महोबा जिला

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सिंचाई स्वावलंबन चाहिए तो खेत-तालाब बनाएं
Posted on 01 Oct, 2013 04:16 PM कुओं और गहरे बोरवेल से सिंचाई के लिए पानी खींचने के कारण भूमिगत पहल
अपना तालाब बनाने को किया प्रेरित
Posted on 14 Jun, 2013 12:13 PM कलेक्ट्रेट सभागार में रविवार को मप्र आदिवासी विकास आयुक्त ने किसानों को पानी की उपयोगिता बताते हुए अपना तालाब बनाने को प्रेरित किया।
अपना तालाब कृषक गोष्ठी के दौरान किसानों को संबोधित करते आयुक्त आदिवासी संस्थान मध्य प्रदेश उमाकांत उमराव
कागज़ों में बहा पानी, सूखते रहे ताल-तलैया
Posted on 05 May, 2013 09:53 AM बुंदेलखंड में बड़ी नदियों के किनारे रहने वाले कभी इस तरह का पानी का संकट नहीं झेलते थे जैसा हाल के क
गली प्लग (लूज बोल्डर चेकडैम) एवं मेड़बंदी से परती / बंजर ज़मीन में फसलें लहलहाई
Posted on 19 Apr, 2013 10:40 AM खेतों का सुधार मसलन भूमि समतलीकरण, मेड़बंदी आदि सूखा से निपटने में एक बेहतर कदम साबित हो सकता है और यही मानते हुए तिंदौली के किसानों ने मृदा व नमी संरक्षण कार्य को प्राथमिकता दी।

संदर्भ

श्रृंखलाबद्ध तालाब पुनर्जीवन से सूखे का मुकाबला
Posted on 15 Apr, 2013 10:48 AM सूखे से लड़ने में असफल पुरूष तो बाहर चला जाता है परंतु घर पर अकेली रह रही महिला को अनेक सामाजिक वंचनाओं एवं अपमानों का सामना करना पड़ता है। इसे संज्ञान में लेते हुए चरखारी में तालाबों को पुनर्जीवित किया गया।

संदर्भ

सूखे में आजीविका का साधन बनी कछार की खेती
Posted on 13 Apr, 2013 04:01 PM नदी किनारे की कछार भूमि पर बरसाती जंगली सब्जियों की खेती छोटी जो वाले किसानों के लिए वर्ष भर आय का स्रोत बनी रहती है।

संदर्भ

बुंदेलखंड में सूखा संकट का सामना कर प्रेम सिंह हुए खुशहाल
Posted on 13 Apr, 2013 03:52 PM बुंदेलखंड विगत दो दशकों से सूखे का पर्याय बन चुका है। बावजूद इसके दृढ़ इच्छा शक्ति रखने वाले किसानों ने अपने ज्ञान व कौशल का उचित उपयोग कर सूखे में भी अपने लिए बेहतर आजीविका के विकल्प तैयार किये और क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

परिचय

सूखे में सहारा बनी पलाशः बनाया दोना-पत्तल
Posted on 11 Apr, 2013 12:14 PM जाति-विशेष से संबंधित दोना, पत्तल बनाने को व्यवसाय के रूप में अब छोटी जोत के किसानों ने महंगी होती खेती लागत के विकल्प के तौर पर भी अपनाना प्रारम्भ कर दिया है।

परिचय

जल संचयन करके चना व अलसी की खेती
Posted on 08 Apr, 2013 10:50 AM पहले से सूखे बुंदेलखंड में अनियोजित व अदूरदर्शी सरकारी अनुदानों व योजनाओं ने स्थिति को और भी विकट ही बनाया है।

परिचय

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