यदि उसकी तुलना में कोई दूसरी परियोजना से अधिक फायदा लिया जा सकता होे। ऐसे ही एक परियोजना में बदलाव हुआ है। जो इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि बुन्देलखण्ड में अकाल छँटने की शुरुआत हुई है। और अच्छे विचारों का जनमत संग्रह भी हुआ है।
जनपद महोबा में कृषि विभाग ने सिंचाई और भूगर्भ जल स्तर की गिरावट को दृष्टि में रखकर एक उम्दा परियोजना प्रस्ताव शासन को भेजा था। भेजे गए परियोजना प्रस्ताव के क्रम में बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के तहत 24 चेकडैम निर्माण की स्वीकृति के साथ 3.60 करोड़ की धनराशि भी प्राप्त हो गई। जबकि इस बीच जनपद में संचालित अपना तालाब अभियान से प्राप्त परिणाम न केवल किसानों के लिये वरदान साबित हुए। बल्कि जनपद के सभी विभागोें के अधिकारियों/कर्मचारियों को भी महोबा की जटिल होती पानी की समस्या का समाधान अपना तालाब नजर आने लगा।
24 चेकडैम बनाने का लक्ष्य प्राप्त होने के साथ कार्यदायी संस्थाओं के क्षेत्रीय प्रमुखों को लगा कि काश-इस धनराशि से किसानों के खेतों पर तालाब बनाए जा सकते, तो परिणाम कई गुना बेहतर और गणना के योग्य होते। पर बेबसी सिर्फ इतनी थी कि परियोजना उन्हीं ने बनाकर भेजी थी। फिर भी इस बेबसी से भूमि संरक्षण अधिकारी हार नहीं माने।
हर सम्भव कोशिशें करते रहे कि चेकडैम की बजाय किसानों के खेतों पर तालाब बनाए जाने की स्वीकृति का माध्यम क्या हो सकता है, और चेकडैम की राशि तालाबों में कैसे तब्दील हो। भूमि संरक्षण अधिकारी चरखारी श्री अरविन्द मोहन मिश्रा ने इस बात को मुखर होकर कहा तो महोबा यूनिट के श्री भीमसेन, कुलपहाड़ यूनिट के श्री जगत पाल सिंह भूमि संरक्षण अधिकारी सहित क्षेत्र स्तरीय कर्मचारी भी तालाबों के पक्ष में खड़े दिखे।
अपना तालाब अभियान समिति का निर्णय किसानों की सहमति से भेजा प्रस्ताव
अपना तालाब अभियान समिति महोबा एवं क्षेत्रीय किसानों द्वारा महोबा के मुख्य विकास अधिकारी को भेजे गए प्रस्ताव पत्र में अनुरोध किया गया कि कृषि विभाग को प्राप्त 24 चेकडैमों के निर्माण हेतु 3.60 करोड़ की धनराशि से किसानों के खेतों पर तालाब बनाए जाने से चेकडैमों की तुलना में अधिक लाभ होगा।
24 चेकडैमों के निर्माण से जहाँ लाख-सवा लाख घनमीटर वर्षाजल से अनुमानित 150 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई की जा सकेगी। वहीं इतनी ही धनराशि से 500-600 किसानों के खेतों पर तालाब बनाकर 7-8 लाख घनमीटर वर्षा जल एकत्र कर 1000 हेक्टेयर से अधिक असिंचित कृषि भूमि की सिंचाई का जरिया बनाया जा सकता है।
समिति द्वारा भेजे गए पत्र में भूमि संरक्षण विभाग चरखारी के महज 7.80 लाख से बनाए गए कीरतपुरा-काकुन गाँव का उदाहरण दिया गया है। किसानों के 26 तालाबों पर इस सूखे वर्ष में आए वर्षा के पानी से खेतों की फसलों का आकलन कर किसानों को भरोसा है कि औसतन 4-5 गुना अधिक उत्पादन प्राप्त होगा।
भूगर्भ जल भरण सहित होने वाले परोक्ष-अपरोक्ष लाभों को बताते हुए कहा गया है कि कृषि विभाग द्वारा बनाई गई चेकडैम निर्माण की परियोजना की प्राप्त धनराशि 3.60 करोड़ के बदले, किसानों के खेतों पर तालाब निर्माण करने पर 1200 से 1800 क्विण्टल का अतिरिक्त उत्पादन पाया जा सकता है।
महोबा ही नहीं बुन्देलखण्ड सहित सम्पूर्ण देश में पानी, पर्यावरण और किसानी पर गहराते संकट से उबारने के लिये ऐसी ही व्यावहारिक समीक्षा की जरूरत है। जो स्थानीय परिस्थिति के अनुरूप हो, सरल, सस्ते, और त्वरित परिणाम देने वाले भी हों। पर्यावरण और प्राणी की हिफाजत वाले हों। यही प्रमाण है महोबा में राज-समाज के साझे सरोकार से संचालित अपना तालाब अभियान के प्रयासों का। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि महोबा में अच्छे विचारों की पहल और अच्छी योजनाओं से अकाल छटने लगा है।
कृषि विभाग को बुन्देलखण्ड पैकेज से 24 चेकडैम निर्माण हेतु प्राप्त धनराशि 3.60 करोड़ से किसानों के खेतों पर तालाब निर्माण किए जाने हेतु कार्यवाही किए जाने का अनुरोध किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी श्री शिवनारायण ने इस प्रस्ताव पर उपकृषि निदेशक महोबा को वार्ता के लिये निर्देश दिया।उपकृषि निदेशक ने वार्ता कर जिलाधिकारी महोबा को भेजा आलेख
मुख्य विकास अधिकारी/जिलाधिकारी को सम्बोधित आलेख में उपकृषि निदेशक आर.पी. चौधरी ने लिखा है कि कृपया पत्रावली की दाईं ओर संलग्न श्री पुष्पेन्द्र भाई संयोजक अपना तालाब अभियान समिति महोबा एवं अन्य कृषकगण के पत्र का अवलोकन करने का कष्ट करें।
जो बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत 24 चेकडैमों के निर्माण हेतु प्राप्तः 3.60 करोड़ की धनराशि को जनहित में परिवर्तित कर किसानों के खेतों पर तालाबों के निर्माण हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है। जिसके क्रम में मुख्य विकास अधिकारी महोदय से दिनांक 21/11/2014 को वार्ता कर सम्बन्धित कृषकों के खेतों में चेकडैम निर्माण की कार्यवाही सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
विषय क्रम में वार्ता की गई तथा उनके द्वारा निर्देशित किया कि चेकडैम हेतु प्राप्त धनराशि को तालाब निर्माण हेतु परिवर्तित करने के लिये जिलाधिकारी महोदय की ओर से प्रमुख सचिव कृषि उ.प्र. शासन को पत्र लिखवाया जाए। जिसके अनुपालन में आपकी ओर से प्रमुख सचिव कृषि को पत्र लिखा गया है। जिसका स्वच्छ आलेख पत्रावली की दाईं ओर (संलग्न है) कृपया अवलोकन कर हस्ताक्षर करना चाहें।
महोबा में पानी का संकट, बदलाव की मुहिम और जरूरत के फैसले भी
महोबा बुन्देलखण्ड के सर्वाधिक जल संकट वाले जनपद का नाम है। इस जनपद के सभी चारों विकासखण्ड अति दोहित ब्लाक में तब्दील हैं। अनियमित मानसून अनवरत भूगर्भ जल स्तर में गिरावट से अन्तर्मुखी अकाल में बदल चुके महोबा में सिंचाई और पेयजल दोनों का संकट रहा है। दर्जन भर बाँधों की शृंखलाएँ भी 2884 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल की भौगोलिक परिधि में बसे महोबा जिले की आबादी की प्यास नहीं बुझा सके।
महोबा की 247 ग्राम पंचायतों के 521 ग्रामों की 876055 जनसंख्या और ढाई लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत का पानी मुहैया कराने की जुगत सरकार के लिये यक्ष प्रश्न है। कमोबेश बुन्देलखण्ड की भी यही तस्वीर है। इस अजीबोगरीब परिस्थिति में फँसे महोबा जनपद को अच्छे दिन की आस है।
कुछ वर्षों पहले भीषण सूखा के चलते अखबार में प्रकाशित एक खबर बुन्देलों का दिल दहला देने के लिये काफी थी। पानी के झगड़े, पानी की लूट, और पानी को लेकर हत्याएँ तो सुनी थीं। पर आबरू के मोल पानी जैसी घटना बुन्देलों के लिये चुनौती थी। इसी चुनौती को स्वीकार करने वाले बुन्देलों ने अपने सूखते सरोवरों और सिसकते जल स्रोतों को केन्द्रित कर पानी पुनरुत्थान की साझी पहल की शुरुआत की।
जो वर्ष 2013 में स्थाई समाधान की दिशा में तब्दील हुई और राज-समाज की साझी पहल अपना तालाब अभियान के रास्ते पर चल पड़ी। महोबा से शुभारम्भ हुई इस पहल में स्वैच्छिक/सामाजिक और सरकारी संस्थाओं के साथ किसानों का बढ़चढ़कर योगदान शामिल हुआ तो बदलाव की मुहिम बन गई।
महोबा में स्थानीय जरूरत के अनुरूप फैसले भी। अपने आप में एक अनूठी मिशाल है। सभी समुदाय और राज्य के प्रतिनिधि इस बात पर एकमत हैं कि महोबा और बुन्देलखण्ड के जल संकट का स्थाई समाधान अपना तालाब एक सरल, सटीक और सस्ता उपाय है। स्थानीय पानी, किसानी से जुड़े विभागों, विद्वानों का भी यही मत है।
बदलाव के आसार, सुझाव समाज के, फैसले राज के
अपना तालाब अभियान समिति महोबा और क्षेत्रीय किसानों के सुझाव पर सहमत और भरोसा कर पूर्व प्रस्तावित/स्वीकृत परियोजना की निर्गत धनराशि के बावजूद भी महोबा के जिलाधिकारी श्री वीरेश्वर सिंह द्वारा चेकडैमों के स्थान पर किसानों के खेतों में तालाब निर्माण किए जाने का फैसला अहम और अनुकरणीय उदाहरण है।
महोबा ही नहीं बुन्देलखण्ड सहित सम्पूर्ण देश में पानी, पर्यावरण और किसानी पर गहराते संकट से उबारने के लिये ऐसी ही व्यावहारिक समीक्षा की जरूरत है। जो स्थानीय परिस्थिति के अनुरूप हो, सरल, सस्ते, और त्वरित परिणाम देने वाले भी हों। पर्यावरण और प्राणी की हिफाजत वाले हों। यही प्रमाण है महोबा में राज-समाज के साझे सरोकार से संचालित अपना तालाब अभियान के प्रयासों का। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि महोबा में अच्छे विचारों की पहल और अच्छी योजनाओं से अकाल छटने लगा है।
परियोजना बदलाव से सहमत, जिलाधिकारी ने शासन को भेजा प्रस्ताव
जिलाधिकारी द्वारा प्रमुख सचिव (कृषि) उ.प्र. शासन लखनऊ को पत्र भेजकर बुन्देलखण्ड पैकेज के अन्तर्गत कृषि विभाग को आवंटित चेकडैम निर्माण का लक्ष्य (फार्मपाण्ड) तालाबों में परिवर्तित करने की स्वीकृति और कार्य कराने की अनुमति माँगी गई है।
पत्रांक- मू.सं.अ. 366/फार्मपाण्ड/2014-15 दिनांक 26 दिसम्बर 2014 के हवाले से भेजे गए पत्र में जिलाधिकारी ने प्रमुख सचिव (कृषि) उ.प्र. शासन लखनऊ को सादर अवगत कराया है कि जनपद में सिंचाई के सुनिश्चित साधन नहीं होने के कारण कृषि वर्षा पर आधरित है। तथा वर्षा पर्याप्त न होने एवं अनियमित होने के कारण प्रायः जनपद सूखे की समस्या से प्रभावित रहता है।
इस समस्या का सामना करने के लिये किसानों, जनप्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा प्रायः फार्मपाण्ड एवं सार्वजनिक तालाब के निर्माण की माँग की जाती है। जनपद में निर्मित फार्मपाण्ड तथा सार्वजनिक तालाब के परिणाम उत्साहवर्धक रहे हैं।
जिलाधिकारी ने शासन को भेजे गए पत्र में बेबाकी से कहा है कि फार्मपाण्ड कम लागत में वर्षाजल संचयन करके अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजन, भूजल रिचार्ज तथा मत्स्य पालन एवं बागवानी के माध्यम से कृषकों के आय बढ़ाने के महत्वपूर्ण साधन हो सकते हैं। इस बात का उदाहरण देते हुए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2013-14 में अपना तालाब अभियान के अन्तर्गत कृषि विभाग द्वारा 54 लाख व्यय करके 90 फार्मपाण्ड का निर्माण कराया गया है।
पानी की परियोजनाओं का पैमाना बनी वर्षा की बूँदें और अनाज के दाने।
चेकडैम का लक्ष्य फार्मपाण्ड में परिवर्तित करने पर स्थिति एवं अतिरिक्त लाभ का विवरण
कार्य का नाम | आवंटित धनराशि (लाख रु. में) | आवंटित लक्ष्य (संख्या में) | लाभान्वित कृषकों की संख्या | एकत्रित जल की मात्रा (लाख घ.मी. में) | अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्रफल हेक्टेयर (रबी में दो सिंचाई) | उत्पादन में वृद्धि (क्विण्टल में) | ||
चना-मटर-गेहूँ | ||||||||
चेकडैम | 360 | 24 | 240 | 240 | 240 | 4320 | 2880 | 4320 |
चेकडैम का लक्ष्य फार्मपाण्ड में परिवर्तित करने पर स्थिति। | परिवर्तित करने पर | 500-600 | 500-600 | 7.5 | 1000 | 18000 | 12000 | 18000 |
उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद के जिलाधिकारी ने प्रमुख सचिव (कृषि) उ.प्र. शासन लखनऊ को पत्र भेजकर उपरोक्त सारिणी के माध्यम से स्पष्ट किया है कि उपरोक्त धनराशि से बनाए जाने वाले चेकडैम की तुलना में किसान के खेतों पर तालाब निर्माण अधिक श्रेयस्कर और उपयोगी है।
सारणी में बाकायदे वर्षा की बूदों और अनाज के दानों की गणना कर पूर्व प्रस्तावित एवं स्वीकृत परियोजना को परिवर्तित करने और उसके एवज में तालाब बनाने की कार्य अनुमति चाही गई है। इससे यह स्पष्ट है कि बुन्देलखण्ड को पानी और भूगर्भ जल संकट से उबारने के लिये न केवल भारी-भरकम पैकेज अथवा परियोजनाओं की जरूरत है। बल्कि समय आ गया है कि हम स्थानीय परिस्थिति और पर्यावरण की दृष्टि में जो परियोजना हर सम्भव श्रेयस्कर, सरल, सहज, कम लागत में अधिक फायदा पहुँचाने वाली हो। ऐसी विधाओं को समय रहते अपनाकर महोबा जनपद के राज-समाज की इस साझी पहल से भी चार कदम आगे बढ़कर बुन्देलखण्ड में पानी, पर्यावरण और किसानी पर बढ़ते संकटों का हल सम्भव हैं।
महोबा डीएम द्वारा मुख्य कृषि अधिकारी उ.प्र. को भेजे गए पत्र को पढ़ने के लिये अटैचमेंट देखें।
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