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महोबा जिले की अधिकतर नदियां बरसाती हैं। ग्रीष्मकाल में इनका पानी घट जाता है या सूख जाता है। महोबा की प्रमुख नदियां निम्नलिखित हैं
1 धसान नदी धसान नदी विन्ध्याचल पर्वत से निकलती है यह महोबा जिले के कुलपहाड़ तहसील में बहती है। इसका बहाव दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर है।
2, उर्मिल नदी यह नदी भी विन्ध्याचल पर्वत से निकलती है। यह नदी महोबा और कुलपहाड़ तहसील की दक्षिण सीमा पर बहती हुई पूरब की ओर जाती है। इसके किनारे कैमाहा, डिगरिया,सिजरिया आदि गांव हैं।
3 चन्द्रावली नदी यह नदी बेलाताल से निकलती है। महोबा से बहती हुई हमीरपुर जिले में चली जाती है। बरसात के दिनो में सहायक नालों से मिलकर भयंकर रूप धारण कर लेती है।
4 वर्मा नदी यह नदी कुलपहाड़ के अजनेर नामक स्थान के निकट स्थित पहाड़ियों से निकलती है। चरखारी तहसील में बहती हुई हमीरपुर जिले में प्रवेश कर जाती है।
5 अर्जन नदी यह भी बरसाती नदी है जो गर्मियों मे सूख जाती है। यह कुलपहाड़ से निकलकर हमीरपुर के राठ तहसील में वर्मा नदी से मिल जाती है।
6 सीह नदी यह एक छोटी बरसाती नदी है जो महोबा जिले के चरखारी तहसील से निकलकर मौदहा तहसील की चन्द्रावल नदी मे मिल जाती है।
7 श्याम नदी यह कबरई से निकलती है और हमीरपुर की ओर जाती है। यह बरसाती नदी है। गर्मियों में यह नदी सूख जाती है।
महोबा की मिट्टी
मिट्टी पृथ्वी के स्थलीय भाग की ऊपरी परत को कहते हैं। इस परत की गहराई कुछ सेंटीमीटर से लेकर दो मीटर तक होती है। मिट्टी की इसी परत से जीवधारियों को भोजन मिलता है। मिट्टी एवं कृषि का अभिन्न संबंध होने के कारण मिट्टी का अध्ययन जरूरी है। महोबा जिले मे मुख्य रूप से निम्नलिखित मिट्टियां पाई जाती हैं-
1 मार मिट्टी-
यह मिट्टी काले रंग की होती है। अतः इसे काली मिट्टी भी कहते हैं। यह महीन कणों वाली चिकनी एवं उपजाऊ मिट्टी है्। मार मिट्टी नदियों के तटीय मैदानों कबरई के पश्चिमी भागों एवं मध्यवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है।
2 काबर मिट्टी-
काबर मिट्टी भी काली मिट्टी का एक किस्म है जो की मार मिट्टी की अपेक्षा छोटे कणों वाली, चिकनी, उपजाऊ एवं लसदार होती है। यह मिट्टी महोबा के उत्तरी सिरे, पश्चिमी हिस्से एवं दक्षिणी भाग में विशेष रूप से पाई जाती है।
3 पडुवा मिट्टी-
यह मिट्टी हल्के भूरे एवं पीले रंग की होती है। इसमें रेत का अंश अधिक होता है। यह महोबा के पूर्वी मैदानी भाग कबरई के पास विशेष रूप से पाई जाती है।
4 राकड़ मिट्टी-
राकड़ मिट्टी लाल रंग की होती है। यह कंकरीली मिट्टी है। यह मिट्टी जैतपुर में विशेष रूप से मिलती है।
5 ऊसर मिट्टी-
यह मिट्टी अनुपजागऊ है। यह मिट्टी प्रमुखतया पनवाड़ी एवं चरखारी प्रखंडों मे पाई जाती है।
6 मिट्टी का संरक्षण-
हमारे जिले की उपजाऊ मिट्टी प्रतिवर्ष बरसात मे बह जाती है। अतः मिट्टी का संरक्षण करना चाहिए। मिट्टी के संरक्षण के लिए जिले में वनों को कटने से बचाना चाहिए तथा नए वनों को लगाना चाहिए। अनियंत्रित पशुचारण पर रोक लगानी चाहिए। स्थान-स्थान पर चारागाह विकसित करना चाहिए। इन उपायों द्वारा मिट्टी का उपजाऊपन बनाए रखना चहिए। मिट्टी का सर्वाधिक उपयोग करने के लिए मिट्टी के पोषक तत्वों में वृद्धि के प्रयास करने चाहिए। भूमी को परती नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि परती ज़मीन पर हरा चारा बोना चाहिए। फ़सलों को अदल-बदल कर बोना चाहिए। प्राकृतिक उर्वरकों का भरपूर प्रयोग करना चाहिए। नदियों के किनारे की भूमी की जुताई नहीं करनी चाहिए। इन खेतों की जुताई करने से हजारों टन उपजाऊ मिट्टी प्रतिवर्ष बाढ़ के समय नदियों में बह जाती है।
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