महोबा जिला

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पारंपरिक तालाबों की उपेक्षा
Posted on 04 Jun, 2014 04:03 PM बुंदेलखंड में तो कृषि व उद्योग तालाबों पर निर्भर है, फिर भी तालाबों के रखरखाव और संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तालाबों पर अतिक्रमण किया जा रहा है, उनको पाटकर बस्तियां बनाई जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में तालाब, पोखर, झील, कुआं आदि की खोजबीन की गई तो बुंदेलखंड में दो हजार 963 तालाब व कुएं गायब पाए गए। चार हजार 263 तालाबों पर अवैध कब्जे हैं। आयुर्वेद में जल को दवा बताया गया है। बुंदेलखंड के उन क्षेत्रों में जहां नदियों का अभाव रहा, वहां तालाबों का निर्माण किया गया। महोबा के चंदेली तालाब, चरखारी रियासत के तालाब और बुंदेलखंड के अन्य तालाब इलाके की खेतीबारी में सराहनीय योगदान देते रहे हैं। समय रहते इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। वर्तमान में बुंदेलखंड ही क्यों, समूचा विश्व जल संकट का सामना कर रहा है।

एशिया में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लेकर अफ्रीका में केन्या, इथियोपिया और सूडान तक हर देश साफ पानी की कमी से जूझ रहा है। अपने देश में राजस्थान के जैसलमेर और अन्य रेगिस्तानी इलाकों में पानी आदमी की जान से भी ज्यादा कीमती हो जाता है। महिलाओं को पांच-छह किमी दूर से सिर पर रखकर पानी लाना पड़ता है।
जल प्रदूषण (Water Pollution)
Posted on 18 Feb, 2014 08:45 AM जल प्रदूषण जल के ज्योतिर्मय आंचल में, है खिला-खिला सा सृष्टि कमल।
जल ही जीवन का सम्बल, ‘आपोमयं’ जगत है सारा।
यही प्राणमय अंतर्धारा, यही अमिय है इस पृथ्वी का।
अग्नि सोममय रस है उज्ज्वल, सुजला-सुफला बने धरित्री।
असुख अमंगल दूर रहे सब, देवि यही वर दो सबको तुम।
परस तुम्हारा है गंगाजल, जल जीवन का सम्बल है।
जल ही जीवन, सब कुछ सूना है जल के बिन।
महोबा में नम भूमि दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
Posted on 01 Feb, 2014 11:02 PM

संगोष्ठी में जल संचयन के लिए तालाबों का निर्माण करने और पेड़ो की खेती करने वाले किसानों को इन कार्यो को करने के लिए प्रेरित करने वाले संगठनों/संस्थाओं/विभागों के प्रमुख प्रतिनिधियों,जनपद के प्रमुख विभागों के अधिकारियेां को आंमत्रित किया गया है।

02 फरवरी 2014/सूखे बुन्देलखण्ड में नम भूमि दिवस वेटलैण्ड पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाना कोई नई बात नहीं है। पर इस संगोष्ठी के पीछे एक आशा की किरण नजर आ रही है। हालांकि इस इलाके से भूमि वह भी नम बनी रहे उम्मीद से बाहर की वस्तु है। इस विशेष क्षेत्र के आजादी के पहले तक वन सम्पदा विशेष क्षेत्र कहा जाना आश्चर्य की बात नहीं थी। पर इधर के कुछ दशकों में वनों के क्षरण और उजाड़ की बयार ही चल पड़ी । इसके पीछे कई कारण बताये जाते हैं। एक बडी वजह भूमि में नमी बनाये रखने वाली विधियों का बेइन्तिहा विनाश भी शामिल है। जो 70 के दशक से बड़ी तेजी से हुआ है। इस विनाश के लिए इन इलाको में चकबन्दी का होना और नहरे ट्यूबवेल से सिंचाई की परम्परा का विकास का सर्वाधिक योगदान हैं।

किसान भुइयांदीन का अपना तालाब
Posted on 19 Jan, 2014 09:55 AM भुइयांदीन को अपने जीवन में
किसान भुइयांदीन का अपना तालाब
शिवराज सिंह का अपना तालाब
Posted on 06 Jan, 2014 02:40 PM Shivraj Singh Ponds (4 Jan 2013)5 जनवरी 2013, महोबा। उत्तरप्रदेश के महोबा जिले में बरबई गांव के किसान शिवराज सिंह ने वर्षा की बूंदों को समेटने का जतन अपना तालाब बनाकर पूरा किया। इससे उनके सदियों से सूखे खेतों को जरूरत का पानी मिला ही, साथ ही मिला निराश परिवार को फायदे की खेती का नजरिया।

पानी पुनरुत्थान पहल की जरूरत
Posted on 09 Dec, 2013 11:32 AM नगर के मध्य कुओं, तालाबों, मंदिरों तक जल-जीवन को बचाने के लिए अपने पारंपरिक जल-संरक्षण के विधियों के पुनरुत्थान की पहल में भागीदारी का न्यौता देते हुए पुनः जल में भरी गगरियों को जय-सागर तालाब में रखकर पूजन के साथ पानी पुनरुत्थान पहल में भागीदारी का संकल्प लेकर लिए गए जल को वापस उसी में छोड़ा गया। इस कलश यात्रा का उद्देश्य “पानी पुनरुत्थान पहल” जय सागर तालाब में श्रमदान अनुष्ठान का संदेश भागीदारी के लिए नगरवासियों को प्रेरित करना था। बुंदेलखंड क्षेत्र के उन पानीदार स्वजनों तक हाली-हालतों की अंर्तमुखी जुबान की दो पंक्तियां पहुंचाने की कोशिश है जो इस धरती के अन्न, जल, वायु, माटी, ऊर्जा (प्रकाश) और संस्कृति के कर्ज़दार हो अथवा इस पावन धरती की कृषि एवं ऋषि संस्कृति की परंपराओं पर विश्वास रखते हों।

पानी उन पंचमहाभूतों में से एक ऐसा प्रकृति प्रदत्त तत्व है जिसकी शरीर संरचना में तीन चौथाई भागीदारी है। जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है, जिस पर सदा से समाज के सभी तबकों जीव-जंतु, जानवर, पशु -पक्षी, पेड़-पौधे, वनस्पति सबकी जरूरत के अनुरूप समान हिस्सेदारी रही है। आखिर ऐसे महत्वपूर्ण तत्व “पानी” के सूखते जल स्रोत और दिन-ब-दिन भूमि जल संकट से हताहत पशु परिंदे और जनपानी के लिए धूमिल होते रिश्तों की हत्या, पानी पर पुलिस के पहरे, बाजार में बिकता
महोबा की प्रमुख नदियां
Posted on 07 Oct, 2013 10:15 AM

महोबा जिले की अधिकतर नदियां बरसाती हैं। ग्रीष्मकाल में इनका पानी घट जाता है या सूख जाता है। महोबा की प्रमुख नदियां निम्नलिखित हैं

1 धसान नदी धसान नदी विन्ध्याचल पर्वत से निकलती है यह महोबा जिले के कुलपहाड़ तहसील में बहती है। इसका बहाव दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर है।

ken-betwa
महोबा का भौगोलिक क्षेत्र
Posted on 05 Oct, 2013 12:21 PM महोबा उत्तर प्रदेश के दक्षिण में तथा मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है। यह 25 डीग्री 6 से 26 डीग्री 9 उत्तरी अक्षांशों एवं 96 डीग्री .19 से 80 डीग्री .5 देशान्तरों के मध्य स्थित है। पहाड़, नदी, मैदान, वन, पठार, जलवायु आदि भूगोल के अभिन्न अंग हैं। इनके आधार पर ही भौगोलिक प्रदेश विभाजित किए जाते हैं। महोबा का अधिकांश भाग पठारी है। जिले की भौगोलिक विषमता के आधार पर इसे चार भागों मे बांटा गया है।
महोबा की प्रमुख झीलें, तालाब एवं बाँध
Posted on 05 Oct, 2013 12:16 PM जल के उस हिस्से को जो चारों ओर स्थल से घिरा हो तालाब कहते हैं। बहुत बड़े तालाब को झील कहते हैं। सिंचाई आदि की सुविधा हेतु पानी के बाँध बनाकर इकट्ठा किया जाता है और अपनी सुविधानुसार उपयोग में लाया जाता है।

झील


मझगवाँ झील कुलपहाड़ के समीप अजरन ग्राम में स्थित है। यह तीन ओर पहाड़ियों से घिरा है तथा इससे बाँध बाँधकर नहरें निकाली गई हैं।

तालाब

महोबा में प्रमुख सिंचाई के साधन
Posted on 05 Oct, 2013 12:09 PM फ़सलों को कृत्रिम ढंग से पानी से सींचने को सिंचाई कहते हैं। महोबा जिले की जलवायु मानसूनी होने के कारण वर्षा अनिश्चित है। वर्षा साल भर न होकर केवल जून से सितम्बर तक चार महीने की होती है। अतः हमारे जिले में सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। हमारे जिले में प्रमुख रूप से निम्नांकित सिंचाई के साधन प्रयोग में लाये जाते हैं।

झीलों एवं तालाबों से सिंचाई

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