पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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भाग 2
Posted on 26 Jan, 2010 08:28 AM

जाली करंज असल में लालबाग में ऐसा संगम है जहाँ सूखा भण्डारा, मूल भंडारा और चिंताहरण का जल आकर एकत्र होता था। मुगलकाल में ‘जाली करंज’ से बुरहानपुर को पानी प्रदाय किया जाता था। यह पानी पकी मिट्टी और तराशे गये पत्थर के पाइपों के जरिये नगर के विभिन्न करंजों और वाटर टावरों में पहुंचाया जाता था। पानी के दबाव से पकी मिट्टी के पाइप फट न जायें इसलिए इन पाइपों के आसपास चूना, गारा और ईंट की मोटी चिनाई कर द

पानी से जुड़ा है आदमी का धरम-करम
Posted on 25 Jan, 2010 05:03 PM

पानी से जुड़ा आदमी का धरम-करम है। पानी से जुड़ा ईमान है। पानी से जुड़ा मन है। तन है। पानी से जुड़ा संस्कार है। पानी से जुड़ा मान-सम्मान है.

पानी है अनमोल
Posted on 25 Jan, 2010 05:00 PM कैसा जमाना आया कि जिस देश में दूध दही नहीं बिकता था, वहाँ अब पानी बिक रहा है। गरमी में लोग जगह-जगह प्याऊ खुलवाते थे, वहाँ अब पानी के पाऊच बिक रहे हैं। जहाँ नर्मदा किनारे के लोग नर्मदा के जल को अमृत मानकर आचमन करते थे, वहाँ उसी पानी को बोतलों और पाऊचों में भरकर बेचा जा रहा है। जहाँ प्यासे को पानी पिलाना पुण्य माना जाता है, वहाँ लोगों को प्यासा मारकर पाउच के जरिए उसकी प्यास और पानी का व्यापार किया ज
जल मिथकथाओं की अन्तरकथा
Posted on 25 Jan, 2010 02:51 PM

जल मिथकथाओं की अन्तरकथा को देखें, तो पता लगता है कि ये कथाएँ आदिमानव के उद्विकास के साथ चली हैं। जिन्हें आदिम पुरा कथाएँ कहा गया। फिर इनका स्वरूप प्रतीकात्मक रूप से पहले लिखित साहित्य अर्थात् वेद, उपनिषदों में आया। इसके बाद पुराणों से होता हुआ लोकाख्यानों तक पहुँचा। इस लम्बी यात्रा में इन कथाओं में अनेक समय की ऐसी बातें जुड़ती चली गईं, जिनमें मानवीय विकास के विभिन्न पहलू सावयवी रूप से उनमें समा

जनजातियों की जल की मिथकीय अवधारणाएं
Posted on 25 Jan, 2010 01:47 PM

बस्तर के मुरियाजन लिंगो के साथ भूमि और जल के भी पूजक हैं। एक पुरा कथा में कहा गया है- ‘सृष्टि के प्रारम्भ की बात है, लिंगो देवता और उनके भाइयों ने पृथ्वी पर जंगल, पहाड़, नदियों इत्यादि की रचना कर ली थी। तब पृथ्वी की सेवा के लिए पुजारी की जरूरत पड़ी और उस पुजारी की खोज नदी यानी जल के तट पर ही हुई। पृथ्वी का पुजारी और कोई नहीं। ‘मनुष्य’ ही है। देवता तो नदी पार कर सकते थे लेकिन ‘मनुष्य’ नहीं। फिर

प्राचीन सभ्यताओं की जल की मिथकीय अवधारणाएं
Posted on 25 Jan, 2010 01:29 PM

चीन के मिथक चांग ताओ लिंग को जब यह महसूस हुआ कि दुष्ट प्रेत्मात्माओं के पास कहीं खारा पानी है। उसने उन प्रेतात्माओं से खारे जल के स्रोत का पता पूछा। उन्होंने चांग ताओ लिंग के सामने की ओर एक तालाब की ओर इशारा किया और बताया कि उसमें एक विषैला अजगर दैत्य निवास करता है। चांग ने अजगर को तालाब से निकालने की भरसक कोशिश की, परन्तु पहले प्रयास में वह विफल हो गया। तत्पश्चात् उसने जादू द्वारा सुनहरे पंखो

जल के वैदिक और पौराणिक लोकाख्यान (भाग 2)
Posted on 25 Jan, 2010 01:13 PM

यूनानी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम् सभ्यताओं में से एक है। जीथस उनका प्रथम यूनानी देवता है। यूनानीयों के अनुसार आरम्भ में केवल रिक्तता थी यानी शून्य था। उस शून्य में से तीन अमर देवों का उदय हुआ। जीया अर्थात भूमि माता, टारटरस अर्थात पाताल लोक का स्वामी और ईरोस अर्थात प्रेम का देवता, जिसने समूची दैवी और सांसारिक सृष्टि के उदय की प्रेरणा दी। जीया के साथ एक अद्भुत संयोग हुआ, उसने बिना पुरुष के यूरेनस

जल के वैदिक और पौराणिक लोकाख्यान
Posted on 25 Jan, 2010 11:54 AM

अभी तक हमने जल की आदिम मिथकीय अवधारणाओं को देखा, अब हम हमारे वैदिक और पौराणिक लोकाख्यानों की भी जाँच पड़ताल कर लें। सारे संसार में जल की मिथकीय अवधारणएँ अपने मूल मौलिक रूप में प्रचलित रही हैं। भारत में जल के बारे में बहुत गहरे में सोचा गया है। जल क्या है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? इस बारे में जनजातीय मिथक बहुत ज्यादा कुछ नहीं कहते।

जल की मिथकीय अवधारणा (भाग 2)
Posted on 25 Jan, 2010 09:48 AM

गोंड मिथकथाओं का आविर्भाव लिंगोपेन की लम्बी गाथा से होता है। उसमें भी जल और कमल की युति का जिक्र आता है। पहले भगवान वर्षों जल के ऊपर कमल पत्ते पर शयन करते रहे। हजारों-लाखों वर्ष बीत जाने के पश्चात एक दिन भगवान के हाथ में फोड़ा उठा। फोड़ा बढ़ा, पका और फुटा। उससे महादेव और पार्वती का जन्म हुआ। आगे चलकर महादेव ने जल पर धरती, वनस्पति और जीवों का निर्माण किया।

नियंत्रण हाथ में रखना चाहते हैं नौकरशाह
Posted on 23 Jan, 2010 04:54 PM राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) का लेखा-जोखा के तहत हम नरेगा की केंद्रीय समिति के सदस्य प्रो. ज्यां द्रेज से बातचीत यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका ई-मेल इंटरव्यू किया है वाई.एन.झा ने.
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