महोबा का भौगोलिक क्षेत्र

महोबा उत्तर प्रदेश के दक्षिण में तथा मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित है। यह 25 डीग्री 6 से 26 डीग्री 9 उत्तरी अक्षांशों एवं 96 डीग्री .19 से 80 डीग्री .5 देशान्तरों के मध्य स्थित है। पहाड़, नदी, मैदान, वन, पठार, जलवायु आदि भूगोल के अभिन्न अंग हैं। इनके आधार पर ही भौगोलिक प्रदेश विभाजित किए जाते हैं। महोबा का अधिकांश भाग पठारी है। जिले की भौगोलिक विषमता के आधार पर इसे चार भागों मे बांटा गया है।

(1) उत्तर का मैदानी भाग (2) पठारी भाग (3) पर्वतीय क्षेत्र (4) वन्य क्षेत्र

उत्तर का मैदानी भाग महोबा जिले का उत्तर- पूर्वी भाग इसके अंतर्गत आता है। कबरई एवं चरखारी उत्तरी भाग मैदानी हैं।

पठारी भाग कबरई एवं चरखारी विकास खण्ड के उत्तरी भाग को छोड़ कर पूरे महोबा का धरातल पठारी है। पठारी भाग के अंतर्गत महोबा का 80 प्रतिशत भाग आता है।

पर्वतीय क्षेत्र इसके अधीन पनवाड़ी, जैतपुर एवं दक्षिणी कबरई के क्षेत्र आते हैं। कुलपहाड़, अजनर, नौगांव, धुवनी प्रमुख पर्वतीय केन्द्र हैं। इस भाग में विन्ध्याचल की छोटी-छोटी पहाड़ियां फैली हैं।

वन्य क्षेत्र बेला ताल एवं कबरई बांध का मध्य भाग मुख्य रूप से वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है।

महोबा की जलवायु


हम जानते हैं कि तापमान, वायुदाब, हवा की गति, हवा में नमी की मात्रा, बादलों की स्थिति आदि हर समय बदलते रहते हैं । इन्हें वायु मण्डल की दशाएं कहतें हैं। किसी विशेष समय की वायुमण्डल की दशाओं को मौसम या ऋतु कहते हैं। लगभग 100 वर्षों के मौसम के औसत को जलवायु कहते हैं।

अतः किसी भी क्षेत्र की जलवायु को जानने के लिए वहां के मौसम को समझना जरूरी है।

जलवायु को र्निधारित करनें वाले कारक


किसी भी स्थान की जलवायु को निर्धारित करने में तापमान, वायु दाब, वर्षा एवं आर्द्रता प्रमुख भूमिका अदा करते है। जलवायु को निम्नांकित तीन तत्व प्रमुख रूप से निर्धारित करते हैं।

1- तापमान
2- वायुदाब
3- वर्षा एवं आर्द्रता की मात्रा

जलवायु को र्निधारित करने वाले तत्वों में से एक ताप का मापन विभिन्न यंत्रों द्वारा किया जाता है। तापमान का मापन करने के लिए तापमापी यंत्र, वायुदाब का मापन करने के लिए वायुदाबमापी यंत्र, आर्द्रता मापन करने के लिए आर्द्रतामापी यंत्र, पवन का वेग मापने के लिए पवन वेगमापी यंत्र तथा वर्षा का मापन करने के लिए वर्षा मापी यंत्र उपयोग में लाया जाता है

महोबा जिले में प्रमुख रूप से तीन मौसम या ऋतुएं होती हैं।

1. शीत ऋतु


महोबा जिले में शीत ऋतु अक्टूबर से फरवरी तक रहती है। कभी-कभी तापमान 4.6 डिग्री तक गिर जाता है। पाला पड़ने से फसलें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

2 ग्रीष्म ऋतु


ग्रीष्म ऋतु मार्च से जून तक रहती है। इस ऋतु में गर्मी ज्यादा पड़ती है तथा लू चलती है। ग्रीष्म ऋतु में पानी का अभाव हो जाता है। सन् 2001 में तापमान 48 डिग्री सेंटीग्रेड तक रिकार्ड किया गया।

3 वर्षा ऋतु


महोबा जिले में जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर के तीन महीनें वर्षा ऋतु माने जाते हैं। इस समय वातावरण हरा-भरा एवं मनोहर हो जाता है। मानसूनी वर्षा होने के कारण कभी अनावृष्टि तो कभी अतिवृष्टि से संकट पड़ जाता है। हमारे जिले की वर्षा 40 इंच है।

महोबा की तलवायु का जनजीवन पर प्रभाव


महोबा की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या खेती के काम में लगी हुई है। खेती वर्षा पर निर्भर है एवं वर्षा मानसून पर। महोबा में वर्षा का अभाव कभी-कभी कृषि को नष्ट का देता है जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाती है। गर्मी अधिक पड़ने के कारण लोग सूती वस्त्रों एवं साफी का विशेष रूप से प्रयोग करते है। धूल भरी आंधी और लू जन सामान्य को बेचैन कर देता है। जनपद के अनेक कुएं, तालाब सूख जाते हैं। पशु- पक्षी पानी की कमी एवं गर्मी की अधिकता से प्यास से व्याकुल होकर अपनी जान दे देते हैं। मनुष्यों के लिए भी पेयजल की समस्या खड़ी हो जाती है। पानी की कमी से पेड़ पौधे सूख जाते हैं। महोबा जिले में जाड़ा सामान्य पड़ता है। परन्तु कभी-कभी ठंड एवं पाला पड़ता है। पाला के प्रभाव से फसलें नष्ट हो जाती हैं। जलवायु का असर यहां की वनस्पति एवं कृषि पर भी पड़ता है। महोबा में मौसम का सर्वाधिक प्रभाव पान की खेती पर पड़ता है।

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