भुवन भास्कर

भुवन भास्कर
समग्र विकास के साथ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत संजोता ग्रामीण पर्यटन
Posted on 15 Jan, 2018 11:30 AM

पर्यटन की यह नई शाखा, जिसे ग्रामीण पर्यटन कहते हैं, धीरे-धीरे अपना खास स्थान बना रही है। न केवल सरकारों के लिये, बल्कि निजी क्षेत्र के लिये भी। दरअसल ग्रामीण पर्यटन भले ही टूरिज्म सेक्टर की एक शाखा भर मालूम देता हो, लेकिन इसके फायदों को यदि बारीकी से समझा जाये, तो इसका असर कहीं ज्यादा व्यापक और गहरा होता है। ग्रामीण पर्यटन का फलक हिल स्टेशनों और धार्मिक व सांस्कृतिक महत्त्व के केन्द्रों क
खेती में मशीनीकरण का अव्यावहारिक पक्ष
Posted on 03 Dec, 2017 01:30 PM

भारत में खेती की स्थिति कमाल की है। राजनीति में इसका जितना ऊँचा स्थान है, नीति-निर्माण में इसे उतना ही नजरअंदाज किया गया है। आजीविका के लिहाज से यह जितनी व्यापक है, अर्थव्यवस्था में योगदान के लिहाज से इसका स्थान उतना ही गौण है। इस विरोधाभासी स्थिति का ही नतीजा है कि किसान से करीबी का दावा करने वाले नेताओं और मंत्रियों से भरे इस देश में आजादी के 70 साल बाद भी जब खेती का जिक्र आता है, तब किसान
ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत करने वाला बजट
Posted on 17 Mar, 2017 09:20 AM

ऐसा कम ही होता है कि देश के कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से सरोकार रखने वाले लोग आम बजट क

ग्रामीण भारत में पेयजल की चुनौतियाँ
Posted on 04 Feb, 2017 12:04 PM

गाँवों में पीने के पानी की समस्या को तीन हिस्सों में देखा जाना चाहिए। एक तो भूजल का गिरता स्तर, दूसरा पीने लायक साफ पानी की आपूर्ति का अभाव और तीसरा, उपलब्ध पानी की गुणवत्ता। ग्रामीण भारत में विद्यमान पेयजल संकट को दूर करने के लिये हमें इन्हीं तीन समस्याओं पर काम करना होगा, जिनकी पहचान हमने ऊपर के हिस्से में की है। भूजल के गिरते स्तर को रोककर उसे बढ़ाने का उपाय करना, उपलब्ध पानी को रिह
जलवायु अनुकूल खेती
जलवायु परिवर्तन अब सैद्धांतिक बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुका है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें आम हो चली हैं। ये दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है।
Posted on 20 Jul, 2023 03:35 PM

जलवायु परिवर्तन अब सैद्धांतिक बौद्धिक परिचर्चा से बाहर निकल कर वास्तविकता बन चुका है। साल-दर-साल न सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों की खबरें आम हो चली हैं। ये दुष्प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में मानवता के अस्तित्व पर संकट के रूप में उभरे हैं और कृषि इनमें सबसे प्रमुख है। एक और विश्व की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर, जलवायु परिवर्तन के

जलवायु अनुकूल खेती,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया
किसानों की समृद्धि के लिये खेती का सम्पूर्ण स्वरूप अपनाना जरूरी
Posted on 27 Jul, 2018 02:35 PM

मधुमक्खी पालन, बकरी पालन इत्यादि कृषि से सम्बद्ध ऐसी गतिविधियाँ हैं, जिनसे न केवल देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को सहारा मिलता है, बल्कि किसानों को भी आर्थिक मजबूती मिलती है। खेती की एकीकृत प्रणाली इन सब गतिविधियों को एक साथ जोड़कर विकसित की गई एक पद्धति है जिसमें 2-25 एकड़ जमीन में ही सारे क्रियाकलापों की व्यवस्था की जाती है।
ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था
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