भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड के विषाक्तता मामले पर एनजीटी का राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस

भूजल में आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व
भूजल में आर्सेनिक,फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्व

भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे जहरीले तत्वों की मौजूदगी, मानव शरीर पर गंभीर विषाक्त प्रभाव डालती है, केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने स्वीकार भी किया है, लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। इस मुद्दे पर दिनांक 30.11.2023 को हिंदुस्तान ने समाचार प्रकाशित किया था, समाचार का शीर्षक था “25 राज्यों के भूजल में आर्सेनिक, 27 राज्यों में फ्लोराइड पाया गया: सरकार।” एनजीटी ने इस मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें भूजल में स्वीकार्य सीमा से अधिक आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी पर प्रकाश डाला गया है।  इस मुद्दे पर 24 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। मामले को 15 फरवरी को आगे की कार्यवाही के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

हिंदुस्तान के प्रकाशित समाचार में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ हिस्सों में भूजल में अनुमेय सीमा से अधिक आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी पर प्रकाश डाला गया है। ट्रिब्यूनल ने हाल के एक आदेश में कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 राज्यों के 230 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक पाया गया, जबकि 27 राज्यों के 469 जिलों के कुछ हिस्सों में फ्लोराइड पाया गया।

यह मामला एनजीटी की मुख्यपीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और डॉ. ए. सेंथिल वेल की कोर्ट में है। कोर्ट ने सीजीडब्ल्यूए की उसकी निष्क्रियता और "जिम्मेदारी से भागने" के लिए कड़ी आलोचना की। मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी की मुख्यपीठ ने सीजीडब्ल्यूए से रिपोर्ट मांगी थी। प्रकाशित समाचार में देश के काफी बड़े हिस्से के भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी की बात है। यह भी उद्धृत किया कि आर्सेनिक और फ्लोराइड मानव शरीर पर और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का कारण बनता है। 

भूजल-विनियमन के लिए कानून के तहत जिम्मेदार निकाय सीजीडब्ल्यूए द्वारा कोर्ट में दायर रिपोर्ट का अवलोकन करते समय पीठ ने कहा कि भूजल में जहरीला रसायन होने की बात उसने स्वीकार की है, जो कि इंसानों पर गंभीर असर डाल रहे हैं, बावजूद इसके कोई कदम नहीं उठाया गया। 

सीजीडब्ल्यूए द्वारा रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी राज्य का विषय है और इसलिए, सीजीडब्ल्यूए अपने आप ऐसे मामलों में कोई गंभीर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है।

ट्रिब्यूनल ने कहा, ''हमें आश्चर्य है कि इतने लंबे समय के बाद आज भी सीजीडब्ल्यूए अपनी ही संवैधानिक जिम्मेदारी से भागने का दुस्साहस करता है, दायित्वों और ऐसे कमजोर आधारों को लेना, जिन्हें पहले ही शीर्ष न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान मामले में आर्सेनिक की उपस्थिति के संबंध में गंभीर मुद्दा उठाया गया है और इतनी बड़ी संख्या में राज्यों और जिलों के भूजल में फ्लोराइड बहुत ज्यादा है।

ट्रिब्यूनल ने कहा, "इतनी बड़ी संख्या में राज्यों और जिलों में भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी के संबंध में वर्तमान मामले में उठाया गया मुद्दा बहुत गंभीर है और सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा तत्काल निवारक और सुरक्षात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।"

ट्रिब्यूनल ने इस मामले में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण और केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है। जिन राज्यों को नोटिस जारी किए गए, वे हैं आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मेघालय और नागालैंड। प्रदेशों के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, दादरा और नगर हवेली, दिल्ली और पुडुचेरी को भी नोटिस जारी किए गए हैं।

मुख्यपीठ ने एक महीने के भीतर उनसे जवाब मांगते हुए कहा है कि, "उपरोक्त सभी उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया जाए।"

हिन्दुस्तान में छपी 5 दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने संसद को बताया कि 25 राज्यों के 230 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक और 27 राज्यों के 469 जिलों में भूजल में फ्लोराइड पाया गया है। जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा को यह जानकारी दी। 

आगे टुडू ने कहा कि केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने भूजल में संदूषण की खबर दी है जिसकी प्रकृति ज्यादातर भूगर्भिक है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं देखा गया है। उनके अनुसार, इसका अर्थ है कि ये घटक पहले से ही चट्टान या मिट्टी में हैं और विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से भूजल में मिल जाते हैं। सीजीडब्ल्यूबी जल शक्ति मंत्रालय के तहत आता है और आर्सेनिक तथा फ्लोराइड के भूजल में संदूषण सहित भूजल की गुणवत्ता की नियमित निगरानी और मूल्यांकन करता है।

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