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महोबा जिला
पानीदार बुन्देलखण्ड सूख रहा है
Posted on 12 Oct, 2015 09:04 AMइंटरनेशनल नेचुरल डिजास्टर रिडक्शन दिवस, 13 अक्टूबर 2015 पर विशेष
लकड़ी के बाँध से रोका पहाड़ी का पानी
Posted on 20 Jun, 2015 11:48 AMकहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह इस बात को चरितार्थ किया है देवास में पानी-मिट्टी बचाने की मुहिम में लगे लोगों ने। उन्होंने यहाँ करीब सवा दो सौ फीट ऊँची पहाड़ी को अपने पुराने अस्तित्व में लाने की कोशिशों में जल संरचनाओं के जरिये ऐसे काम किये हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम आज सबके सामने हैं। यहाँ लकड़ियों, बाँस और चारकोल के ड्रम से इतनी लुभावनी संरचनाएँ बनाई है कि इससे पहाड़ी से हर साल बारिश में व्यर्थ बह
बुन्देलखण्ड का विकट संकट
Posted on 04 May, 2015 10:18 AMहाल के वर्षों में बुन्देलखण्ड क्षेत्र बार-बार सूखे की विकट स्थिति, प्रतिकूल मौसम, भूख व गरीबी क
मंगल टरबाईन से कृषि एवं पर्यावरण की रक्षा
Posted on 07 Apr, 2015 11:29 AMमंगल सिंह उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के एक किसान हैं और साथ में ग्रामीण वैज्ञानिक भी हैं। उन्होंने बचपन में देखा कि नदी-नालों से पानी लिफ्ट करने में किसानों को कितनी कठिनाई होती है। समाधान के लिये उन्होंने ऐसा संयन्त्र मंगल टरबाइन बनाया जो बिना डीजल व बिजली के पानी लिफ्ट कर सकता है।बुन्देलखण्ड में छँटने लगा अकाल, अच्छे विचारों की पहल
Posted on 04 Mar, 2015 10:19 AM बुन्देलखण्ड उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में राज-समाज की साझी पहल के प्रभाव से समझ में समानता नजर आने लगी है। अच्छे काम, अच्छी योजना के विचार का माध्यम चाहे जो भी हों। उस पर राज-समाज की सहमति का अकाल बाधक नहीं है। कुछ विभाग और उनके मुखिया तो ऐसे भी हैं। जिन्हें अपनी ही किसी पूर्व प्रस्तावित परियोजना को नकारने में भी देर नहीं लगती है।यदि उसकी तुलना में कोई दूसरी परियोजना से अधिक फायदा लिया जा सकता होे। ऐसे ही एक परियोजना में बदलाव हुआ है। जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि बुन्देलखण्ड में अकाल छँटने की शुरुआत हुई है। और अच्छे विचारों का जनमत संग्रह भी हुआ है।
बुंदेलखंड के गांवों में रोजगार संकट से बढ़ता पलायन
Posted on 18 Oct, 2014 02:25 PMपलायन एक महत्वपूर्ण जनांकिकीय घटना है जो जनसंख्या के आकार, वितरण तथतालाब से हरियाली और खुशहाली
Posted on 09 Sep, 2014 09:58 AM'तालाब बनाओ लाभ पाओ' का नारा महोबा में असर दिखाने लगा है। वर्षा जल संचयन और पानी के परंपरागत स्रोतों की तरफ यहां के लोगों का रुझान बढ़ा है। उनमें एक उम्मीद और विश्वास का भाव जगा है। वे यह मानने लगे हैं कि बुंदेलखंड का यह क्षेत्र उनके सार्थक पहल से पानी की कमी पूरी कर सकता है। चौपाल-गोष्ठियों में इसकी चर्चा हो रही है। नाउम्मीदी का वातावरण धीरे-धीरे खत्सूखे का मुकाबला तालाबों से
Posted on 08 Sep, 2014 09:51 AMबुंदेलखंड में दबे पांव एक मौन क्रांति हो रही है और यह तालाब क्रांति। इस इलाके में पानी की कमी और सूखा कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस संकट को जलवायु बदलाव ने और बढ़ा दिया है। अब सूखा कोई एक साल की बात नहीं है, यह स्थाई हो गया है। इससे निजात पाने के लिए राज, समाज और मीडिया ने साझा अभियान छेड़ दिया है। पिछले दो साल में यहां लगभग 4 सौ तालाब बन चुके हैं। जिसका फौरीतालाब की ओर फिर से लौटता बुंदेलखंड
Posted on 10 Aug, 2014 04:30 PMपानी-पर्यावरण के जानकार अनुपम मिश्र और देवास के दस-हजार तालाबों के रचयिता श्री उमाकांत उमराव हमारे मार्गदर्शक हैं। श्री उमाकांत उमराव जी कहते हैं कि तालाब ‘सिविल इंजीनियरिंग’ के सबसी पहली रचना हैं और ऐसी रचना हैं, जो आम से खास सबको समझ में आते हैं। महोबा के तत्कालीन जिलाधिकारी श्री अनुज कुमार झा का स्नेह हमें खूब मिला, उनकी अगुवाई से ही महोबा में तालाबों की रचना काम गति पकड़ सका। मुख्य विकास