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समाचार और आलेख
क्यारियों से केंचुआ खाद एकत्र करना
Posted on 23 Dec, 2023 02:59 PMक्यारियों से केंचुआ खाद एकत्र करने से पहले यह अच्छी तरह सुनिश्चित कर लें कि खाद पूरी तरह तैयार हो गयी है। केंचुए अपनी प्रवृत्ति के अनुसार ऊपर से नीचे की ओर कचरे को खाना आरम्भ करते हैं अतः खाद पहले ऊपरी भाग में तैयार होती है। अपशिष्ट पदार्थों के वर्मीकम्पोस्ट में परिवर्तित हो जाने पर खाद दुर्गंध रहित हो जाती है तथा दानेदार व गहरे रंग की दिखाई देने लगती है। छूने पर तैयार खाद चाय के दानों के समान
वर्मीकम्पोस्ट बनाने की विधियाँ(Methods of Making Vermi-compost In Hindi)
Posted on 23 Dec, 2023 01:59 PM(क) सामान्य विधि (General method):
वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए इस विधि में क्षेत्र का आकार (area) आवश्यकतानुसार रखा जाता है किन्तु मध्यम वर्ग के किसानों के लिए 100 वर्गमीटर क्षेत्र पर्याप्त रहता है। अच्छी गुणवत्ता की केंचुआ खाद बनाने के लिए सीमेन्ट तथा ईटों से पक्की क्यारियां (Vermi-beds) बनाई जाती हैं। प्रत्येक क्यारी की लम्बाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर एवं ऊँचाई
कृषि के टिकाऊपन में केंचुओं का योगदान
Posted on 23 Dec, 2023 12:43 PMयद्यपि केंचुआ लंबे समय से किसान का अभिन्न मित्र हलवाहा (Ploughman) के रूप में जाना जाता रहा है। सामान्यतः केंचुए की महत्ता भूमि को खाकर उलट-पुलट कर देने के रूप में जानी जाती है जिससे कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहती है। यह छोटे एवं मझोले किसानों तथा भारतीय कृषि के योगदान में अहम् भूमिका अदा करता है। केचुआ कृषि योग्य भूमि में प्रतिवर्ष 1 से 5 मि.मी.
केंचुआ खाद (Vermi-Compost)
Posted on 23 Dec, 2023 12:22 PMखाद्यान्नों की बढ़ती माँग के कारण सघन खेती आज कृषि की बड़ी आवश्यकता बन गई है। अच्छे बीज, पर्याप्त जल संसाधन के अतिरिक्त संतुलित खाद सघन खेती का मुख्य अंग है। रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मृदा की संरचना, उसके पानी रोकने की क्षमता तथा उसमें पाये जाने वाले लाभदायक जीवाणुओं का ह्रास होता है। जिससे उसकी उर्वता शक्ति घट जाती है, इन सब गुणों को सुरक्षित रखने के लिए खेती मे कार्बनिक खादों का उप
आत्मनिर्भर गाँव में कृषि की भूमिका
Posted on 23 Dec, 2023 11:22 AMकृषि विकास से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास संभव है। देश का कृषि क्षेत्र जितना अधिक धारणीय, विकसित और समावेशी होगा, ग्रामीण भारत का विकास उतना ही उत्कृष्ट होगा। कृषि क्षेत्र की संवृद्धि के बिना ग्रामीण आत्मनिर्भरता की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, चूंकि कृषि और कृषि आधारित उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना जम्मू-कश्मीर का पल्ली गाँव
Posted on 22 Dec, 2023 04:35 PMहाल ही में जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के पल्ली गाँव को देश का पहला 'कार्बन न्यूट्रल' गाँव घोषित किया गया है, जो ग्रामीण भारत के लिए एक मिसाल बन गया है। पल्ली में 340 घरों को गत वर्ष राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर सौर ऊर्जा की सौगात मिली। पल्ली में 500 केवी क्षमता का सौर संयंत्र स्थापित किया गया है, जिससे कि यह गाँव ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो गया है। अब पल्ली पंचायत के घरों को स्वच्छ
डिजिटल रूप से सशक्त गाँवों की ओर
Posted on 22 Dec, 2023 03:21 PMभारत मुख्य रूप से गाँवों का देश है, जिसकी लगभग दो- भातिहाई आबादी 6.49 लाख गाँवों में रहती है, जिन्हें जीवन की गुणवत्ता से संबंधित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 'स्मार्ट विलेज' एक नवीन और उच्च तकनीक अवधारणा है जिसका उद्देश्य अविकसित गाँवों को आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और भौतिक रूप से सतत विकास सुनिश्चित कर क्रांतिकारी परिवर्तन लाना है। स्मार्ट गाँवों के पीछे मूल विचार डिजिटल प्रौद्योगिक
वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा
Posted on 22 Dec, 2023 02:23 PMउत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में वनों को वरन् वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है.
प्रयोगशाला से खेतों तक किसानों का तकनीकी सशक्तीकरण
Posted on 22 Dec, 2023 01:37 PMगाँवों को आत्मनिर्भर बनाने का एक बड़ा लक्ष्य किसानों और गाँवों को तकनीकी रूप से सम्पन्न बनाने में निहित है। देश की प्रयोगशालाओं में किए जा रहे अनुसंधानों को गाँवों और खेतों तक पहुँचाया जा रहा है। देश में 'लैब टू लैंड' प्रयासों से किसानों को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के साथ-साथ प्रयोगशालाओं में किए जा रहे अनुसंधानों और संसाधनों को सीधे गाँवों तक पहुँचाया जा रहा है।
वर्टीकल फार्मिंग के बढ़ते कदम
Posted on 22 Dec, 2023 11:16 AMवर्टिकल फार्मिंग में खेती सपाट जमीन पर न होकर बहुमजली इमारतों पर की जाती है. इसे बहुमंजिला ग्रीनहाउस भी कहा जाता है. वर्टिकल फार्मिंग के अन्तर्गत बहुमंजली इमारतों पर नियंत्रित स्थितियों में फल, सब्जियाँ आदि उगाए जाते हैं. बहुमजली इमारत में रैकों के ऊपर पौधे उगाए जाते हैं. इन रैकों को हाइड्रोपोनिक सिस्टम के द्वारा पोषक तत्व पहुँचाए जाते हैं.