उत्तराखंड

Term Path Alias

/regions/uttarakhand-1

वन संरक्षण की नीतियों में जनहित को नहीं दी जाती तरजीह
Posted on 14 Jul, 2011 04:37 PM

उत्तराखण्ड का तकरीबन 45 फीसदी भाग वनों से ढँका पड़ा है। अगर उच्च हिमालय की वनस्पतिरहित, सदा हिमाच्छादित चोटियों को छोड़ दिया जाये, तो वन यहाँ के 66 फीसदी क्षेत्रफल को घेरे हैं। भारत में कुल क्षेत्रफल का 33 फीसदी वन क्षेत्र होना पर्याप्त माना गया है। इस दृष्टि से हम एक समृद्ध राज्य हैं। इन वनों के प्रबंधन के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने तमाम नीतियाँ बनाई हैं और बेतहाशा बजट खर्च किया है। लेकिन ये नीति

पर्यावरण मंत्रालय चुप क्यों है ?
Posted on 14 Jul, 2011 04:16 PM

उत्तराखंड की समस्याओं पर केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की दृष्टि उतनी कठोर नहीं है, जितनी अन्य राज्यों पर। हरियाणा में पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रेणुका बाँध पर काम रुकवा दिया, क्योंकि वहाँ पेड़ों के कटान का स्थानीय लोग विरोध कर रहे थे। उत्तराखंड में चमोली जिले की पिंडर घाटी में बन रही देवसारी जल विद्युत परियोजना का दो वर्षों से अनवरत विरोध हो रहा है। उसका संज्ञान पर्यावरण मंत्रालय ने न

कटाल्डी खनन प्रकरण: खनन माफियाओं के साथ न्यायपालिका से भी संघर्ष
Posted on 14 Jul, 2011 04:06 PM टिहरी गढ़वाल के कटाल्डी खनन विरोधी आन्दोलन से जुड़े वन पंचायत सरपंच कलम सिंह खड़का, स्व. कुँवर प्रसून व मेरे सिर पर पाँच साल से न्यायालय की कथित अवमानना के जुर्म की सिविल जेल की सजा लटकती रही, जिसे जिला न्यायाधीश टिहरी गढ़वाल ने अन्ततः 25 अक्टूबर 2009 को निरस्त कर दिया।
कृषि क्षेत्र का विस्तार जरूरी है
Posted on 14 Jul, 2011 03:33 PM

राज्य का गठन हुए अब दस वर्ष पूरे हो गये हैं। मगर अब पलायन पहले के किसी भी समय से ज्यादा हो रहा है। पहाड़ में घर के घर खाली हो रहे हैं और जमीनें बंजर पड़ रही हैं। कृषि क्षेत्र की घोर उपेक्षा ने यह स्थिति पैदा की है। राज्य की कुल आबादी का 75 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण है, जो अपनी आजीविका के लिये परम्परागत रूप से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र को रोजगार और आजीविका के मुख्य आकर्षण के रूप में च

आपत काल बिरस भयो फागुन… …उचित होय सो की जै
Posted on 14 Jul, 2011 03:02 PM

बोनासाही आमों व देसी लीचियों में बौर आ गई हैं। लाई-सरसों, मूली और धनियाँ के फूलों से घरबाड़े और खेत भरे हुए हैं। तोतों और गोंतालों की चहचहाहट से यूक्लिप्टस का पेड़ चारबाग स्टेशन की तरह शोरियाया हुआ है परन्तु कोयल नहीं दिख रही। हेमंत में, काले कौवों और कोयलों के झुण्ड बाबा रामदेव के शिविर की तरफ एफटीआई की ओर उड़ते हुए देखे थे। तब से उन्हें अपने आस-पड़ौस के पेड़ों में बैठते नहीं देखा। अनुमान कर र

मंदाकिनी घाटी में आग
Posted on 14 Jul, 2011 12:37 PM

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को मंदाकिनी नदी पर ‘लार्सन एंड टूब्रो’ कंपनी द्वारा बनाई जा रही सिंगोली-भटवाड़ी जल विद्युत परियाजना का विरोध कर रहे दो आन्दोलनकारियों, सुशीला भण्डारी एवं जगमोहन झिंक्वाण को पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया। ये लोग प्रदर्शन कर वापस लौट रहे थे तभी बिना आरोप बताये प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सेवानिवृत्त सैनिक जगमोहन झिंक्वाण के साथ पुलिस द्वारा मौके पर

जल विद्युत परियोजनाओं से त्रस्त किसान
Posted on 14 Jul, 2011 12:21 PM

उत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति पाने के लिए नेता-अफसरों को दिया जाये तो वह फायदे का ही सौदा है। नदी का पानी, जिससे बिजली बनती है, लगातार मुफ्त मिलता रहता

जिसने विज्ञान को जनता का ककहरा बनाया है
Posted on 14 Jul, 2011 09:33 AM

वह किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नहीं है। वह किसी वैज्ञानिक संस्थान में वैज्ञानिक भी नहीं है। उसे आपके-हमारे काम आ सकने वाला जनविज्ञानी कहा जा सकता है।

गंगा-जल अब कर्ज से शुद्ध होगा
Posted on 07 Jul, 2011 11:01 AM

वाराणसी। गंगा-जल अब कर्ज से शुद्ध होगा । वैसे गंगा जल सदियों से शुद्धता के कारण हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र बिन्दु है। इधर औद्योगीकरण और गंगा नदी के तट पर बसे शहरों की अव्यवस्थित जिन्दगी और जल-निकासी ने गंगा में तबाही की नई इबारत लिख दी है। दोआबे की जिन्दगी में सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य और खुशहाली का सबब बनने वाली गंगा पर राजनीतिक जुमले बाजी जारी है। संत समाज से लेकर सियासती रहनुमाओं के बीच गंगा घि

दाह संस्कार ने गंगा को मैला किया
Posted on 05 Jul, 2011 09:17 AM

गंगा तेरा पानी अमृत, आज ये पंक्तियां अतिश्योक्ति ही बनकर रह गई हैं। हर-हर गंगे की गूंज करने वाले भक्तों ने ही मां गंगा का आंचल मैला कर दिया है। संत तुलसीदास की जन्मस्थली सोरों और इसके आसपास के कछला और लहरा गंगा घाट भी इससे अछूते नहीं रहे। मुक्ति की युक्ति में हर रोज गंगा मैली हो रही है। गंगा के शुद्धिकरण को लेकर प्रदूषण बोर्ड या फिर प्रशासन का मस्तिष्क अभी भी साफ नहीं है। भले ही यहां औद्

×