्जनों गाँवों के लोग मेरे किनारे पानी पी-पीकर बड़े हुए हैं। हजारों एकड़ जमीन को मैंने सींचा है अपने पानी से। मैं बारिश के पानी को वापस बारिश आने तक पूरे साल सहेजकर अपने आंचल में सहेज रखती ताकि किसी
अपवाह प्रणाली या नदी तंत्र या प्रवाह प्रणाली (Drainage system or River Network)
Posted on 18 Aug, 2015 04:20 PMनिर्धारित जलमार्गों का अनुसरण करते हुए बहते जल के द्वारा जो तंत्र बनाता है उसे अपवाह तन्त्र या नदी प्रणाली कहते हैं। इस अपवाह तंत्र का ज्यामितीय विन्यास यह बताता है कि यह किस प्रकार का अपवाह तंत्र है या इसका अपवाह प्रतिरूप क्या है। किसी क्षेत्र का अपवाह तंत्र उस क्षेत्र की स्थलाकृति और जलवायु पर निर्भर होता है। (विकिपीडिया)अपवाह शब्द एक क्षेत्र के नदी तन्त्र की व्याख्या करता है। भारत के भौतिक म
उतावली नदी : 400 सालों से कहानी सुना रहा यह स्मारक
Posted on 13 Aug, 2015 11:02 AMतब से अब तक उतावली नदी में न जाने कितना पानी बह चुका होगा लेकिन इस नदी की तासीर में ऐसा कुछ है कि यह आज भी करीब 400 साल पहले इसके तट पर पनपी एक राजसी प्रेम कहानी को बयान करती रहती है। जी हाँ, सुनने में यह भले ही अजीब लगे पर यह सौ फीसदी सही है। सुनी हुई कहानियाँ लोगों ने भुला दी, कागजों पर लिखी कई प्रेम कहानियाँ समय के साथ भुला दी गई होंगी पर इस कहानी की इबारमानोट से कुटरई
Posted on 09 Aug, 2015 12:06 PMमौसम साफ था और हवा शरद का स्पर्श लिए थी। ऊँचे पेड़ों से धूप छन-छनकर आ रही थी। मेरे साथियों का उत्साह उफान पर था। उन्हें यहाँ मनचाहा एकान्त और शान्ति प्राप्त हो रही थी। कुछ दिन पूर्व ही वे महानगरों की गहमागहमी, शोरगुल और आपाधापी में डूबे हुए थे। अब वे यहाँ वनों,पहाड़ों और हरे-भरे खेतों को निहार रहे थे, निस्तब्धता को आत्मसात कर रहे थे। और नदी से लगी ऊबड़-खाबड़नदी शीर्ष वन संरक्षण एवं प्रबंध
Posted on 09 Aug, 2015 10:51 AM नदियों का उद्गम क्षेत्र एक विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करता है। किसी नदी के प्रारम्भ होने के स्थान से लेकर थोड़ा आगे तक के क्षेत्र में छोटी-छोटी सहायक सरिताओं और नालों के आकार मिलते रहने से नदी की मूल धारा शनै:-शनै: चौड़ी होती जाती है। अनेक छोटे नालों और सहायक सरिताओं के काफी कम दूरी में ही मुख्य नदी में मिलने से गुच्छे जैसी जिस प्राकृतिक संरचना काभेड़ाघाट से ग्वारीघाट (जबलपुर)
Posted on 08 Aug, 2015 11:18 AMसमुद्र की तलाश में निकला पानी है नदी और नदी की तलाश में निकला पदयात्री है परकम्मावासी। एक न एक दिन दोनों की तलाश पूरी होती है। कल दोपहर तक मैं भी अपने गंतव्य तक पहुँच जाऊँगा। मैं उस यात्री की तरह हूँ, जो अपने घर के समीप वाले मोड़ पर पहुँच गया हो। परिक्रमा के इस अंतिम चरण में कान्ता सहयात्री बनकर चल रही है, इसका आनन्द अनोखा है। हालाँकि मुझे हमेशा लगा है कि मेदक्षिण गंगा कावेरी
Posted on 08 Aug, 2015 09:51 AMसह्याद्रि की पश्चिमी पर्वत शृंखला में एक ‘ब्रह्मगिरि या ब्रह्मकपाल’ नामक ऊँची पहाड़ी है।
नदियों से हमारे सम्बन्ध
Posted on 07 Aug, 2015 09:42 AMगंगा की सफाई के लिए वर्तमान सरकार ने अलग से मन्त्रालय बनाया है और नमामी गंगा योजना शुरु की गई ह
वेदना-वैत्रवती की
Posted on 04 Aug, 2015 11:35 AMस्वच्छ पर्यावरण एवं प्रदूषण मुक्त करने के लिए आयोजन हुए। भाष