बोले मोर महातुरी, खाटी होय जु छाछ।
मेंह मही पर परन को, जानौ काछे काछ।।
शब्दार्थ- महातुरी-बहुत आतुर होकर (जल्दी-जल्दी)। खाटी-खट्टा। काछ-कछनी।
भावार्थ- यदि मोर जल्दी-जल्दी बोले और मट्ठा खट्टा हो जाये, तो समझो की बादल कछनी काछकर पृथ्वी पर आने के लिए लालायित हैं। अतः अनुमान लगा लेना चाहिए कि वर्षा जल्दी ही होने वाली है।
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