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नदियां
ब्रह्मपुत्र बाँध भारत के लिये चुनौती
Posted on 20 Nov, 2015 02:53 PMभारत सरकार की आपत्तियों और आशंकाओं को खारिज करते हुए चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बाँध का नि
आन्तरिक जल परिवहन : चुनौतियाँ व सम्भावनाएँ
Posted on 12 Nov, 2015 04:04 PMसरकार ने अन्तरदेशीय जल परिवहन के विकास की दिशा में जो ठोस पहल की है, वे अगर ज़मीन पर उतरती हैं
हार की कगार पर गंगा
Posted on 05 Nov, 2015 12:28 PMभारत की राष्ट्रीय और पवित्र नदी गंगा अब बिना सेनापति के करीब-करीब हारा हुआ युद्ध लड़ रही
परम्पराओं का विसर्जन
Posted on 30 Oct, 2015 11:23 AMकुछ दिनों पहले मुम्बई हाईकोर्ट ने गोदावरी कुम्भ में शाही स्नान के लिये पानी देने से मना क
कृष्णा से मिली गोदावरी, साकार हुआ वाजपेयी का सपना
Posted on 29 Oct, 2015 11:25 AMनदियों को जोड़ो भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। पाँच दशक पहले दक्षिण भारत के प्रमुख
नदियों का पर्यावरण और वहाँ का जनजीवन
Posted on 27 Sep, 2015 01:02 PMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
ऊँचे पर्वत शृंखलाओं से बहते पानी का संग्रहण एक नदी के रूप में ही है। जो जीव-जन्तुओं के लिये जीवित रहने का एक प्राकृतिक वरदान माना गया। वैज्ञानिकों ने भी जिन-जिन ग्रहों को खोज निकाला, वहाँ भी जीवन की पहली ही खोज की गई। अलबत्ता जहाँ पानी के संकेत उन्हें मिले तो वहीं जीवन के भी संकेत मिले है।
नेहरू और राव जैसी संगत की जरूरत है नदियों को
Posted on 26 Sep, 2015 04:05 PMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
आजादी के बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की सबसे बड़ी चिन्ता देश को आत्मनिर्भर बनाने की थी। खासतौर पर खाद्य सुरक्षा के मामले में। और इसके लिये उनके विश्वस्त विशेषज्ञ सलाहकारों ने बता दिया था कि इसके लिये जल प्रबन्धन सबसे पहला और सबसे बड़ा काम है।
कभी सूखे के मारे अकाल और कभी ज्यादा बारिश में बाढ़ की समस्याओं से जूझने वाले देश में नदियों का प्रबन्धन ही एकमात्र चारा था। नदियों का प्रबन्धन यानी बारिश के दिनों में नदियों में बाढ़ की तबाही मचाते हुए बहकर जाने वाले पानी को रोककर रखने के लिये बाँध बनाने की योजनाओं पर बड़ी तेजी से काम शुरू कर दिया गया था।
वह वैसा समय था जब पूरे देश को एक नजर में देख सकने में सक्षम वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का इन्तजाम भी हमारे पास नहीं था। अभाव के वैसे कालखण्ड में पंडित नेहरू की नजर तबके मशहूर इंजीनियर डॉ. केएल राव पर पड़ी थी।
24 नदियों वाला पानीदार जिला हुआ मोहताज
Posted on 18 Sep, 2015 02:44 PMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
सभ्यता की जननी हैं नदियाँ
Posted on 17 Sep, 2015 03:34 PMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
पानी का चंचल रूप है नदी। यह अपने कछार में बसे लोगों की जीवनरेखा है। नदी के कारण कृषि सम्भव हुआ। जो शिकारी था, वह किसान बन गया। उसे शिकार की भागदौड़ से मुक्ति मिली। वह एक जगह घर बसा कर कला, धर्म, आध्यात्म, विज्ञान और साहित्य की ओर अग्रसर हो सका। हजारों वर्षों से मनुष्य नदी की ओर खिंचता चला आया है।
संस्कृतियों का जन्म नदियों की कोख से हुआ है। नदी हमारी आत्मा को तृप्त करती है। नदी हमारी चेतना का प्रवाह भी है।
इन शास्त्रीय उल्लेखों के अलावा नदियों के बारे में अनेक साहित्यिक अभिव्यक्तियाँ भी मिलती हैं। जैसे नदियाँ राष्ट्रों की माताएँ हैं और पर्वत पिता। पिता निष्चेष्ट, निर्बन्ध और चिन्तामुक्त निर्द्वन्द्व पुरुष है तो नदियाँ सचेष्ट, गतिशील-मुक्तिदात्री एवं रसवती सरस्वती हैं। शून्य में स्वच्छन्द विचरण करने वाले मेघ जब क्षितिज की शय्या पर हलचल मचाकर रिक्त हो जाते हैं तब माता पृथ्वी उस तेजोदीप्त जीवन-पुष्प को अपनी सरितन्तुओं द्वारा धारण करती है।