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संदर्भ दिल्ली बाढ़: कचरा प्रबंधन के बिना बाढ़ मुक्ति नहीं
मैंने अपनी किताब ‘स्टेट ऑफ द कैपिटलः क्रिएटिंग अ ट्रूली स्मार्ट सिटी' में इस बात की विस्तार से चर्चा की है कि राजधानी में बेहतर नगर नियोजन कैसे किया जा सकता है। इसमें मेरे दिल्ली नगर निगम में आयुक्त के रूप में चार साल (2008 से 2012) के दौरान हुए अनुभव से निकले समाधानों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इसमें अनियंत्रित निर्माण की भी चर्चा है और इस बात का भी उल्लेख है कि अतिक्रमण की वजह से दिल्ली की सड़कें छोटी हो गई हैं। इस किताब में मैंने दिल्ली को सुंदर और व्यवस्थित शहर बनाने के लिए स्वच्छता और जलभराव समेत कई अन्य विषयों पर भी प्रकाश डाला है। यह आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है। Posted on 08 Jul, 2024 09:38 AM

इस बार देश की राजधानी दिल्ली में हुए जलभराव की काफी चर्चा हो रही है। जलभराव की वजह से लोगों का जनजीवन प्रभावित होता है‚ और उन्हें परेशानी होती है। इसलिए चर्चा होने स्वाभाविक है। अगर इस समस्या को दो प्रश्नों के जरिए समझा जाए तो यह विषय संभवतः ठीक से समझ में आएगा। जलभराव क्यों हुआॽ क्या जलभराव रोका जा सकता हैॽ दिल्ली में 28 नाले हैं‚ जिनमें दिल्ली की बस्तियों और कॉलोनियों का पानी होता है। इन नालो

बाढ़ (courtesy - needpix.com)
संदर्भ शहरी बाढ़: पानी ने नहीं भूली राहें, भटक तो शहर गया है
अब कथा बदल चुकी है। अब बारिश–बाढ़ संबंधी परेशानियां मर्सिडीज में चलने वाले सबसे इलीट वर्ग तक भी पहुंच चुकी हैं। चेन्नई के वे दृश्य शायद लोगों अभी भी नहीं भूले होंगे जब हजारों लग्जरी गाडि़यां पानी में डूब जाने के कारण बेकार हो गई थीं और साधन–संपन्न लोगों को भी कई दिनों तक ब्रेड–चाय पर गुजारा करना पड़ा था। इस बार दिल्ली में बरसात में होने वाली परेशानियों ने न सिर्फ आम लोगों का दरवाजा खटखटाया है पर इस बार उसने सांसदों और सत्ताधारी लोगों का भी दरवाजा खटखटा दिया है। बरसात में बदइंतजामी से परेशान शहर और शहरी कोई नई बात नहीं रह गए हैं। दिल्ली‚ मुंबई‚ चेन्नई‚ बेंगलुरुû हर जगह एक ही कहानी बार–बार दोहराई जा रही है‚ एक ही शहर पहले पानी के लिए तरसता है फिर कुछ दिनों बाद पानी के रेलमपेल से हलकान होता है। सबसे दुखद यह बात है कि हादसे अक्सर पहले से बदनाम जगहों पर होते हैं। Posted on 08 Jul, 2024 09:23 AM

बरसात पहले भयावह सिर्फ शहर के उन्हीं इलाकों के लिए होती थी जिन्हें गरीब–गुरबों के झोपड़पट्टी वाला इलाका कहा जाता था। पर अब बरसात हर शहरी और उससे भी बढ़कर शहरी निकायों के अधिकारियों के लिए भी भयावह होने लगी है। क्योंकि बरसात आते ही बड़े जतन से छुपाए गए भ्रष्टाचार और झूठ को बेपर्दा कर जनता के सामने रख देती है। शहरियों के लिए तो यह छोटे–मोटे प्रलयकाल की तरह का अनुभव देने लगी है। लगता है मानो नदिया

शहरी बाढ़ (courtesy needpix.com )
जीवन को बचाना है तो जीवनशैली बदलिए
पृथ्वी पर बना प्राकृतिक ग्रीनहाउस हमारे लिए लाभकारी है। लेकिन मानव की आलसी प्रवृत्ति एवं भोगवादी संस्कृति के चलते मनुष्य का मशीनी सुख- सुविधा जिसमें एयर कंडीशनर, फ्रिन व ओवन आदि उपकरणों पर निर्भर होना एक सामाजिक स्टेटस समझा जाता है। Posted on 08 Jul, 2024 09:18 AM

परिवर्तन संसार का अपरिवर्तनीय नियम है। सर्दी, गर्मी और बरसात समय अनुसार आते ही रहते हैं। मनुष्य अपने जीवन जीने की सभी तैयारियां कर लेता है। गर्मी से बचने के लिए सबसे सामान्य उपाय में फ्रिज और एयर कंडीशनर जैसे उपकरणों का प्रयोग देश में क्या, पूरे विश्व में दिल खोलकर लगभग सभी वर्गों द्वारा किया जाता है। हालांकि फ्रिज और एसी से क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसों का उत्सर्जन होता है जो ओजोन परत को बहुत ज्याद

प्रतिकात्मक तस्वीर
पर्यावरण प्रदूषण से जूझते बुग्याल
प्रकृति ने हमें हरे-भरे जंगल व बुग्याल, बर्फीले पहाड़, कलकल करती अविरल बहती नदियाँ, झीले और प्राकृतिक सौन्दर्यता को मनोरंजन के साधन के रूप में प्रदान किया है लेकिन आज के इस मौज मस्ती भरे मानवीय क्रिया-कलापों से इन संसाधनों का अस्तित्व बढ़ते प्रदूषण के कारण संकट में आ गया है। आज ये प्राकृतिक संसाधन धीरे- धीरे प्रदूषित हो रहे हैं। इसी प्रदूषण को झेलते सुनहरे बुग्यालों का भविष्य संकट की ओर जाता दिखाई दे रहा है। Posted on 08 Jul, 2024 07:22 AM

वर्तमान में हम खतरनाक रूप की समस्या से घिरे हुए हैं और यह समस्या भविष्य में हमारे लिये जानलेवा भी हो सकती है। इस भयंकर पर्यावरणीय समस्या के मुख्य कारण हैं- औद्योगीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पाद जो सामान्य जीवन की दैनिक जरूरतों के रूप इस्तेमाल किए जाते हैं। पेट्रोल और डीजल गाड़ियों का अत्याधिक उपयोग होने और उनसे निकले धुएँ से प्रदूषण की समस्या उत्

औली बुग्याल, उत्तराखंड में एक घास का मैदान। (फोटो सौजन्य: विकिमीडिया कॉमन्स, फोटो - संदीप बराड़ जाट)
क्या समुद्री खाद्य शृंखलाएं जलवायु परिवर्तन से बदल जाएंगी
तेजी से हो रहे निरंतर जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में समय के साथ तेजी से पोषक तत्वों की कमी होती जाएगी। एक शोध का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन का दक्षिण प्रशांत, हिंद-प्रशांत, पश्चिम अफ्रीकी तट और मध्य अमरीका के पश्चिमी तट पर स्थित देशों की समुद्री खाद्य श्रृंखलाओं पर प्रतिकल प्रभाव पड़ने की आशंका है। Posted on 08 Jul, 2024 06:49 AM

जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुई भीषण तपन ने एक ओर पृथ्वी के ध्रुवों और हिमनदों को पिघलने पर मजबूर कर रखा है, वहीं समुद्री जल स्तर को बढ़ाने पर भी तुली हुई है। जलवायु परिवर्तन से समुद्रों और महासागरों के तापमान में वृद्धि के साथ-साथ वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर भी बढ़ रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड में वृद्धि से महासागरों की अम्लीयता बढ़ रही है। सारू रूप में देखा जाए तो जलवायु परिवर्तन के क

प्रतिकात्मक तस्वीर, फोटो स्रोत: विकिमीडिया कॉमन्स
गंगा नदी का धार्मिक महत्व : आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति का प्राण-तत्व
गंगा नदी भारतीय जीवन के हर पहलू में गहराई से जुड़ी है और इसका सम्मान और संरक्षण सभी के लिए आवश्यक है। प्राचीन काल से नदिया मां की तरह हमारा भरण पोषण कर रही हैं। यदि हमने इनका समुचित संरक्षण किया तो मां रूपी नदियों का सेहिल छाया हमारी आने वाली पीढ़ियों पर भी बनी रहेगी। Posted on 07 Jul, 2024 08:56 AM

गंगा नदी का महत्व वैश्विक स्तर और वैश्विक समुदाय में पवित्र नदी की तरह है। इस अवधारणा के कारण वैश्विक समुदाय में नदियों के महत्व, उपादेयता और संरक्षण की आवश्यकता, जागरूकता, नदियों के प्रति वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण का वर्णन करना है। वैश्विक स्तर पर गंगा नदी की उपादेयता, जल के स्रोत, ऊर्जा दायिनी, मनुष्य के जीवन रेखा, पारिस्थितिकी एवं सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग हैं। गंगा नदी का महत्व भा

प्रतिकात्मक तस्वीर
दिमाग खाने वाला अमीबा - ब्रेन ईटिंग अमीबा : जलवायु संकट की देन
नेगलेरिया फाउलेरी एक अमीबा है जो जल में पाया जाता है और यह जीवाणु नहीं होता है, बल्कि एक स्वतंत्र जीव होता है। यह अमीबा आमतौर पर गरम जल के तालाबों, झीलों, नदियों और झरनों में पाया जाता है। यह जीव विशेष रूप से गरम जल में बढ़ता है और यह इंसानों के नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह अमीबा ब्रेन में प्रवेश करके अत्यधिक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जिसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंजिटिस कहा जाता है। इसके लक्षण में बुखार, सिरदर्द, अक्सर बदलते दिमाग की स्थिति, और अक्सर असमान्य व्यवहार शामिल हो सकते हैं। जानिए लक्षण और बचाव के उपाय
Posted on 07 Jul, 2024 05:46 AM

केरल के कोझिकोड में दिमाग खाने वाले अमीबा ने एक 14 साल के बच्चे की जान ले ली है। इस लड़के का नाम मृदुल है, और वह एक छोटे तालाब में नहाने गया था, जिसके बाद वह संक्रमित हो गया। इस बीमारी को “अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस” (पीएएम) कहा जाता है, जो नेगलेरिया फॉलेरी नामक अमीबा के कारण होती है। पानी के जरिए यह अमीबा शरीर में प्रवेश करता है, तो मात्र चार दिनों के अंदर यह इंसान के नर्वस सिस्टम (यानी दिमाग)

नेगलेरिया फाउलेरी, फोटो साभार - http://www.dpd.cdc.gov
जल का महत्व निबंध : समस्या और समाधान
आज लखनऊ में भी भूजल स्तर प्रति वर्ष तीन फीट नीचे जा रहा है। शहर की झीलें और तालाब सूखे पड़े हैं तथा अनाधिकृत कब्जे में है। शहर की अधिकांश भूमि पक्की होने के कारण वर्षा जल रिचार्ज होने के बजाय बह जाता है। भविष्य में भारी जल संकट आ सकता है। इससे बचाव के लिए आवश्यक है कि लखनऊ के सभी तालाब, झील, नदी अतिक्रमण से मुक्त कराकर उनमें पर्याप्त जल रहे, उनके आसपास अधिक से अधिक पीपल, बरगद, पाकड़ के पेड़ लगाये जाएं, बड़े-बड़े मकानों का नक्शा स्वीकृत करने के समय छत के पानी की रिचार्जिग व्यवस्था यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया जाय। Posted on 05 Jul, 2024 08:35 AM

हमारे जीवन में चौबीस घंटे जल की आवश्यकता होती है। प्रातःकाल उठने के बाद नित्य क्रिया हेतु जल आवश्यक है। कपड़ा साफ करना, घर की सफाई, बर्तनों की सफाई, घर का निर्माण करने के पूर्व पर्याप्त जल की व्यवस्था करना होता है। जल हमारी दिनचर्या का अंग है। खेती का कार्य, पौधों को लगाना तथा उन्हें पालकर बड़ा करना जल के बिना संभव नहीं है। जहां जल नहीं है वहां पेड़-पौधे नहीं है। यहां तक कि बिना जल के घास का एक

भूगर्भ जल यानी भूजल हर वर्ष 3 फिट नीचे जा रहा है लखनऊ में
उत्तर कोरिया सरकार ने मानव मल एकत्र करने के लिए आदेश क्यों दिया है
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के एक नए आदेश के बारे में जानना चाहिए कि उन्होंने कोरिया की जनता से 10 किलोग्राम मानव मल एकत्र करने का आदेश दिया है। ताकि उसे खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि यह आदेश उत्तर कोरियाई लोगों के लिए पूरी तरह से नया नहीं है, क्योंकि वे पहले से ही सर्दियों में खाद के रूप में मानव मल का उपयोग करते आए हैं। Posted on 03 Jul, 2024 07:08 AM

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के एक नए आदेश के बारे में जानना चाहिए कि उन्होंने कोरिया की जनता से 10 किलोग्राम मानव मल एकत्र करने का आदेश दिया है। ताकि उसे खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि यह आदेश उत्तर कोरियाई लोगों के लिए पूरी तरह से नया नहीं है, क्योंकि वे पहले से ही सर्दियों में खाद के रूप में मानव मल का उपयोग करते आए हैं। हालाँकि, इस बार यह आदेश गर्मियों में भी मानव मल एक

उत्तर कोरिया सरकार ने मानव मल एकत्र करने का दिया आदेश
बदलते मौसम का विज्ञान
बदलते मौसम का कहर केवल हमारे देश पर ही नहीं हैं, दुनिया भर में यह बीमारी फैल चुकी है. मौसम में हो रहे इन बदलावों का कारण जानने के लिए दुनिया भर में अनुसंधान हो रहे हैं. नए-नए सिद्धांत प्रतिपादित किए जा रहे हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार अन्य कारणों के अलावा वायुमंडल में मौजूद दो गैसें ओजोन और कार्बन डाइऑक्साइड-मौसम के निर्धारण और नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. Posted on 02 Jul, 2024 09:09 AM

पिछले कई वर्षों में पूरा देश इस सदी के सबसे भंयकर सूखे की चपेट में था. सूखे ने करोड़ों की फसल बरबाद कर दी, हजारों पशुओं को मौत के कगार पर ला दिया और लाखों परिवारों को दाने-दाने के लिए मोहताज कर दिया. बदलते मौसम का कहर केवल हमारे देश पर ही नहीं हैं, दुनिया भर में यह बीमारी फैल चुकी है. मौसम में हो रहे इन बदलावों का कारण जानने के लिए दुनिया भर में अनुसंधान हो रहे हैं.

मौसम बदल रहा है
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