वी के जोशी

वी के जोशी
क्या हाल कर दिया हमने जीवनदायिनी गोमती का
Posted on 16 Mar, 2014 11:09 AM
आदिकाल से बह रही गोमती को पहले जमाने में मात्र म्युनिसपैलिटी का कचरा ढोने का नाला नहीं माना जाता था। सांप की भांति बलखाती कोई नदी बहती है तो अपने धारा को सीधा धरने का वह निरंतर प्रयास करती रहती है। इस प्रयास में पुरानी धारा के टुकड़े छोटी-छोटी झीलों (ऑक्स-बो लेक) के रूप में छोड़ती जाती है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के 1912 के नक्शे पर यदि नजर डालें तो पूरे लखनऊ में लगभग 300 झीलें थीं आबादी के साथ जमी
नदियों से हमारे बर्ताव का एक उदाहरण
Posted on 31 Aug, 2011 10:11 AM

सबसे महत्वपूर्ण यह कि हमने नदी के ‘बाढ़ पथ’ को ही चुरा लिया। नदी के दोनों किनारों का जितना भाग

नदी पर्यटन बनाम सामाजिक-पर्यावरणीय जोखिम
Posted on 27 May, 2011 06:18 PM

सरकार पर्यटन को एक अच्छा उद्योग मानते हैं क्योंकि इसके कारण लोगों की आय में अंतर आया है। पर इस

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