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संदर्भ शहरी बाढ़: काश! दिल्ली बारिश को जी भर के जी पाए
जब तक हम पुराने बुनियादी ढांचे की बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उन्नत और आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल नहीं देंगे तब तक प्रत्येक वर्ष इन समस्याओं से जूझते रहेंगे। यह समस्या अचानक से नहीं आती‚ हमें इसके आने की सूचना होती है। पूर्व की गलतियों से सीखने के मौके होते हैं। Posted on 20 Jul, 2024 09:09 AM

सिनेमा ने बरसात को बहुत ही रोमांटिक तौर पर चित्रित किया है। कई लोकप्रिय और मधुर गानों से फिल्मों में बरसात के मौसम को दिखलाया गया है। साहित्य ने भी बारिश को प्रेम और रोमांस से जोड़ा है। मानसून में बारिश का आना स्वाभाविक चक्र है‚ और इन तमाम प्रसंगों के बीच जब बारिश का मौसम आता है तो देश की राजधानी दिल्ली के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कोई समस्या जब बार–बार दोहराने लगे तो इसका मतलब है कि हम समस्या क

शहरों में बाढ़ अब हर साल की समस्या
सवाल सिर्फ जल की उपलब्धता का नहीं निर्मलता का भी है
Posted on 16 Jul, 2024 01:24 PM

इस वर्ष पूरी गर्मी में देश के अलग-अलग हिस्सों हिस्सों से जल संकट के भयावह दृश्य देखने को मिले। देश की राजधानी दिल्ली से लेकर आईटी कैपिटल बेंगलुरु तक जल के लिए त्राहि-त्राहि मचती दिखी।

जल की उपलब्धता का ही नहीं निर्मलता भी जरूरी
सरकार और समाज के समन्वय से सफल होगी अमृत सरोवर योजना
केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को प्रारम्भ किया। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने अर्थात अमृतकाल में प्रस्तुत इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होना था। प्रश्न यह है कि क्या वह लक्ष्य पूर्ण हुआ जिसके दृष्टिगत अमृत सरोवरों का निर्माण हुआ। जानिए उसके बारे में और अधिक - 
Posted on 16 Jul, 2024 01:07 PM

केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना को प्रारम्भ किया। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने अर्थात अमृतकाल में प्रस्तुत इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में 75 अमृत सरोवर का निर्माण होना था। इस सरोवर का न्यूनतम क्षेत्रफल 1 एकड़ का रखा गया, जिसकी जल धारण क्षमता कम से कम 10 हजार घनमीटर हो। इस सरोवरों की परिधि पर नीम, पीपल, बरगद जैसे पर्यावरण अनुकूल वृक्ष भी लगाए जाएं, योजना में ऐसा भी उ

प्रतिकात्मक तस्वीर
संदर्भ मुम्बई बाढ़: भ्रष्टाचार में जा रहा है नालों की सफाई का पैसा
यह जो सीमेंट की सड़कें बनाने और गलियों में भी सीमेंट से ही समतलीकरण की सोच है‚ यह जल संरक्षण में बाधक है। सीमेंट की सड़कों और सीमेंट की गलियों की वजह से बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पाता। स्पष्ट शब्दों में कहें तो मुंबई बारिश का काफी पानी बर्बाद कर देता है। आज मुंबई में जल संकट पैदा हो गया है‚ निवासियों को पिलाने के लिए १५ दिन का भी पानी नहीं बचा है। बीएमसी को पानी की राशनिंग करनी पड़ती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा के अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है। Posted on 15 Jul, 2024 03:45 PM

मुंबई में जलभराव की भी समस्या रहती है‚ और जल संकट भी रहता है। दोनों समस्याएं कुछ मानवनिर्मित हैं‚ ओैर कुछ जलवायु परिवर्तन की वजह से निर्मित हुई हैं। मुंबई पर शहरीकरण का बीते कई दशकों में शायद सबसे ज्यादा दबाव रहा है। रोजगार की तलाश में गांवों से बड़़ी तादाद में लोग मुंबई जैसे शहरों में आकर बसे हैं। मुंबई में पानी की उपलब्धता तो बढ़ी नहीं लेकिन इसका इस्तेमाल बढ़ गया। पानी पर मुंबई में रहने वाले सभ

शहरी बाढ़ अब ऩए स्तर पर (courtesy - needpix.com)
नाला नहीं, अब सदानीरा बनेगी कुकरैल नदी
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चलाया गया एक अतिक्रमण विरोधी अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद उनके बुलडोजर की बहुत चर्चा रही है। लेकिन इस बार लखनऊ में जब बुलडोजर चलाया गया तो इसके पीछे उद्देश्य सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त कराना या किसी अपराधी को उसके किए का सबक सिखाना मात्र नहीं था। इसके पीछे जो कारण था वह बहुत ही पवित्र और पर्यावरण हितैषी था। Posted on 15 Jul, 2024 11:41 AM

दरअसल योगी आदित्यनाथ ने ठान लिया है कि दशकों से नाला बनने को अभिशप्त रही गोमती की सहायक नदी कुकरैल को वह सदानीरा बनाएंगे। कुकरैल की भूमि को कब्जा मुक्त कराने के लिये योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन अटल इच्छाशक्ति के धनी योगी आदित्यनाथ ने सुनिश्चित किया कि कुकरैल को नाला से नदी बनाने की राह में आ रही हर अड़चन दूर की जाएगी। लखनऊ के अकबरनगर में चलाए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान अ

कुकरैल नदी प्रदूषण
पटना नगर निकाय के दावे बेमानी
पूर्व अनुभवों से सबक लेते हुए फील्ड में काम करने वाले अधिकारी समीक्षा बैठक‚  तैयारी बैठक‚ ‘गर्दन बचाव' बैठक करने से नहीं चूक रहे। Posted on 12 Jul, 2024 04:13 PM

इस बार बरसात में राजधानी पटना की सड़कें और कॉलोनियां डूबीं तो ठीकरा किसके सिर फूटेगाॽ जब भी शहर डूबा है तो संबंधित विभागों ने एक दूसरे के सिर पर ही ठीकरा फोड़ा है। शहर डूबने या डुबोने के इल्जाम में कद्दावर अधिकारी तो बचते रहे‚ लेकिन छोटे हर बार नपते रहे। शायद इसी के मद्देनजर नगर निकाय के कुछ अधिकारियों ने अपने बचाव की तैयारी भी शुरू की दी हैं। इस बार बरसात में शहर नहीं डूबेगा‚ यह दावा करने के ल

शहरी बाढ़ (courtesy - needpix.com)
संदर्भ दिल्ली बाढ़: प्रशासनिक खींचतान को भुगत रही दिल्ली
नागरिकों को परेशानी की एक बड़़ी वजह भाजपा और आप के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान भी है। दिल्ली नगर निगम में डे़ढ़ साल से स्टैंडिंग कमेटी ही नहीं बनी है‚ जोनल कमेटियां भी नहीं बनाई गई हैं। इनके बिना नगर निगम में कैसे काम हो रहा होगा समझ में आ जाता है। दिल्ली में गंदी राजनीति चल रही है‚ उपराज्यपाल भी सिर्फ बयान देते हैं। भाजपा नगर निगम की सत्ता हथियाना चाहती है। प्रस्तुत आलेख राष्ट्रीय सहारा अजय तिवारी से बातचीत पर आधारित है। Posted on 12 Jul, 2024 09:49 AM

दिल्ली में 17 नाले ऐसे हैं जिनका पानी यमुना में ड़ाला जाता है। पिछले दस साल से तो इन नालों की सफाई ईमानदारी से कभी हुई ही नहीं। सीवर भी इन्हीं नालों में ड़ाला जाता है। सीवर और भवन निर्माण से निकली सामग्री नालों की तलहटी (या तल) में चिपक जाती है जिसकी वजह से थोड़़ी सी बारिश होने पर भी नालों में पानी का भारी जमाव हो जाता है। अनधिकृत कालोनियों में से आधी में जल निकाली (ड्रे़नेज) जैसी व्यवस्था ही न

शहरी बाढ़ (courtesy needpix.com)
बदलते वन परिदृश्य में वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में शोध आवश्यकताएं
वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। वनों के प्रकार और प्रबंधन पद्धतियाँ जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं, जैसे अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अंतःस्यंदन और अपवाह. वनीय-जलविज्ञान वन और जल के संबंध को समझने में मदद करता है। वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान वन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद करेगा। उपयोगिता और महत्व के बारे में जानिए Posted on 09 Jul, 2024 08:50 AM

सारांश: वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर अनेक वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। अतः सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। यह एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सत्य है कि वनों के प्रकार एवं उनकी प्रबन्धन पद्धतियाँ विभिन्न जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं उदाहरणतः अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अन्तःस्यंदन तथा अपवाह में उपलब्ध पोषकों एवं अवसाद की मात्रा को प्रभावित क

(छवि: अश्विन कुमार, विकिमीडिया कॉमन्स)
पश्चिमी घाट का अनोखा प्राकृतिक सौंदर्य : सैकड़ों नदियों का उद्गम
भारत के पश्चिमी घाट एक अनोखी पारिस्थितिकीय विविधता का संग्रहण है। यहां गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी महत्वपूर्ण नदियां उद्गमित होती हैं, और यह वन्यजीवों और पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। इसके बावजूद, वनस्पतियों की कटाई, खनन और अतिक्रमण के कारण इसकी पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है। जानिए इसके सौंदर्य के बारे में Posted on 09 Jul, 2024 08:13 AM

हां भारत जैसे विशाल देश में अनोखी पारिस्थितिकीय विविधता पाई जाती है, वहीं पश्चिमी घाट की भारत देश में अपनी एक विशिष्ट पहचान है। पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व दिशा में बहने वाली तीन प्रमुख नदियों गोदावरी, कृष्णा और कावेरी सहित बड़ी संख्या में बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल है। यह ऐसे कई पेड़-पौधे और जीव-जन्तुओं का आवास क्षेत्र है, जो विश्व में कहीं और नहीं पाए जाते। उत्तर-पूर्व के वन क्ष

गोबिचेत्तिपालयम से दिखने वाले पश्चिमी घाट. (स्रोत: www.wikipedia.org)
20 साल में उत्तर भारत ने बर्बाद कर दिया 450 घन किमी भूजल
भारत में भूजल स्तर लगातार तेजी से गिर रहा है, उत्तर भारत में यह आंकड़ा और भयानक हो जाता है। आईआईटी की रिपोर्ट में इस पर भयानक आंकड़े सामने आए हैं। चिंताजनक बात यह है कि भूजल की बर्बादी बड़े पैमाने पर हुई है। पिछले 20 साल में उत्तर भारत ने लगभग 450 घन किमी की मूल्यवान भूजल संपदा को नष्ट कर दिया है। पूरी रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसे जानने के लिए पढ़ें। Posted on 09 Jul, 2024 07:51 AM

आने वाले दिनों में जल संकट गहरा सकता है। क्योंकि धरती के नीचे पानी का तेजी से घट रहा है। यह जानकारी एक स्टडी में सामने आई है। स्टडी के मुताबिक उत्तर भारत में साल 2002 से लेकर 2021 तक लगभग 450 घन किलोमीटर भूजल (ग्राउंड वाटर) घट गया और निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण इसकी मात्रा में और भी गिरावट आएगी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग और पृथ्वी विज्ञान के

भूजल, एक सीमित संसाधन (स्रोत: टीवी मनोज, विकिमीडिया कॉमन्स के माध्यम से)
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