Posted on 18 Mar, 2010 11:53 AM जो न बरसे पुनर्वसु स्वाती। चरखा चले न बोले ताँती।
भावार्थ- यदि पुनर्वसु और स्वाति नक्षत्र में वर्षा नहीं हुई तो न चरखा चल पायेगा और नही ताँत बजेगी अर्थात् रुई धुनी नहीं जाएगी क्योंकि कपास की फसल नष्ट हो जायेगी।
Posted on 18 Mar, 2010 11:12 AM जब बहै हड़हवा कोन। तब बनजारा लादै नोन।
शब्दार्थ- हड़हवा-नैऋत्य कोण (पश्चिम दक्षिण कोण)।
भावार्थ- यदि पश्चिम दक्षिण के कोने की हवा बहे तो बनजारों को नमक लादने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि पानी बरसने के आसार नहीं है और नमक गलने का भय नहीं रहेगा।
Posted on 18 Mar, 2010 09:03 AM जब पुरवा पुरवाई पावै। झूरी नदिया नाव चलावै।।
भावार्थ- पूर्वा नक्षत्र में यदि पुरवैया हवा चले तो सूखी नदी भी नाव चलाने की स्थिति में पहुँच जाती है अर्थात् वर्षा खूब होती है और नदी में इतना अधिक पानी भर जाता है कि उस में नाव चलाई जा सकती है।