पुष्पेन्द्र कुमार

पुष्पेन्द्र कुमार
बुन्देलखण्ड में छँटने लगा अकाल, अच्छे विचारों की पहल
Posted on 04 Mar, 2015 10:19 AM
बुन्देलखण्ड उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद में राज-समाज की साझी पहल के प्रभाव से समझ में समानता नजर आने लगी है। अच्छे काम, अच्छी योजना के विचार का माध्यम चाहे जो भी हों। उस पर राज-समाज की सहमति का अकाल बाधक नहीं है। कुछ विभाग और उनके मुखिया तो ऐसे भी हैं। जिन्हें अपनी ही किसी पूर्व प्रस्तावित परियोजना को नकारने में भी देर नहीं लगती है।

यदि उसकी तुलना में कोई दूसरी परियोजना से अधिक फायदा लिया जा सकता होे। ऐसे ही एक परियोजना में बदलाव हुआ है। जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि बुन्देलखण्ड में अकाल छँटने की शुरुआत हुई है। और अच्छे विचारों का जनमत संग्रह भी हुआ है।
किसान भुइयांदीन का अपना तालाब
Posted on 19 Jan, 2014 09:55 AM
भुइयांदीन को अपने जीवन में
किसान भुइयांदीन का अपना तालाब
गोकुल का तालाब बना तो बनने लगा आशियाना
Posted on 18 Jan, 2014 09:39 PM
तालाब के नए अर्थशास्त्र को गांव के किसानों तक पहुंचाने का प्रयास अप
इन्हें पानी क्या मिला,सजाली पत्थरों में फसल
Posted on 18 Jan, 2014 09:34 PM
किसान को पानी में फसल लेने के बहुतेरे अनुभव रहे हैं। इसीलिए उसे इस
पुरखों के दफन खजाने से बेखबर वारिस किसान
Posted on 16 Jan, 2014 07:00 PM
16 जनवरी/2014/बुन्देलखण्ड क्षेत्र उत्तरप्रदेश में जन्में जमीदार परिवार के वारिस किसान को अपने बाबा-परबाबा की अकूत सम्पति और उनकी जमीदारी के गांवों की फेहरिस्त मुंह जबानी याद है। एक जमाने में देश के सुदूर क्षेत्र से आकर इस इलाके के गांव कहरा के जमींदार की सम्पत्ति जमीदारी की देख-रेख बावत नियुक्ति होने का कारण इनके परदादा की शिक्षा-दिक्षा थी। कुछ समय बाद उस जमींदार परिवार के वारिस भी बनने का सौभाग्
जवाहर ने समझी तालाब की जरूरत
Posted on 15 Jan, 2014 11:20 PM
जनवरी/२०१४/महोबा जिले के सूपा गांव में अकेला एक जवाहर नहीं है। इस गाँव में दर्जनो ऐसे जवाहर किसान है। जिनके पास अपनी जमीन तो है पर पानी का पुख्ता इंतजाम नहीं है। हर साल बादल घुमड़ते है। वर्षा भी होती है पर यहाँ तो यह मान बैठे है कि ये पानी चौमासे का है। खेत के लिए तो कुंवा,बोरिंग,और नहर का पानी आता है। अचानक नहीं, सीढ़ी-दर सीढ़ी समझते-समझाते, देखते-दिखाते, करते-कराते योजनाबद्ध तरह से जिले के वि
बांध के पानी की लगाम किसान भूरा के हाथ होती तो शायद ..........
Posted on 12 Jan, 2014 11:17 PM
12 जनवरी 2014 बुन्देलखण्ड / के महोबा जिले में सूपा गांव के किसान भूरा पुत्र नथुवा कहने को तो बृहद किसानों की श्रेणी में आते है। ये अच्छी किश्म की मिट्टी वाले खेत के भूस्वामी भी है। हां इनके खेत तक कभी कभार पचपहरा बांध से आने वाले माइनर से पानी भी मिल जाता है। इस पानी के मिलने से फसल उत्पादन का बढ़ना लाजिमी बात है। पर यह अवसर स्थाई नहीं मिलता । जिससे लाभ- हानि बराबर हो जाती है। बांध के इस पानी की ल
बुन्देलखंड का भूस्वामी बना दिल्ली का मजदूर
Posted on 12 Jan, 2014 10:37 PM
बुन्देलखण्ड में महोबा जिले के सूपा गांव का किसान श्रीपत पुत्र धुपकइयां दिल्ली में रहकर मजदूरी से अपने परिवार का भरण पोषण करता है।
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