Posted on 19 Mar, 2010 10:05 AM माघ उज्यारी दूज दिन, बादर बिज्जु समोय। तो भाखैं यों भड्डरी, अन्न जु महँगों होय।
शब्दार्थ- समोय – मिलना।
भावार्थ- भड्डरी का कहना है कि यदि माघ शुक्ल द्वितीया को आकाश में बादल हों और बिजली चमकती हो तो निश्चय ही अनाज महँगा होगा अर्थात् अच्छी फसल नहीं होगी जिससे अनाज महँगा होगा।
Posted on 19 Mar, 2010 09:47 AM मघा के बरसे माता के परसे। भूखा न माँगे फिर कुछ हर से।।
भावार्थ- वर्षा के सारे नक्षत्रों में मघा नक्षत्र की वर्षा फसलों के लिए सबसे अधिक लाभदायक होती है जैसे माता द्वारा परोसे गये भोजन से पुत्र को तृप्ति हो जाती है, उसी प्रकार मघा के बरसने से फसलों को तृप्ति मिलती है। इसके बाद भूखे व्यक्ति को ईश्वर से कुछ माँगने की आवश्यकता नहीं होती है।
Posted on 19 Mar, 2010 09:25 AM माघ में बादर लाल घिरै। तब जान्यो साँचो पथरा परै।।
भावार्थ- यदि माघ के महिने में लाल रंग के बादल दिखाई पड़ें तो ओले अवश्य गिरेंगे। तात्पर्य यह है कि यदि माघ के महीने में आसमान लाल रंग का दिखाई दे तो ओले गिरने के लक्षण हैं।
Posted on 19 Mar, 2010 08:57 AM बोले मोर महातुरी, खाटी होय जु छाछ। मेंह मही पर परन को, जानौ काछे काछ।। शब्दार्थ- महातुरी-बहुत आतुर होकर (जल्दी-जल्दी)। खाटी-खट्टा। काछ-कछनी।
भावार्थ- यदि मोर जल्दी-जल्दी बोले और मट्ठा खट्टा हो जाये, तो समझो की बादल कछनी काछकर पृथ्वी पर आने के लिए लालायित हैं। अतः अनुमान लगा लेना चाहिए कि वर्षा जल्दी ही होने वाली है।