उत्तराखंड

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गंगा के लिए एक आहुति
Posted on 15 Jun, 2011 12:47 PM

एक ओर गंगा को लेकर सरकार और समाज की चिंताएं सातवें आसमान पर हैं, दूसरी तरफ इसी मुद्दे को लेकर 19 फरवरी से अनशन कर रहे एक युवा संन्यासी की ओर सबका ध्यान तब गया, जब उन्होंने इस संसार को छोड़ कर चले गए। हालत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर जिला अस्पताल में ला पटका। उन्हें राज्य के एक बड़े अस्पताल में करीब 10 दिन पहले तब दाखिल किया गया, जब उनके बच पाने की उम्मीद नहीं थी। हरिद्वार के स्वामी निगमानंद भले ही कोई ग्लैमरस बाबा नहीं थे, लेकिन गंगा को लेकर उन्होंने जो मुद्दे उठाए थे, वे बुनियादी और गंभीर थे। हरिद्वार में गंगा अपनी गति और त्वरा को नियंत्रित कर देती है। पहाड़ों में अठखेलियां करती उसकी चंचल छवि यहां पहुंचकर एक शांत, गंभीर और लोकमंगलकारी सरिता में परिवर्तित हो जाती है।

गंगा में अवैध खनन
मरे नहीं मार दिये गये संत निगमानंद
Posted on 15 Jun, 2011 08:57 AM

एचआईएचटी अस्पताल में जांच पड़ताल शुरू हुई तो विष देने के लक्षण दिखाई देने लगे। इसलिए अस्पताल ने स्वामी जी का ब्लड सैंपल दिल्ली के डॉ लाल पैथ लैब भी भेजा। चार मई को जारी लैब रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ऑर्गोनोफास्फेट कीटनाशक उनके शरीर में उपस्थित है।

हरिद्वार के संत निगमानंद की मौत सत्याग्रह और उपवास से हुई या उन्हें जहर दिया गया जो उनकी मौत का कारण बना? अब जबकि गंगा के लिए अनशन करने वाले मातृसदन के संत निगमानंद इहलोक से विदा हो गये हैं, इस बात की गंभीरता से जांच किये जाने की जरूरत है कि निगमानंद की हत्या के पीछे कौन लोग हैं। हरिद्वार में दर्ज एफआईआर को आधार मानें तो उत्तराखंड प्रशासन की मिलीभगत से संत निगमानंद को जहर दिया गया जिसके कारण पहले वे कोमा में चले गये बाद में करीब सवा महीने बाद उनकी मौत हो गयी। संत निगमानंद मातृसदन से जुड़े थे और मातृसदन का आश्रम 1997 में हरिद्वार में बना। जब से कनखल में आश्रम बना है यहां के संत क्रमिक रूप से पिछले 12 सालों से लगातार अनशन कर रहे हैं। संत निगमानंद 19 फरवरी 2011 से अनशन पर थे। उनके अनशन के 68वें दिन 27 अप्रैल 2011 को अचानक आश्रम में पुलिस पहुंचती है और संत निगमानंद को जबरदस्ती जिला अस्पताल में भर्ती करा देती है।

गंगा की अविरल धारा के लिए अड़ीं उमा
Posted on 13 Jun, 2011 11:37 AM

एक ओर केंद्र सरकार गंगा पर बांध बनाने के लिए योजना दर योजना मंजूरी दे रही है, वहीं गंगा की अविरलता के लिए आंदोलन भी हो रहे हैं। जल विद्युत परियोजनाओं के पीड़ित दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ज्यादातर परियोजनाओं की सुरंगों से रिसाव होने के साथी ही, इनसे लगे क्षेत्रों में भू-धसाव का भयंकर संकट है।

उमा भारती के समग्र गंगा आंदोलन का पहला चरण हरिद्वार में पूरा हो गया है। अब वह दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलकर अपने मांग पत्र पर बातचीत करेंगी। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री पखवाड़े भर से हरिद्वार के दिव्य प्रेम सेवा मिशन में अपनी छह सूत्रीय मांग पत्र को लेकर आंदोलन कर रही थीं।
पानी का शहर बेपानी
Posted on 09 Jun, 2011 10:55 AM हम क्यों भूल जाते हैं कि उत्तराखंड सिर्फ ऊर्जा प्रदेश के नाम पर उजड़ने के लिए ही नहीं है। अभी उसमें बहुत ताकत है और वो ताकत है, उसके पहाड़ व जल श्रोत।
नदियों के सूबे में पेयजल का संकट
Posted on 07 Jun, 2011 10:18 AM

उत्तर भारत की अधिकांश बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल होने के बावजूद उत्तराखंड में गर्मी का मौसम शुरू होते ही पेयजल संकट पैदा हो गया है। इससे ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाकों के लोग भी जूझ रहे हैं।

गांधी के पथ पर संत
Posted on 28 May, 2011 10:03 AM

साधारण सा धोती-कुर्ता और खड़ाऊं पहने दुबली-पतली काया वाले एक संत बाकी संतों से कुछ अलग हैं। यह न बड़े पण्डाल में बैठ प्रवचन देते हैं, न ही टेलीविजन चैनलों में, पर गांधी को भूल चुके उनके अनुयायियों के लिए ये एक सीख की तरह हैं। इनके गाँधीवादी तरीके से जारी आंदोलनों ने कई बार शासन को अपनी नीतियाँ बदलने को मजबूर किया। गंगा को खनन माफियाओं से बचाने की इनकी लड़ाई लगातार जारी है। ये संत हैं हरिद्वार के कनखल में गंगा किनारे बने मातृसदन के कुटियानुमा आश्रम में रहने वाले शिवानंद महाराज स्टोन क्रेशर माफिया और शासन-प्रशासन की कैद में खोखली होती गंगा को मुक्त कराने का एक दशक से भी लंबा इनका संघर्ष किसी से छुपा नहीं है।

शिवानंद महाराज
नदी पर्यटन बनाम सामाजिक-पर्यावरणीय जोखिम
Posted on 27 May, 2011 06:18 PM

सरकार पर्यटन को एक अच्छा उद्योग मानते हैं क्योंकि इसके कारण लोगों की आय में अंतर आया है। पर इस

हरिद्वार की गंगा में खनन अब पूरी तरह बंद
Posted on 27 May, 2011 04:49 PM

नैनीताल उच्चन्यायालय ने भी माना कि स्टोन क्रशर से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है

उत्तराखंड : बैंबू हट्स का बढ़ रहा आकर्षण
Posted on 23 May, 2011 12:30 PM

राज्य के बांस एवं रेशा विकास परिषद की खास मुहिम रंग ला रही है। अब इसका उपयोग फर्नीचर बनाने के

बाँधों के सुनामी मुखाने में है उत्तराखंड
Posted on 21 May, 2011 01:09 PM

उत्तराखण्ड के 10 पहाड़ी जनपदों का अधिकांश क्षेत्र भारत के अधिकतम भूकंप के क्षेत्र 5 माप पर आता है। जबकि मैदानी क्षेत्रों के चार जनपद 4 माप पर आते हैं। हिमालय की उम्र अभी बहुत कम है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय का निर्माण यूरेशियन व एशियन (बर्मीज प्लेटस) की आपसी टक्कर के कारण हुआ था। 100 मिलीयन वर्ष पहले गोडवाना लैंड वर्तमान अफ्रीका व अंटार्कटिका से टूटकर आये, भारतीय उपमहाद्वीप का ऊपरी हिस्सा

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