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समाचार और आलेख
भारत के भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण : प्रमुख तथ्य
Posted on 15 Jun, 2024 03:38 PMएक लंबी अवधि में अकार्बनिक आर्सेनिक की उच्च सांद्रता के सेवन से आर्सेनिकोसिस नामक क्रोनिक आर्सेनिक विषाक्तता हो सकती है। आर्सेनिक युक्त जल के सेवन से लक्षणों को विकसित होने में वर्षों का समय लगता है एवं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एक्सपोज़र का स्तर क्या है?

बावड़ियाँ: प्राचीन भारत के भूले-बिसरे एवं विश्वसनीय जल स्रोत (भाग 1)
Posted on 15 Jun, 2024 08:56 AMभारत में इन सीढ़ीनुमा कुओं को आमतौर पर बावड़ी या बावली के रूप में जाना जाता है, जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें एक ऐसा कुआ होता है जिसमें उतरते हुए पैड़ी या सीढ़ी होती है। भारत में, विशेषकर पश्चिमी भारत में बावली बहुतायत में पाई जाती हैं और सिंधु घाटी सभ्यता काल से ही इसका पता लगाया जा सकता है। इन बावड़ियों का निर्माण केवल एक संरचना रूप में ही नहीं किया गया था। अपितु उनका मुख्य उद्देश्य व्य

बावड़ियाँ: प्राचीन भारत के भूले-बिसरे एवं विश्वसनीय जल स्रोत (भाग 2)
Posted on 15 Jun, 2024 02:23 AMअग्रसेन की बावली
अग्रसेन की बावली (जिसे उग्रसेन की बावड़ी भी कहा जाता है), प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है। लगगभग 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी यह ऐतिहासिक बावड़ी नई दिल्ली में कनॉट प्लेस, जंतर मंतर के पास, हैली रोड़ पर स्थित है। यह 108 सीढ़ी या पैड़ी वाली बाबड़ी तीन मंजिला इमारत के समान ऊंची

पर्वतों में जल समस्या
Posted on 12 Jun, 2024 06:55 AMहाल ही में एक शोध में पर्वतीय क्षेत्र में पानी की बढ़ती समस्या पर चिंता व्यक्त की गई है। हिंदू-कुश क्षेत्र (यह चार देशों-भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में विस्तारित है) में किये गए इस अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र के 8 शहरों में पानी की उपलब्धता आवश्यकता के मुकाबले 20-70% ही थी। रिपोर्ट के अनुसार, मसूरी, देवप्रयाग, सिंगतम, कलिमपॉन्ग और दार्जलिंग जैसे शहर जलसंकट से जूझ रहे हैं। प्राकृ

पीने योग्य पानी की कमी और इसका सही उपयोग
Posted on 12 Jun, 2024 06:15 AMजल हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी है, जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। लेकिन आजकल जल का व्यर्थ इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसकी वजह से आज भारत समेत पूरी दुनिया में जल की भारी कमी है। वहीं सोचने वाली बात तो यह है कि घरती पर 2 तिहाई हिस्सा पानी होने के बावजूद पीने योग्य शुद्ध पेयजल सिर्फ 1 प्रतिशत ही है। 97 फीसदी जल महासागर में खारे पानी के रुप में भरा हुआ है, जबकि 2 प्रतिशत जल का हिस्सा

दक्षिण बिहार की जीवनदायिनी 'पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली' की समीक्षा (भाग 2)
Posted on 11 Jun, 2024 07:56 PMआहर-पईन खोदते समय निकली मिट्टी से अलंग बनाया जाता है जो अतिवृष्टि एवं बाढ़ की स्थिति का सामना करने में सहायक होता था। भू-क्षेत्र के केंद्र में गाँव और गाँव के चारों तरफ समतल खेत मगध के ग्रामीण बसाहट की विशेषता है। खेतों के बड़े आयताकार समुच्चय (50 से 100/200 एकड़ रकबे) को खंधा कहा जाता है। हर खंधे का विशेष नाम होता है जैसे मोमिन्दपुर, बकुंरवा, धोविया घाट, सरहद, चकल्दः, बडका आहर, गौरैया खंधा आदि

अंटार्कटिका में घट रही है बर्फ
Posted on 10 Jun, 2024 04:12 PMअंटार्कटिका से हिमखंड कट रहे हैं
जलवायु परिवर्तन के संकेत अब अंधी आंखों से भी दिखने लगे हैं। नये शोध बताते हैं कि अंटार्कटिका से हिमखंड तो टूट ही रहे हैं, वायुमंडल का तापमान बढ़ने के कारण बर्फ भी तेज़ी से पिघल रही है। जलवायु बदलाव का बड़ा संकेत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भी देखने में आया है। बीते 75 सालों में यहां सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गयी है। 24 घंटे में 10 इंच से ज़्यादा

भारतीय लोक संस्कृति और साहित्य में जल की महिमा
Posted on 10 Jun, 2024 06:25 AMयदि हम प्राचीन ग्रंथों की बात करें तो ऋग्वेद में जल संरक्षण करने का उल्लेख मिलता है। अथर्ववेद में भी लोगों को जल संरक्षण के लिए आगाह किया गया है। इसके अलावा, तैतरीय उपनिषद, छांदग्योपनिषद और शंख स्मृति में भी कहा गया है कि पानी असीमित नहीं है, उसकी मात्रा निश्चित है। इसलिए उसे बचाने की चेतावनी दी गई है।

मिलकर भविष्य संवारें
Posted on 09 Jun, 2024 07:24 PMक्लाइमेट में हो रहे परिवर्तन के खतरनाक परिणामों से विश्व का कोई कोना अछूता नहीं है। बढ़ता तापमान पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को, प्राकृतिक विनाश को, खाद्यान्न और पानी की असुरक्षा, आर्थिक उतार-चढ़ाव को, अन्य संघर्षों को बढ़ावा ही दे रहा है। समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है, आर्कटिक पिघल रहा है, कोरल रीफ मर रहे हैं, समुद्रों में तेज़ाब की मात्रा बढ़ रही है, जंगल जल रहे हैं। स्पष्ट है स्थितियां अनुक

संयुक्त राष्ट्रसंघ के जलशांति वर्ष-2024 के अवसर पर एक अपील
Posted on 09 Jun, 2024 02:55 PMभारत में हम लोग जल को शांति का प्रतीक मानते आये हैं। जब भी हम यज्ञ अग्नि से करते हैं, तो उसकी शुरूआत, और सम्पन्नता भी, जल से ही होती है। यज्ञ-स्थल की जल से परिक्रमा करके, शांति को आहूत करते हैं। मतलब यह कि भारत जलशांति, व्यवहार, संस्कार और तीर्थपन में सदाचारी रहा है। भारत और दुनिया के सभी धर्मों में जल को जीवन आधार माना गया है। सभी धर्मों में अलग- अलग तरीकों से इसके दर्शन होते हैं।
