पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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खारून नदी
Posted on 05 Feb, 2010 04:28 PM

महानदी की संस्कृति
Posted on 05 Feb, 2010 03:29 PM इस तरह से महानदी एक ओर देव संस्कृति को तो दूसरी ओर कृषि-संस्कृति को भी विकसित करने में सहायक है। जल ही जीवन का पर्याय है और महानदी में जल नहीं, बल्कि लोगों की जीवन धारा प्रवाहित हो रही है और सलिला के रूप में बिना किसी भेदभाव के एक माँ की तरह समस्त जीवधारियों को अपना तरल ममत्व लुटा रही है।
राजस्थान : सिमटते चरागाह
Posted on 05 Feb, 2010 01:55 PM राजस्थान के सूखे इलाके में खेती के बाद महत्वपूर्ण संपदा पशु ही है। राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में, जहां अक्सर सूखा पड़ता रहता है, लोगों का प्रमुख उद्योग पशुपालन है। राजस्थान में कोई चार करोड़ जानवर हैं। राजस्थान पशुधन वाले राज्यों में तीसरे स्थान पर है। देश के कुल दूध का 10 प्रतिशत और ऊन का 50 प्रतिशत इसी राज्य से आता है। ढुलाई-खिंचाई करने वाले ताकतवर पशु भी खूब हैं। राजस्थान में गाय, बैल, भेड़,
हिमालय में चराई
Posted on 05 Feb, 2010 01:41 PM बारह राज्यों में फैले हुए हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत 6 करोड़ 15 लाख हेक्टेयर भूमि आती है। इनमें से 1 करोड़ 78 लाख हेक्टेयर भूमि में घने जंगल हैं और 17 लाख हेक्टेयर में बुग्याल (ऊंचाई) पर हैं। बुग्यालों का दो तिहाई हिस्सा हिमालय प्रदेश में है। ये 2,500 से 3,000 मीटर ऊंचाई पर हैं जहां पर जलवायु बिलकुल समशीतोष्ण है और इसलिए वहां पेड़ पनप नहीं पाते हैं। इन पहाड़ी चरागाहों को अपवाद ही मानना चाहिए। वरना
चरागाह
Posted on 05 Feb, 2010 01:11 PM पशुधन के मामले में हमारा देश सचमुच बहुत धनी है। मस्तचाल से चलने वाली भैंसों से लेकर हर क्षण छलांग भरने वाले हिरनों तक के जानवरों के आकार-प्रकार अनगिनत हैं और उनकी संख्या भी करोड़ो में है। कुल धरती के रकबे के हिसाब से दुनिया में चालीसवें नम्बर पर आने वाले हमारे देश में कुल दुनिया की 50 प्रतिशत से ज्यादा भैंसें, 15 प्रतिशत गाय-बैल, 15 प्रतिशत बकरी और 4 प्रतिशत भेड़ हैं। देश के जीवन में इन पशुओं की ब
आदाब, गौतम!
Posted on 04 Feb, 2010 08:35 AM


तपती दोपहरी में तीन ओर पहाड़ों से घिरे जंगल में हमारी आंखे नम हो गई हैं..... !

हम कभी पहाड़ तो कभी गौतम को देखते! बूंदों की हमसफर यात्रा का यह कथानक बूंदों से परे भी बहुत कुछ सुना रहा था। हमको लगता कि क्या हम बूंदों से भटक रहे हैं? लेकिन जब भी कभी पड़ाव मिलता तो बूंदों की महिमा हमारे सामने होती।

hill
बूंद-बूंद में नर्मदे हर
Posted on 02 Feb, 2010 05:59 PM


हे नन्हीं बूंदों!
जीवन के लिए
धरा पर कुछ देर थमो
जमीन की नसों में बहो
और धरती की सूनी कोख
पानी से भर दो.....!!

Narmada
गंगा का आखिरी गर्जन ?
Posted on 31 Jan, 2010 08:50 AM विशाल बांध, दरकते पहाड़ और ढहते गांव. भारत की सबसे ताकतवर और उतनी ही पूजनीय नदी गंगा को उसके उद्गम के पास ही बांधकर उसे मानवनिर्मित सुरंगों में भेजा जा रहा है. क्या ऐसा करके महाविनाश को तो दावत नहीं दी जा रही? तुषा मित्तल की रिपोर्ट.
11. अधोभूमि अवरोधक
Posted on 30 Jan, 2010 02:06 PM

: ऊपर से देखने पर इस संरचना में कुछ भी दिखाई नहीं देता। सब कुछ भूमि के अंदर होता है। इस संरचना द्वारा नदी-नालों की सतह से ढलान की ओर जाने वाली पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर डाइक के ऊपर की ओर भू-जल संग्रहण में वृद्धि की जाती है। डाइक के गहराई एवं चौडाई का निर्णय वहाँ की परिस्थिति के अनुसार किया जाता है।

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